चंद मिनट पहले आजतक न्यूज़-चैनल पर मिलावटी दूध पर एक विशेष रिपोर्ट देख रहा था। डा राम मनोहर लोहिया से एक विशेषज्ञ भी अच्छी तरह से सब कुछ बता रहे थे। रिपोर्ट में ऐसे फोटो भी दिखे जिस में मिलावटी दूध तैयार करने के लिये उस में शैंपू, यूरिया मिलाया जा रहा था और इस को तैयार करने के लिये तरह तरह के ऊल-जलूल कामों का खुलासा भी किया गया।
मुझे अच्छा लगता है जब कोई लोकप्रिय चैनल इस तरह का कार्यक्रम पेश करता है ---क्योंकि मैं समझता हूं कि इस तरह के पाठों को बार बार दोहराने में ही हम लोगों की भलाई है क्योंकि हम लोगों की यादाश्त में ज़रूर कुछ न कुछ गड़बड़ है। हम लोग सब कुछ जानते हुये भी इस तरह के दूध का इस्तेमाल करने से ज़रा भी गुरेज़ क्यों नहीं करते। अब अगर कोई यह कहे कि कोई विकल्प भी तो नहीं है ना -----लेकिन इस का मतलब यह भी तो नहीं कि हम लोग ऐसे दुध का इस्तेमाल करने लगें जो केवल सेहत बिगाड़ने का ही काम करता हो।
मैंने तो इस मिलावटी दूध के बारे में ----- चलिये, इस वाक्य को बाद में पूरा करता हूं । पहले तो मेरी इच्छा यह जानने की हो रही है कि इस मिलावटी दूध के कारण कितने लोगों पर आज तक मुकद्मा चला है और कितनों की सज़ा हुई है। अब मेरे पास प्रश्नों का तो अंबार है ..... लेकिन समय की कमी है। सारा दिन हास्पीटल की ड्यूटी करने के बाद ये प्रश्न केवल प्रश्न ही बने रहते हैं। लेकिन कभी न कभी इन सब सवालों का जवाब तो ढूंढ ही लूंगा और इस से भी बहुत बड़े बड़े प्रश्न हैं जिन्हें मैं अभी तो इक्ट्ठे ही किये जा रहा हूं। उपर्युक्त समय आने पर ही इन का झड़ी लगाऊंगा, इस के बिना मुझे भी चैन आने वाला नहीं है।
हां, तो मैं पिछले पैरे में कह रहा था कि इस मिलावटी दूध के बारे में इतना कुछ पढ़ लिया है कि अब तो मुझे दूध से बनी कोई भी चीज़ बाहर खाने से एक ज़बरद्स्त फोबिया सा ही हो गया है । और मैं जहां तक हो सके खाता भी नहीं हूं। मैंने बहुत सोच विचार कर यह फैसला किया हुया है।
ड्यूटी के दौरान अपने हास्पीटल में चाय पीना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है --शायद साल में एक दो बार फार्मैलिटी के तौर पर यह दिखावा करना ही पड़ता है।
घर के बाहर मैं कहीं भी चाय पीना पसंद नहीं करता हूं लेकिन कईं बार दो-चार महीने में यह कसम टूट ही जाती है। लेकिन इस समय मैं उन लोगों का ध्यान कर रहा हूं जो अपने काम पर बार बार चाय पीने के शौकीन हैं---अब कैसे दूध की क्वालिटी का पता लगे। हर चाय भेजने वाला कहता तो यही है कि वह तो बिल्कुल शुद्ध दूध ही इस्तेमाल करता है।
आज जब मैं उस आजतक का यह विशेष कार्यक्रम देख रहा था तो सुन रहा था कि विशेषज्ञ बता रहे थे कि मिलावटी दूध खालिस दूध से कैसे भिन्न होता है। बता तो वह रहे थे कि उस की महक अलग होगी, जब दही जमेगा तो भी पता चल जायेगा कि दुध कितना शुद्ध है और एक बात और भी बता रहे थे कि अगर दूध बार बार फटता है तो समझ लीजिये मामला गड़बड़ है।
जैसा कि आप जानते हैं कि मैं दंत-चिकित्सक हूं और मूलतः पिछले 25 वर्षों से यही काम कर रहा हूं और किसी तरह का आत्मा पर बोझ नहीं है ---- बिल्कुल सच बात ही करता हूं और कोई भी मेरे से मेरे प्रोफैशनल अनुभव पूछे तो शत-प्रतिशत इमानदारी से साझे भी कर दूंगा ----बिना किसी परवाह के जैसा कि मैं अपनी दांतों के सेहत वाले लेखों में करता ही रहता हूं।
हम लोग 100 करोड़ से भी ऊपर हैं लेकिन क्यों हमारे डेयरी विशेषज्ञ दूध की शुद्धता के बारे में अपना मुंह क्यों नहीं खोलते ----मुझे इस से बहुत ज़्यादा आपत्ति है । कईं बार सोचता हूं कि शायद दूध के धंधे में इतना ज़्यादा गोरख-धंधा है कि कुछ चंद लोग चाहते हुये भी मुंह नहीं खोल पाते ----सोचने की बात है कि हम लोगों ने इतनी तरक्की हर क्षेत्र में कर ली है लेकिन हम लोगों को दो-चार साधारण टैस्ट घर में ही करने क्यों नहीं सिखा पाये जिस से कि वे पूरे विश्वास से अपने दूधवाले से कह सकें कि कल से यह गोरख-धंधा बंद करो --- बहुत हो गया।
अब आप से समझ सकते हैं कि अगर कोई ग्राहक दूध वाले से यह सब कहेगा कि दूध की महक ठीक नहीं लगती, दूध पिछले कुछ दिनों से कुछ ज़्यादा ही पीला सा लग रहा है, दही सही नहीं जम रही और पिछले हफ्ते में दो बार दूध फट गया ----- तो ग्राहक यह सब कह कर अपनी ही खिल्ली उड़वाता है क्योंकि हर बात का उस शातिर दूध वाले के पास रैडी-मेड जवाब पहले ही से तैयार होता है।
ऐसे में ज़रूरत है किसी वैज्ञानिक टैस्ट की जो कि लोग घर पर ही दूध में कुछ मिला कर थोड़ा जांच कर के देख लें कि कहीं वे दूध के भेष में यूरिया तो नहीं पीये जा रहे , कहीं दूध में पड़ा शैंपू ही तो नहीं आंतों को खराब किये जा रहा और भी तरह तरह के कैमीकल्स जिन की आप कल्पना भी नहीं कर सकते। बेहतरी होगी कि ये डेयरी विशेषज्ञ कुछ इस तरह के टैस्टों के बारे में लोगों को बतायें जिस से कि लोग अपने आप ये टैस्ट कर सकें और मिलावटी दूध को तुरंत बॉय-बॉय कह सकें।
बहरहाल, मिलावटी दूध से बच कर रहने में ही समझदारी है । लेकिन अफसोस इसी बात का है कि जब हम लोग बैठे आजतक चैनल पर दिखाई जा रही कोई ऐसी विशेष रिपोर्ट देखते हैं तो हम सब यही सोचते हैं कि यह समस्या कम से कम हमारे दूध वाले के साथ तो नहीं है ------यह तो किसी दूसरे शहर की, दूसरे लोगों की समस्या है ----अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो शायद आप भी मेरी तरह कुछ ज़्यादा ही खुशफहमी का शिकार हैं।
और क्या लिखूं ? ----बस बार बार यही लिखना चाहता हूं कि दूध के बारे में पूरे सचेत रहा करें ------मिलावटी दूध पीने या इस से बने प्रोडक्टस खाने से हज़ारों गुणा बेहतर है कि इस से बच कर रहा जाये। सिर दुखता है इस विषय पर लिखते हुये, लेकिन लालच की आंधी में ये दूध बेचने वाले अंधे हुये जा रहे हैं।
क्या कहें? घर में गाय भैंस बांधें और बाहर ब्लेक कॉफी पिएँ।
जवाब देंहटाएंकई चैनलों में दसियों बार सिंथेटिक दूध, सिंथेटिक खोवे, मिलावटी घी, मिलावटी दूध पावडर की रिपोर्ट्स दिखाई जा चुकी हैं. समाचारपत्र भी इस तरह के गोरखधंधों की खबर नियमित छापते रहते हैं. फिर भी लोग इस बारे में बात तक करना पसंद नहीं करते, आवाज़ तो इसके खिलाफ दूर दूर तक उठती नज़र नहीं आ रही है.
जवाब देंहटाएंपढ़ा लिखा मध्य वर्ग (जिस मध्यवर्ग पर हम गर्व करते हैं) यूरिया का घोल पिए जा रहा है. पढ़ी लिखीं माएं अपने बच्चों को भी यही शैंपू यूरिया पिला कर बड़ा कर रहीं है. इससे बड़ी बेवकूफी क्या होगी.
वैसे भी दूध कोई पीने लायक चीज़ तो है नहीं, नवजात शिशु को छोड़ मानव शारीर में दुग्ध शर्करा लेक्टोज़ का अपघटन करने वाला एंज़ाइम लेक्टोज़ पाया ही नहीं जाता, इस लेख को पढें और इसे.
यह वीडियो देखें और इसे भी.
चोपडा जी , हमारे देश कोई एक चीज भी असली मिलती हो तो जरुर बताये, नकली सब कुछ मिलता है, पानी की बोतल से लेकर दवा तक, लेकिन क्यू, क्या इस की कोई रोक थाम नही हे ? है तो सही, लेकिन फ़िर इन रोक थाम करने वालो का हिस्सा कहां जायेगा ? लेकिन इन मिलावट करने वालो को यह नही पता कि जब तुम ओरो के लिये मिलावट कर रहे हो, तो तुम्हारे बच्चे उस हराम के पेसो से किसी ओर की बनाई मोत खरीद रहे है,
जवाब देंहटाएंअब तो भारत मै चाय पीते भी डर लगता है कही यह गधे की लीद ही ना हो, गर्म मसाले , घी यानि सब कुछ नकली, क्या होगा इस देश का कोन बचायेगा इन देश के दुशमनो से इन देश को यह दुशमन ही तो है...
धन्यवाद इस भायनक जानकारी देने के लिये,
सच में रोज ब रोज बस खबर ही पढ़ रहे हैं हमलोग । कुछ होता नहीं ऐसे काम करने वालों का । अन्मयस्क प्रशासन, अन्मयस्क हमसब ।
जवाब देंहटाएंडो. साहब मेरे पास एक दूध वाला रोजाना राशन लेने के लिये आता था । बातों ही बातों मे उसने कहा क्या करे बहुत परेशान है कभी बीवी बिमार कभी बच्चे बिमार । कोई उपाय हो तो बताइये । मैने उससे कहा कि तुम दूध बेचना बन्द कर दो, क्यू कि इमानदारी से दूध बेच नही पाओगे और बेईमानी तुम्हे राश नही आ रही है । यह गोरखधंधा ही एसा है ।
जवाब देंहटाएं