मैंने बहुत बार डीडी न्यूज़ पर हर रविवार सुबह साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक दिखाए जाने वाले टोटल हेल्थ कार्यक्रम की प्रशंसा की है। सेहत से संबंधित यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है..बेशक।
जब भी मुझे याद रहता है या मैं जिस किसी रविवार को इस समय घर में रहता हूं तो इस कार्यक्रम को अवश्य देखता हूं।
आज सुबह भी बैठे बैठे ध्यान आया कि साढ़े आठ बजने वाले हैं...झट से डीडी न्यूज़ चैनल लगाया तो यह प्रोग्राम शुरु हो चुका था।
प्रोग्राम का विषय पढ़ कर लगा कि इस की कम से कम आडियो रिकार्डिंग ही कर लूं ...जिसे अपने किसी लेख में शेयर करूंगा....वही किया है...यू-ट्यूब पर अपलोड किया है....बस, ऐसे ही वीडियो बनाने की सूझी नहीं, ट्राईपॉड तो था ...इसलिए कोई दिक्कत नहीं होती।
ऐसा नहीं है कि ये चैनल वाले इस तरह के वीडियो अपने यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड नहीं करते....कुछ अरसा पहले मैंने चैक किया था तो पता चला था कि ये लोग किसी नियमितता से इन रिकार्ड किये हुए प्रोग्रामों को अपलोड नहीं करते....बाद में कभी भी ...कुछ काट देते हैं......यह सब इन की मरजी या सुविधा अनुसार होता है।
वैसे अगर आप इस चैनल का यू-ट्यूब चैनल चैक करेंगे तो पाएंगे कि बहुत से रिकार्ड किए हुए ऐसे प्रोग्राम सेहत संबंधित विभिन्न विषयों पर वहां धरे-पड़े हैं।
हां, तो आज के योग प्रोग्राम की तरफ़ आते हैं....मुझे एक ज़रूरी काम के लिए उस समय आज बाहर भी जाना था लेकिन मैंने उसे टाल दिया....और इस कार्यक्रम को देखता रहा।
संगत का असर देखिए कि आधा प्रोग्राम देखने के बाद मैंने स्टोर रूम में जाकर अपनी वह चटाई ढूंढी जिस पर बैठ कर मैं बहुत वर्षों तक प्राणायाम् किया करता था....मिल गई और पांच दस मिनट मैंने प्राणायाम् भी किया।
आज वाले इस टीवी प्रोग्राम को रिकार्ड कर के जो वीडियो मैंने बनाया है, उस को यहां नीचे एम्बेड कर रहा हूं...सुनिएगा...अच्छा लगेगा क्योंकि आप के लिए कुछ न कुछ तो ऐसा इस में है जो आप पहले से नहीं जानते और वह आपके लिए जानना ज़रूरी है।
इस तरह के प्रोग्राम जो सरकारी मीडिया पर दिखाए सुनाए जाते हैं...उन में मेरी बहुत अास्था इसलिए है कि इन का एक टके का भी कमर्शियल इंस्ट्रेस्ट नहीं होता और न ही हो सकता है। जिन लोगों को ये बुलाते हैं, वे देश के चुनिंदा विशेषज्ञ होते हैं।
अब आज के ही प्रोग्राम की उदाहरण लीजिए....अगर यह चैनल किसी रस्म-अदायगी की तरह ही एक कार्यक्रम कर रहा होता ...२१ जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले ..तो ये किसी भी योग सिखाने वाले को ढूंढ कर भी यह कार्यक्रम करवा सकते थे....लेिकन नहीं, इस कार्यक्रम में जिन लोगों ने शिरकत करी ...उन में से एक तो थे पतंजलि योग विद्यालय के योग विद्या विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर, दूसरे थे दिल्ली के एक प्रसिद्ध योग संस्थान के मुखिया और तीसरे डाक्टर साहब थे जो डी आर डी ओ संस्था से बुलाए गये थे...Defence Research and Development Organisation ....ये साहब योग के वैज्ञानिक पहलुओं की चर्चा कर रहे थे ....पहाड़ों एवं ग्लेशियरों पर तैनात फौजियों को योग कैसे मदद करता है...योग क्या वही लोग कर सकते हैं जो मांस मछली नहीं खाते हों, इन सब मुद्दों पर भी इन्होंने चर्चा करी। और हां, योग आसन कर के दिखाने के लिए एक योगाभ्यास करने वाले को भी बुलाया गया था जो योगाचार्य के कहने पर विभिन्न आसन कर के दिखाने लगता था। बहुत अच्छा लगा यह प्रोग्राम।
और प्रोग्राम को जिन लोगों ने पेश किया वे तो अपने काम में पारंगत हैं ही .......बस, उन से यही शिकायत है कि वे लोग किसी भी ई-मेल का जवाब नहीं देते....मुझे कभी यह बात समझ नहीं आई... लेकिन इन्हें दर्शकों की फीडबैक को भी ग्रेसफुली एक्नॉलेज चाहिए.....जिस भी माध्यम से यह मिल रही हो। वरना, दर्शक निरंतरता से जुड़ नहीं पाते, कटने लगते हैं.
और जाते जाते एक बात....प्रोग्राम बेहतरीन है, पेश करने वालों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी इसे इतने अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने में, आने वाले विशेषज्ञ अपने काम में बिल्कुल एक्सपर्ट.......इस सब के बावजूद हो सकता है कि आप इस प्रोग्राम में बताई गई कुछ बातें ही समझ पाएं......फिक्र नॉट.....बहुत सी बातें आप के सिर के ऊपर से ही निकल जाएंगी....अगर दो चार बातें भी मन में बस गईं...तो समझिए आप का कल्याण हो गया।
योगाचार्य ने भी तो इस कार्यक्रम के दौरान यही कहा कि आप कोई भी भाषा सीखते हैं तो शुरूआत तो वर्णमाला सीखने से ही करते हैं... है कि नहीं?....ऐसी भी क्या जल्दी है, इत्मीनान से धीरे धीरे सहजता से सीखते चलिए जाईए....पहले साधारण सी बातें, पहले साधारण से आसन....धीरे धीरे आगे बढ़ते जाईए......लेकिन एक बात जो मैं अकसर कहता हूं ..योगाचार्य महोदय ने भी कही कि कोई भी विद्या सीखने के लिए गुरू तो चाहिए ही होता है.....आप भी ये आसन वासन किसी योग गुरू से ही सीखिए.......टीवी पर उन्होंने हमें प्रेरित कर दिया, क्या यह कम है, मेरे जैसे आलसी ने बरसों बाद अपनी प्राणायाम् की चटाई ढूंढ ली! सोच रहा हूं कल से नियमित प्राणायाम् तो शुरू कर ही दूंगा और किसी योगाचार्य को भी ढूंढता हूं।
सरकारी मीडिया पर सेहत संबंधी जानकारी
विविध भारती के पिटारे से निकलने वाला सेहतनामा
जब भी मुझे याद रहता है या मैं जिस किसी रविवार को इस समय घर में रहता हूं तो इस कार्यक्रम को अवश्य देखता हूं।
आज सुबह भी बैठे बैठे ध्यान आया कि साढ़े आठ बजने वाले हैं...झट से डीडी न्यूज़ चैनल लगाया तो यह प्रोग्राम शुरु हो चुका था।
प्रोग्राम का विषय पढ़ कर लगा कि इस की कम से कम आडियो रिकार्डिंग ही कर लूं ...जिसे अपने किसी लेख में शेयर करूंगा....वही किया है...यू-ट्यूब पर अपलोड किया है....बस, ऐसे ही वीडियो बनाने की सूझी नहीं, ट्राईपॉड तो था ...इसलिए कोई दिक्कत नहीं होती।
ऐसा नहीं है कि ये चैनल वाले इस तरह के वीडियो अपने यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड नहीं करते....कुछ अरसा पहले मैंने चैक किया था तो पता चला था कि ये लोग किसी नियमितता से इन रिकार्ड किये हुए प्रोग्रामों को अपलोड नहीं करते....बाद में कभी भी ...कुछ काट देते हैं......यह सब इन की मरजी या सुविधा अनुसार होता है।
वैसे अगर आप इस चैनल का यू-ट्यूब चैनल चैक करेंगे तो पाएंगे कि बहुत से रिकार्ड किए हुए ऐसे प्रोग्राम सेहत संबंधित विभिन्न विषयों पर वहां धरे-पड़े हैं।
हां, तो आज के योग प्रोग्राम की तरफ़ आते हैं....मुझे एक ज़रूरी काम के लिए उस समय आज बाहर भी जाना था लेकिन मैंने उसे टाल दिया....और इस कार्यक्रम को देखता रहा।
संगत का असर देखिए कि आधा प्रोग्राम देखने के बाद मैंने स्टोर रूम में जाकर अपनी वह चटाई ढूंढी जिस पर बैठ कर मैं बहुत वर्षों तक प्राणायाम् किया करता था....मिल गई और पांच दस मिनट मैंने प्राणायाम् भी किया।
आज वाले इस टीवी प्रोग्राम को रिकार्ड कर के जो वीडियो मैंने बनाया है, उस को यहां नीचे एम्बेड कर रहा हूं...सुनिएगा...अच्छा लगेगा क्योंकि आप के लिए कुछ न कुछ तो ऐसा इस में है जो आप पहले से नहीं जानते और वह आपके लिए जानना ज़रूरी है।
इस तरह के प्रोग्राम जो सरकारी मीडिया पर दिखाए सुनाए जाते हैं...उन में मेरी बहुत अास्था इसलिए है कि इन का एक टके का भी कमर्शियल इंस्ट्रेस्ट नहीं होता और न ही हो सकता है। जिन लोगों को ये बुलाते हैं, वे देश के चुनिंदा विशेषज्ञ होते हैं।
अब आज के ही प्रोग्राम की उदाहरण लीजिए....अगर यह चैनल किसी रस्म-अदायगी की तरह ही एक कार्यक्रम कर रहा होता ...२१ जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले ..तो ये किसी भी योग सिखाने वाले को ढूंढ कर भी यह कार्यक्रम करवा सकते थे....लेिकन नहीं, इस कार्यक्रम में जिन लोगों ने शिरकत करी ...उन में से एक तो थे पतंजलि योग विद्यालय के योग विद्या विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर, दूसरे थे दिल्ली के एक प्रसिद्ध योग संस्थान के मुखिया और तीसरे डाक्टर साहब थे जो डी आर डी ओ संस्था से बुलाए गये थे...Defence Research and Development Organisation ....ये साहब योग के वैज्ञानिक पहलुओं की चर्चा कर रहे थे ....पहाड़ों एवं ग्लेशियरों पर तैनात फौजियों को योग कैसे मदद करता है...योग क्या वही लोग कर सकते हैं जो मांस मछली नहीं खाते हों, इन सब मुद्दों पर भी इन्होंने चर्चा करी। और हां, योग आसन कर के दिखाने के लिए एक योगाभ्यास करने वाले को भी बुलाया गया था जो योगाचार्य के कहने पर विभिन्न आसन कर के दिखाने लगता था। बहुत अच्छा लगा यह प्रोग्राम।
और प्रोग्राम को जिन लोगों ने पेश किया वे तो अपने काम में पारंगत हैं ही .......बस, उन से यही शिकायत है कि वे लोग किसी भी ई-मेल का जवाब नहीं देते....मुझे कभी यह बात समझ नहीं आई... लेकिन इन्हें दर्शकों की फीडबैक को भी ग्रेसफुली एक्नॉलेज चाहिए.....जिस भी माध्यम से यह मिल रही हो। वरना, दर्शक निरंतरता से जुड़ नहीं पाते, कटने लगते हैं.
और जाते जाते एक बात....प्रोग्राम बेहतरीन है, पेश करने वालों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी इसे इतने अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने में, आने वाले विशेषज्ञ अपने काम में बिल्कुल एक्सपर्ट.......इस सब के बावजूद हो सकता है कि आप इस प्रोग्राम में बताई गई कुछ बातें ही समझ पाएं......फिक्र नॉट.....बहुत सी बातें आप के सिर के ऊपर से ही निकल जाएंगी....अगर दो चार बातें भी मन में बस गईं...तो समझिए आप का कल्याण हो गया।
योगाचार्य ने भी तो इस कार्यक्रम के दौरान यही कहा कि आप कोई भी भाषा सीखते हैं तो शुरूआत तो वर्णमाला सीखने से ही करते हैं... है कि नहीं?....ऐसी भी क्या जल्दी है, इत्मीनान से धीरे धीरे सहजता से सीखते चलिए जाईए....पहले साधारण सी बातें, पहले साधारण से आसन....धीरे धीरे आगे बढ़ते जाईए......लेकिन एक बात जो मैं अकसर कहता हूं ..योगाचार्य महोदय ने भी कही कि कोई भी विद्या सीखने के लिए गुरू तो चाहिए ही होता है.....आप भी ये आसन वासन किसी योग गुरू से ही सीखिए.......टीवी पर उन्होंने हमें प्रेरित कर दिया, क्या यह कम है, मेरे जैसे आलसी ने बरसों बाद अपनी प्राणायाम् की चटाई ढूंढ ली! सोच रहा हूं कल से नियमित प्राणायाम् तो शुरू कर ही दूंगा और किसी योगाचार्य को भी ढूंढता हूं।
सरकारी मीडिया पर सेहत संबंधी जानकारी
विविध भारती के पिटारे से निकलने वाला सेहतनामा