अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में एक बार फिर से मोटापा कम करने वाली कुछ ऐसी दवाईयों की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट जारी की है जिन में कुछ ऐसे तत्व मौजूद हैं जो कि हमारी सेहत को बहुत बुरी तरह खराब कर सकते हैं।
मैं भी जब कभी बाज़ार वगैरा जाता हूं तो अकसर पेट कम करने वाले, वज़न कम करने वाले विज्ञापन स्कूटरों की स्टपनी के कवर पर प्रिंट हुये देखता ही रहता हूं और अकसर मेरा सुबह का हिंदी का अखबार भी मुझे इस तरह के करिश्माई नुस्खों की खबर देता ही रहता है। लेकिन मैं यह सोच कर, देख कर सकते में हूं कि चलो, हमारे यहां की तो बात क्या करें, हम लोगों की जान की तो कीमत ही क्या है, लोगों को उल्लू बनाना किसे के भी बायें हाथ का खेल है लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देश में भी अगर ये सब चीज़ें बिक रही हैं तो निःसंदेह यह एक बहुत संगीन मामला है।
मैं शायद पहले भी बता चुका हूं कि हमारी दूर की रिश्तेदारी में एक 35 वर्ष की महिला थी --- सेहत एवं सुंदरता की मूर्ति थी --- हम लोग छोटे छोटे से थे तो हमें उसे देख कर लगता था कि हमारी उस आंटी में और हेमा मालिनी में कोई फ़र्क ही नहीं है। लेकिन परिवार वाले बताते हैं कि उन्होंने मोटापा कम ( पता नहीं, उन की क्या परिभाषा थी मोटापे की ---हमें तो वह कभी भी मोटी नहीं लगीं) करने के लिये कुछ ऐसी ही दवाईयां खाईं थी जिस से वह अपनी भूख मार लिया करती थीं। बस, कुछ ही महीनों में उन्हें लिवर-कैंसर हो गया और देखते ही देखते वह चल बसीं।
हमारे देश में एक समस्या हो तो बतायें --- चलो, इस आंटी का तो हमें पता था कि इस ने कुछ दवाईयां खाईं थीं लेकिन अधिकतर तौर पर तो परिवार वालों तक को यह पता नहीं होता कि परिवार के सदस्य किस किस मर्ज़ के लिये किस किस सयाने के चक्करों में हैं। परेशानी की बात भी तो यही है कि ये झोलाछाप नीम-हकीम ( बिना किसी क्वालीफिकेशन के ही ) मरीज़ों को अपनी बातों में इस कद्र उलझा कर रखते हैं कि उन्हें उस के आगे कोई और दिखता ही नहीं है।
अब मेरा वह जुबान की कैंसर वाला मरीज़ जिस चमत्कारी इलाज का वायदा करने वाले शख्स के चंगुल में है वह उस से इतना ज़्यादा प्रभावित है कि कोई भी बात सुनने के लिये राज़ी ही नहीं है। वह तो उस झोलाछाप की इस अदा का ही कायल है कि बंदा हर समय मुंह में पान रखे रखता है और बार बार थूकता जाता है ----और साथ में कहता है कि वह भी बंदा क्या बंदा है, कोई टैस्ट ही नहीं करवाता , बस दो बातें करता है और अपने पैन को अपने नुस्खे पर घिसट देता है। इस बार तो मैंने उस मरीज़ को थोड़ा सख्ती से कह ही दिया था कि आप अपना समय नष्ट कर रहे हैं।
हां, तो बात हो रही थी --- वज़न कम करने वाली दवाईयों की जिन्होंने अमेरिका जैसे देश में हड़कंप मचा रखा है। समस्या इस तरह की दवाईयों में जो अमेरिका में भी दिखी वह यही थी कि इन दवाईयों की पैकिंग या लेबल पर अकसर यह ही नहीं बताया गया था कि इन में क्या क्या साल्ट मौजूद हैं. और इन तथाकथित दवाईयों का जब अमेरिका की सरकारी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने परीक्षण करवाया तो इन में कुछ इस तरह की दवाईयां मिलीं जिन के बारे में सुन कर आप भी परेशान हो जायेंगे।
इन तथाकथित मोटापा दूर भगाने वाली दवाईयों में कुछ गैर-कानूनी दवाईयां भी मौज़ूद थीं।
सिबूट्रामीन ( sibutramine) – इस दवा से भूख को दबाया जाता है और इसे केवल डाक्टर के नुस्खे द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। ये जो चालू किस्म की दवाईयों की लिस्ट अमेरिका में जारी की गई है इन में से कुछ में यह दवा बहुत ही ज़्यादा मात्रा ( much higher doses than maximum daily doses) में पाई गई।
फैनप्रोपोरैक्स ( Fenproporex) – एक ऐसा साल्ट है जिस की मार्केटिंग अमेरिका में हो ही नहीं सकती।
फ्लूयोएक्सटीन ( Fluoxetine) – इस दवाई को वैसे तो डिप्रेशन के मरीज़ों को ही दिया जाता है लेकिन अगर मोटापा कम करने वाली दवाईयों में भी यह मिला दिया जाये तो इस के क्या परिणाम हो सकते हैं, शायद इस की आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
ब्यूमीटैनाईड ( Bumetanide) – यह एक जबरदस्त डाययूरैटिक – potent diuretic- है जिसे केवल डाक्टर का नुस्खा दिखा कर ही प्राप्त किया जा सकता है। डाययूरैटिक वह दवाई होती है जिसे डाक्टर लोग विभिन्न प्रकार की जांच-वांच करने के बाद ब्लड-प्रैशर के रोगी को, दिल के मरीज़ को देते हैं ----अब अगर इस तरह की दवाई बिना वजह बिना किसी डाक्टरी सलाह के केवल मोटापा घटाने के लिये इस्तेमाल की जायेंगी तो इस के परिणाम कितने खौफ़नाक निकलेंगे, इस के बारे में कोई नॉन-मैडीकल बंदा क्या सोचेगा !!
रिमोनाबैंट ( rimonabant) – इस दवा की भी अमेरिका में मार्केटिंग नहीं हो सकती।
सैटिलिस्टैट ( cetilistat) – यह मोटापा कम करने वाली एक ऐसी दवा है जिस पर अभी भी प्रयोग ही हो रहे हैं और जिस की मार्केटिंग अमेरिका में हो नहीं सकती।
फैनीटॉयन ( phenytoin) – इस दवाई को मिर्गी के इलाज के लिये दिया जाता है लेकिन लालच के अंधे सिरफिरों ने इसे मोटापा कम करने वाली दवाईयों में ही झोंक दिया।
फिनोलथलीन ( phenolphthalein) – इस को कैमिस्ट्री के एक्सपैरीमैंट्स में इस्तेमाल किया जाता है और कैंसर उत्पन्न करने में इस की संदेहास्पद भूमिका है। इस की मिलावट भी वज़न कम करने वाली तथाकथित दवाईयों में पाई गई है।
अब अमेरिका की सरकारी संस्था ने तो सारे अमेरिका को तो सचेत कर दिया लेकिन मुझे कौन बतायेगा कि मोटापा कम करने वाले जिन इश्तहारों को मैं स्कूटरों की स्टपनी पर या हिंदी के अखबारों में रोज़ाना देखता हूं आखिर इन में क्या है ------ और मुझे पूरा यकीन है कि अगर अमेरिका में इन चालू किस्म की दवाईयों में खतरनाक किस्म की मिलावट है तो फिर हमारे यहां मिलने वाली दवाईयों में क्या क्या नहीं होगा। बेशक हमारे यहां तो स्थिति अमेरिका से तो बहुत ही बदतर होगी।
तो, फिर आज के पाठ से यही शिक्षा ले ली जाये कि कभी भी इन मोटापा कम करने वाली दवाईयों के चक्कर में न ही पड़ें तो ही ठीक है। लेकिन अगर किसी ने ठान ही ली है कि मोटापा कम करने के लिये दवाईयां लेनी ही हैं तो शहर के किसी topmost specialist ( फिज़िशियन) से मिल कर ही कोई भी फैसला करें।
और एक गुज़ारिश ---अगर किसी ने पहले इस तरह की दवाईयां खाई हुई हैं तो भी किसी फिज़िशियन से अपनी पूरी जांच अवश्य करवा लें।
जाते जाते अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का बहुत बहुत धन्यवाद तो अदा कर लें कि उन की इस तरह की कार्यवाई से सारे विश्व को सचेत हो जाने का एक अवसर तो मिल जाता है ----आगे सब लोग अपनी मरजी के मालिक हैं, अपना तो काम है बस एक सीटी बजा देना।