बुधवार, 31 दिसंबर 2014

अटल जी की शख्शियत... बिलेटेड शुभकामनाएं


अटल जी का जन्मदिन बीते एक सप्ताह होने वाला है.. इन की दीर्घायु के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं..

अटल जी के जन्मदिन वाले दिन (२५ दिसंबर) को दैनिक भास्कर में अटल जी की कहानी नाम से एक लेख प्रकाशित हुआ था... उस दिन मेरे पास लैपटाप नहीं था... मैंने एक कागज़ पर लिख कर, उसे एक तस्वीर के द्वारा व्हाट्सएप पर शेयर तो किया लेकिन उस फोटो की क्वालिटी बहुत खराब थी, मैंने सोचा आज उसे एक बार फिर से ब्लॉग पर शेयर करूं.....अटल जी जैसे महान् लोगों की बहुत सी बातें मन को छू जाती हैं.....

अखबार में छपे उस लेख से कुछ पंक्तियां उठा कर यहां आप के समक्ष रख रहा हूं...
देश के ३ सबसे गंभीर मौकों पर अटल जी...

१९८४ सिख दंगा
 जब दिल्ली की सड़कों पर कत्लेआम मचा था, तब अटल जी ने कहा था... "हमें हर हाल में सिखों को बचाना है। जो कतलेआम कर रहे हैं वे पाशविक्ता की पराकाष्ठा लांघ रहे हैं।"इस ब्यान से एक पक्ष नाराज़ हो गया। भाजपा चुनाव हार गई। अटलजी से कुछ नेताओं ने कहा --आपके बयान से ऐसा हुआ। तब अटल जी ने कहा - "मैं ऐसे दसियों चुनाव हार सकता हूं।"

१९९२ बाबरी विध्वंस 
१९८९ में आडवाणी की रथयात्रा का अटल जी ने विरोध किया। २५ सितंबर २००९ को आडवाणी ने मीडिया से कहा -- अटल जी खुद को लोकतांत्रिक दिखाना चाहते थे, लेकिन मैं सहमत नहीं था। १९९२ में बाबरी विध्वंस पर संसद में अटल जी ने कहा था उस उम्र में पार्टी छोड़ कर जा भी नहीं सकता। आज पार्टी जीत गई, लेकिन मैं हार गया।

२००२ गुजरात दंगे
बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात पहुंचे। पीड़ितों से मिले। इस दौरान उन्होंने संबोधन में मुख्यमंत्री मोदी को इशारों में राजधर्म निभाने की नसीहत दी। मोदी ने जवाब दिया-- मैं भी वही कर रहा हूं। अब अटल जी ने कहा - "मुझे उम्मीद है --मोदी जी राजधर्म निभा रहे हैं।"

(दैनिक भास्कर... २५ दिसंबर २०१४...अटल जी की कहानी) 

नामी बेकरियों के उत्पाद जांच में फेल


खबर आज की हिन्दुस्तान में प्रकाशित हुई है। कुछ बहुत ही प्रसिद्ध बेकरियों से सेंपल लिए गये थे....क्रिसमिस से दो दिन पहले। इन की जांच रिपोर्ट हो गई है।

राजधानी की कई नामी गिरामी बेकरियों में केक, पेस्ट्री व अन्य उत्पादों पर लगने वाली क्रीम में बड़ा खेल हो रहा है। बेकरियों में दूध क्रीम की जगह वनस्पति क्रीम का प्रयोग हो रहा है।

इस तरह से बेकरियां उपभोक्ताओं की जेब पर हाथ साफ करने के साथ ही उन की सेहत से भी खिलवाड़ कर रही हैं।
खाद्य आयुक्त के निर्देश पर क्रिसमस से पहले २२ दिसंबर को शहर की चार बेकरियों से केक, पेस्ट्री के ऊपर लगाने वाली क्रीम (टॉपिंग), चाकलेट, पनीर व बेकरी उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले रंग के नमूने लिये गये थे।

रिपोर्ट में क्रीम, चाकलेट व पनीर के नमूने फेल हुए उनमें गुड बेकरी, मिस्टर ब्राउन बेकरी, ए-वन बेकरी और जे जे बेकर्स शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार केसरबाग स्थित गुड बेकरी से लिए गए नॉन डेयरी टॉपिंग क्रीम चाकलेट व इसी तरह के क्रीम के दो नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे। क्रीम में वनस्पति चिकनाई (वेजीटेबल फैट) पाया गया है। अलीगंज स्थित मिस्टर ब्राउन बेकरी के चाकलेट के नमूने में वनस्पति फैट के साथ ही स्टार्च (माड़) मिला। कुर्सी रोड स्थित ए-वन बेकरी से लिए गए पनीर व नॉन डेरी क्रीम के नमूने भी फेल हो गए।

इस तरह की खबरें देख सुन कर यही लगता है कि मिलावट करने वाले कुछ चीज़ों को छोड़ेंगे भी कि नहीं, या फिर हमें ही एक एक कर के इन सब उत्पादों को भी त्याग देना होगा। यह सब कुछ पढ़ कर बहुत सिर दुःखता है कि अपने मुनाफ़े के लिए ये दुकानदार किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं।

अफ़सोसजनक.........देखना दोस्तो जितना हो सके, बच लेना, ये मिलावटखोर तो हमें बीमार....बहुत बीमार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

हंसते खेलते नन्हे पिल्ले को उठाना भी निर्दयता

आज व्हाट्सएप पर एक मित्र ने यह तस्वीर भेजी तो एकायक यही लगा कि यार, ये कोमल जीव क्या कर रहें हैं, कहीं ये झुलस न जाएं। डर सा लगा कि कहीं आग इन के पैरों को न छू ले।

अचानक दो दिन पहले का किस्सा याद आ गया....मैंने देखा कि कुछ छोटे छोटे पिल्ले एक गली में मस्ती कर रहे थे.. देख कर अच्छा लगा... मैंने देखा कि एक कबाड़ी ने उन में से एक पिल्ले को अपनी रेहड़ी के अागे टंगी टोकरी में रख लिया... मैं अचानक रूक गया....और इतना ही कहा कि क्यों कर रहे हो ऐसा! 

मेरे कहने के बाद पास ही धूप सेंक रही महिलाएं भी उसे कहने लगीं कि इसे मत ले कर जाओ। 

अचानक यह सब देख कर वह कबाड़ी थोड़ा सकपका सा गया....उसने तुरंत अपनी टोकरी से उसे निकाल कर नीचे रख दिया और खिसिया कर कहने लगा......"मैंने तो इसे पालने के लिए ले जा रहा था।"

ऐसा दृश्य मैंने पहली बार नहीं देखा और न ही आखिरी बार.....मुझे पता है कि उस दिन तो वह उसे नहीं ले गया, लेकिन फिर किसी दिन मौका मिले तो उठा कर ले जायेगा। 

मैंने कईं बार कुछ युवकों को भी इस तरह का अपहरण करते देखा है...जी हां, यह अपहरण ही है, क्या बात है अगर ये जीव बोल नहीं पाते!! मैं जब भी इस तरह की "वारदात"होते देखते हूं तो एक बार तो ज़रूर कूद पड़ता हूं। 

लेिकन जो भी इस तरह का काम करते हैं मुझे उन की क्रूरता पर बहुत गुस्सा आता है। 

हां, जब उस कबाड़ी ने मुझे कहा कि वह तो उस पिल्ले को पालने के लिए ही उठा रहा था तो एक बार तो मेरा भी मन तो किया कि उसे कहूं कि यह जो तुम्हारा बेटा (आठ-दस वर्ष का) है, उसे मैं भी अपने साथ लखनऊ ले जाऊं.......पालने के लिए.......तो तुम्हारे दिल पर क्या बीतेगी?

अगर अपने बेटे के बाहर जाने के नाम मात्र ले ही तुम्हें टीस होने लगी तो भाई, उस पिल्ले की मां और उस के दूसरे भाई-बहनों का भी अपने एक साथी को अचानक अपने बीच न पाकर उन के दिल पर क्या बीतती होगी, इस की कल्पना तुम कर ही नहीं सकते!! मैंने उसे इतना तो कहा कि जो खुशी इस पिल्ले को इन सब के साथ रह कर, मस्ती करने में मिल रही है, वह तुम्हारे पास न मिलेगी!!

 ये जानवर तो शायद अपने बच्चों को हम इंसानों से कहीं ज़्यादा प्यार करते हैं.....एक बार मैंने देखा एक दो साल पहले की बात है....सर्दी का मौसम था...छःसात पिल्लों की मां एक दिन सुबह अपने तीन चार मरे हुए पिल्लों के पास भाग भाग कर बिल्कुल पगली सी देख रही थी ...उन्हें मुंह से पकड़ पकड़ कर देख रही थी....जब उन में कोई हिल-डुल न देखती तो बिल्कुल बदहवास ही..पगली सी हो कर इधर उधर भागने लगती.....यह बहुत दर्दनाक मंजर था। 

अरे भाई, अगर इंसान का बच्चा स्कूल से पांच मिनट लेट हो जाए तो मां-बाप परेशान हो उठते हैं , है कि नहीं?....तो फिर जानवर है तो क्या है, दिल तो बाबू एक जैसा ही धड़कता है। 

काश, हम लोग धार्मिक पाखंडबाजियों और बाबाओं के चक्कर में पड़ें नहीं, और बस ईश्वर से यही दुआ किया करें कि हमें संवेदनशील बनाए रखे, किसी दूसरे के दर्द को महसूस करने का जज्बा कायम रख पाएं............आमीन!.....बाकी सभी तरह के आडंबरों से कुछ हासिल नहीं!!