कल के पेपर में यह खबर देख कर चिंता हुई कि हरियाणा में पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनों का किस तरह से दुरूपयोग हो रहा है और किस तरह से दोषियों की धर-पकड़ जारी है... Haryana drive against female foeticide.
इन मशीनों के बारे में जानने के लिए चार वर्ष पुराने मेरे इस लेख के लिंक पर क्लिक करिए... आ गया है..पाकेट साइजड अल्ट्रासाउंड। और फिर उस के बाद जब महाराष्ट्र ने इन मशीनों पर प्रतिबंध लगा दिया तो भी यही ध्यान में आ रहा था कि इस तरह की मशीनों के दुरूपयोग का अंदेशा तो बना ही रहेगा।
अब हरियाणा में जन्म से पूर्व शिशु के सैक्स का पता करने हेतु इस तरह की मशीनों के अंधाधुंध प्रयोग से प्रदेश में सैक्स अनुपात पर कितना बुरा असर पड़ेगा, यह चिंता का विषय तो है ही।
खबर में आप देख सकते हैं कि इस तरह की मशीनें चीन से लाई जा रही हैं और फिर इन का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। बात यह भी है कि क्या इस तरह के गोरखधंधे हरियाणा में ही हो रहे हैं या फिर वहां इस का गंभीरता से संज्ञान लिया गया है और कार्यवाही की जा रही है। ऐसा कैसे हो सकता है कि देश के अन्य क्षेत्र इस के दुरूपयोग से बच पाए हों?
वैसे यह कोई नई बात नहीं है, जब इस तरह की मशीनें चार वर्ष पहले बाज़ार में आईं तो ही लग रहा था कि इन का दुरूपयोग भी ज़रूर होगा।
बड़ी दुःखद बात है कि कुछ तत्व बढ़िया से बढ़िया आविष्कार को भी अपने निजी स्वार्थ के लिए बदनाम कर देते हैं.....जो उपकरण बनते हैं मानवता के कल्याण के लिए उन्हें की मानवता के ह्ास के लिए इस्तेमाल किया जाने लगता है।
सोचने वाली बात यह भी है कि अब हर बात का दोष सरकार के माथे थोप देने से भी नहीं चलने वाला.......सरकारी कर तो रही है अल्ट्रासाउंड सैंटरों पर सख्ती, मीडिया में खबरें दिखती ही रहती हैं कि किस तरह से विभिन्न सैंटरों पर छापेमारी की जाती है, इन सैंटरों को सील किया जाता है, और दोषी डाक्टरों तक के ऊपर केस चलाए जाते हैं।
लेिकन अब सब से चिंता का विषय यह है कि सैंटरों की भी ज़रूरत नहीं, इस तरह की पोर्टेबल मशीनें जेब में डाल कर इन का कितनी आसानी से दुरूपयोग किया जा रहा है। अब सरकारें किस किस की जेब में घुसें....सच में बड़ी सिरदर्दी है। यही दुआ की जाए कि लोगों को ही ईश्वर सद्बुद्धि प्रदान करे ताकि वे इस तरह के कुकृत्यों से बच सकें। आमीन !!
इन मशीनों के बारे में जानने के लिए चार वर्ष पुराने मेरे इस लेख के लिंक पर क्लिक करिए... आ गया है..पाकेट साइजड अल्ट्रासाउंड। और फिर उस के बाद जब महाराष्ट्र ने इन मशीनों पर प्रतिबंध लगा दिया तो भी यही ध्यान में आ रहा था कि इस तरह की मशीनों के दुरूपयोग का अंदेशा तो बना ही रहेगा।
अब हरियाणा में जन्म से पूर्व शिशु के सैक्स का पता करने हेतु इस तरह की मशीनों के अंधाधुंध प्रयोग से प्रदेश में सैक्स अनुपात पर कितना बुरा असर पड़ेगा, यह चिंता का विषय तो है ही।
खबर में आप देख सकते हैं कि इस तरह की मशीनें चीन से लाई जा रही हैं और फिर इन का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। बात यह भी है कि क्या इस तरह के गोरखधंधे हरियाणा में ही हो रहे हैं या फिर वहां इस का गंभीरता से संज्ञान लिया गया है और कार्यवाही की जा रही है। ऐसा कैसे हो सकता है कि देश के अन्य क्षेत्र इस के दुरूपयोग से बच पाए हों?
वैसे यह कोई नई बात नहीं है, जब इस तरह की मशीनें चार वर्ष पहले बाज़ार में आईं तो ही लग रहा था कि इन का दुरूपयोग भी ज़रूर होगा।
बड़ी दुःखद बात है कि कुछ तत्व बढ़िया से बढ़िया आविष्कार को भी अपने निजी स्वार्थ के लिए बदनाम कर देते हैं.....जो उपकरण बनते हैं मानवता के कल्याण के लिए उन्हें की मानवता के ह्ास के लिए इस्तेमाल किया जाने लगता है।
सोचने वाली बात यह भी है कि अब हर बात का दोष सरकार के माथे थोप देने से भी नहीं चलने वाला.......सरकारी कर तो रही है अल्ट्रासाउंड सैंटरों पर सख्ती, मीडिया में खबरें दिखती ही रहती हैं कि किस तरह से विभिन्न सैंटरों पर छापेमारी की जाती है, इन सैंटरों को सील किया जाता है, और दोषी डाक्टरों तक के ऊपर केस चलाए जाते हैं।
लेिकन अब सब से चिंता का विषय यह है कि सैंटरों की भी ज़रूरत नहीं, इस तरह की पोर्टेबल मशीनें जेब में डाल कर इन का कितनी आसानी से दुरूपयोग किया जा रहा है। अब सरकारें किस किस की जेब में घुसें....सच में बड़ी सिरदर्दी है। यही दुआ की जाए कि लोगों को ही ईश्वर सद्बुद्धि प्रदान करे ताकि वे इस तरह के कुकृत्यों से बच सकें। आमीन !!