कुछ महीने पहले टीवी पर एक फिल्म आ रही थी ---बच्चों से पता चला कि यह हिंदी फिल्म डोर है। मुझे यह फिल्म बेहद पसंद है। यह फिल्म बहुत से संदेश लिये हुये है। अगर आपने अभी तक नहीं देखी तो ज़रूर देखिये।
एक फिल्म है --वैल-डन अब्बा --- कुछ दिन पहले अंग्रेज़ी के अखबार दा हिंदु में इस का एक अच्छा सा रिव्यू पढ़ा था। मैं जगह जगह जो फिल्म की समीक्षा छपती रहती है उन पर तो इतना भरोसा नहीं करता लेकिन अगर दा हिंदु में किसी फिल्म के बारे में अच्छा लिखा होता है तो फिर मैं उसे ज़रूर देखता हूं।
तो, फिर वैल-डन अब्बा फिल्म देख ही ली। मुझे यह फिल्म बहुत ही पसंद आई है। इस की स्टोरी मैं आप को बताना नहीं चाहता क्योंकि मैं चाहता हूं कि इसे आप ज़रूर देखें। इस में भी श्याम बेनेगल में बहुत से सामाजिक मुद्दों की तरफ़ पब्लिक का ध्यान खींचा है। एक तो यह है कि किस तरह से भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी फैल चुकी हैं। लोगों को सूचना का अधिकार इस्तेमाल करने के लिये भी प्रेरित किया गया है। अरब देशों के अमीर किस तरह से छोटी छोटी उम्र की मासूम लड़कियों को इस्तेमाल कर के छोड़ देते हैं ---ये सब समस्यायें बेहद प्रभावपूर्ण ढंग से दिखाई-समझाई गई हैं। लेकिन कैसे भी हो, इसे आप भी ज़रूर देखिये और फिर इस के बारे में अपने विचार शेयर करिये।
एक फिल्म है --वैल-डन अब्बा --- कुछ दिन पहले अंग्रेज़ी के अखबार दा हिंदु में इस का एक अच्छा सा रिव्यू पढ़ा था। मैं जगह जगह जो फिल्म की समीक्षा छपती रहती है उन पर तो इतना भरोसा नहीं करता लेकिन अगर दा हिंदु में किसी फिल्म के बारे में अच्छा लिखा होता है तो फिर मैं उसे ज़रूर देखता हूं।
तो, फिर वैल-डन अब्बा फिल्म देख ही ली। मुझे यह फिल्म बहुत ही पसंद आई है। इस की स्टोरी मैं आप को बताना नहीं चाहता क्योंकि मैं चाहता हूं कि इसे आप ज़रूर देखें। इस में भी श्याम बेनेगल में बहुत से सामाजिक मुद्दों की तरफ़ पब्लिक का ध्यान खींचा है। एक तो यह है कि किस तरह से भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी फैल चुकी हैं। लोगों को सूचना का अधिकार इस्तेमाल करने के लिये भी प्रेरित किया गया है। अरब देशों के अमीर किस तरह से छोटी छोटी उम्र की मासूम लड़कियों को इस्तेमाल कर के छोड़ देते हैं ---ये सब समस्यायें बेहद प्रभावपूर्ण ढंग से दिखाई-समझाई गई हैं। लेकिन कैसे भी हो, इसे आप भी ज़रूर देखिये और फिर इस के बारे में अपने विचार शेयर करिये।