आज विविध भारती के सेहतनामा प्रोग्राम में जीवनशैली से संबंधित बहुत सी बातें रिवाईज़ करने का अवसर मिला..
कार्यक्रम में विविध भारती ने बंबई के पोद्दार मैडीकल कालेज के प्रिंसीपल को बुलाया था...एक घंटे का प्रोग्राम था।
मुझे बहुत सी बातें फिर से याद आ गईं ...सुबह उठ कर पानी पीने की...दिन में ना सोने की..
जैसे हम लोग अपनी पसंद की फिल्म या गीत बार बार देखते सुनते हैं, उसी तरह से इन विद्वजनों को भी निरंतर सुनना बहुत ज़रूरी है, पता नहीं कौन सी बात कब मन में बस जाए।
ये विशेषज्ञ जब बोलते हैं तो अपने जीवन भर का ज्ञान बांट देते हैं...काश, हम लोग इन की बातों को अपने मन में बसा लिया करें।
मैं ऐसा बहुत बार सोचता हूं कि विविध भारती के इस तरह के प्रोग्रामों का एक आर्काईव होना चाहिए..आज की युवा पीढ़ी फास्ट है, कनेक्टेड है, ताकि वे लोग कभी भी इन से लाभ उठा सकें।
मैंने तो कुछ साल पहले विविध भारती को वॉयरलैस सुनने के लिए एल जी का फोन लिय़ा था, इसी काम के लिए...बाद में पता चला कि उस पर रेडियो के प्रोग्राम रिकार्ड भी हो जाया करते थे जिन्हें मैं अकसर अपने इसी ब्लॉग में शेयर भी कर चुका हूं.. अब वह मोबाइल खराब है...आज इच्छा हुई कि इस सेहतनामा प्रोग्राम को अपने मोबाइल से ही रिकार्ड कर लूं..यही किया ..पेशेखिदमत है एक छोटा सा प्रयास...
मेरे विचार में इन लोगों की बातें बार बार सुननी चाहिए...
आज कल बाज़ार में आम अभी कच्चे ही मिल रहे हैं..हम भी ले आये थे , दो दिन पहले..हापुस कह कर उस पट्ठे ने दे तो दिए..लेकिन उन्हें खाते ही दांत किटकिटाने लगते हैं...लेिकन अब पता चला कि कच्चे आमों को पकाने का एक सरल उपाय भी है ..आप भी जानेंगे?
इस रेडियो प्रोग्राम को आप तक लाने में बड़ी मेहनत लगती है ..समय भी बहुत लगता है...आप भी रेडियो सुना करिए...कमाल का दोस्त है यह विविध भारती भी...हां, एक बात कहना तो भूल ही गया कि इस प्रोग्राम के दौरान आप डाक्टर साहब की पसंद के कुछ गीत भी सुनेंगे....डा साहब की पसंद तो बड़ी आधुनिक निकली ..जैसे वह अपनी बातचीत में वात्-पित्त-कफ को बेलेंस करने की बात दोहरा रहे थे, मैं भी सोच रहा हूं कि कार्यक्रम के दौरान आज कल के तेज़-तर्रार फिल्मी गानों की जो खुराक मिली है उसे भी बेलेंस कर लेते हैं....हमारे दिनों का एक सुपरहिट गीत सुन कर ... हाल क्या है दिलों का ना पूछो सनम!! दरअसल यह गीत मुझे अभी नज़र आ गया मेरी किसी पुरानी पोस्ट पर पड़ा हुआ... आप भी सुनिए...
कार्यक्रम में विविध भारती ने बंबई के पोद्दार मैडीकल कालेज के प्रिंसीपल को बुलाया था...एक घंटे का प्रोग्राम था।
मुझे बहुत सी बातें फिर से याद आ गईं ...सुबह उठ कर पानी पीने की...दिन में ना सोने की..
जैसे हम लोग अपनी पसंद की फिल्म या गीत बार बार देखते सुनते हैं, उसी तरह से इन विद्वजनों को भी निरंतर सुनना बहुत ज़रूरी है, पता नहीं कौन सी बात कब मन में बस जाए।
ये विशेषज्ञ जब बोलते हैं तो अपने जीवन भर का ज्ञान बांट देते हैं...काश, हम लोग इन की बातों को अपने मन में बसा लिया करें।
मैं ऐसा बहुत बार सोचता हूं कि विविध भारती के इस तरह के प्रोग्रामों का एक आर्काईव होना चाहिए..आज की युवा पीढ़ी फास्ट है, कनेक्टेड है, ताकि वे लोग कभी भी इन से लाभ उठा सकें।
मैंने तो कुछ साल पहले विविध भारती को वॉयरलैस सुनने के लिए एल जी का फोन लिय़ा था, इसी काम के लिए...बाद में पता चला कि उस पर रेडियो के प्रोग्राम रिकार्ड भी हो जाया करते थे जिन्हें मैं अकसर अपने इसी ब्लॉग में शेयर भी कर चुका हूं.. अब वह मोबाइल खराब है...आज इच्छा हुई कि इस सेहतनामा प्रोग्राम को अपने मोबाइल से ही रिकार्ड कर लूं..यही किया ..पेशेखिदमत है एक छोटा सा प्रयास...
मेरे विचार में इन लोगों की बातें बार बार सुननी चाहिए...
आज कल बाज़ार में आम अभी कच्चे ही मिल रहे हैं..हम भी ले आये थे , दो दिन पहले..हापुस कह कर उस पट्ठे ने दे तो दिए..लेकिन उन्हें खाते ही दांत किटकिटाने लगते हैं...लेिकन अब पता चला कि कच्चे आमों को पकाने का एक सरल उपाय भी है ..आप भी जानेंगे?
मैं भी इस फार्मूले से पूर्णतः सहमत हूं और इस की सिफारिश करता हूं.. भाषण किसे काम तो आया!! |