गुरुवार, 17 अगस्त 2017

स्वाईन फ्लू की रोकथाम कितनी आसान है!

वैसे तो सोशल मीडिया पर नींद खुलने से लेकर रात होने तक सारा दिन कुछ भी ठेला जाता है ...मैं इन सब से इतना ऊब चुका हूं कि लगभग ९० से ९५ प्रतिशत माल तो कभी खोलता ही नहीं...और पढ़ना भी नहीं हो पाता..इन की सच्चाई के ऊपर प्रश्नचिंह भी लगा रहता है ...और जहां तक ज्ञान की बातें हैं...वे भी इस उम्र तक अपने हिस्से की सीख ही चुके हैं...अब और नहीं चाहिए, कासा भर चुका है...ज़रूरत है तो बस अमल की ...जिस में अभी तक शून्य हूं...

लेकिन सोशल मीडिया पर कईं बार ऐसे संदेश आते हैं..जिन्हें आप तुरंत प्रसारित करना चाहते हैं...क्योंकि आप मैसेज भेजने वाले किसी डाक्टर मित्र को चालीस वर्षों से जानते हैं, आप को पता है कि वह बंदा बिल्कुल नो-नॉन सैंस तरह का है ...और वह किसी अन्य विशेषज्ञ की कही हुई कोई खा़स बात लिख रहा है तो फिर तो आप उस बात को अच्छे से पढ़ते हैं और एक एक शब्द का ध्यान रखते हुए उस का अनुवाद भी करने की कोशिश करते हैं....

ऐसा ही एक मैसेज मेरे एक डाक्टर मित्र ने कल फेसबुक पर स्वाईन फ्लू की रोकथाम के बारें में एक पोस्ट शेयर की थी...मैंने सोचा कि उसे आप सब के साथ एक ब्लॉग-पोस्ट के माध्यम से शेयर किया जाए.... (यह संदेश भी इंगलिश में था, मैंने उस को हिंदी में शेयर करने की यहां कोशिश की है...ज़रूरी लगा!)



स्वाईन फ्लू की इंफेक्शन के प्रवेश के दो ही रास्ते हैं... नथुने (nostrils) एवं मुंह/गला। हम लोग जितनी भी सावधानियां बरत लें लेकिन जब इस तरह का इंफेक्शन विश्व स्तर पर ही चल रहा हो तो H1N1 वॉयरस के संपर्क में आने से बच पाना लगभग नामुमकिन है, यह बात ध्यान से याद रखने योग्य है। एक बात ज़ेहन में और भी रखिए कि इस वॉयरस के संपर्क में आना इतना चिंता का कारण नहीं है, जितनी यह बात कि इस से संपर्क में आने के बाद इन वॉयरस पार्टिकल्स का तेज़ रफ़्तार से बढ़ना...

जब तक आप स्वस्थ हैं और आप में एच१एन१ इंफेक्शन के कोई लक्षण मौजूद नहीं हैं, तब भी इस वॉयरस की संख्या को बढ़ने से रोकने के लिए, लक्षण पैदा होने की रोकथाम हेतु और इस इंफेक्शन के साथ दूसरी तरह की मौकापरस्त इंफेक्शन (secondary infections) से बचने के लिए कुछ बिल्कुल साधारण से उपाय अपनाए जा सकते हैं... (अधिकतर सरकारी चिट्ठीयों में इन मामूली लेकिन बेशकीमती उपायों के बारे में लोगों को कम जागरुक किया जाता है)...सारा ध्यान बस N95 फेस मॉस्क और टैमीफ्लू के स्टॉक पर ही नहीं लगाए रखना चाहिए...

१. बार बार हाथ धोएं (इसे सरकारी संदेशों में रेखांकित किया जाता है)

२. हाथों को चेहरे से दूर ही रखें- जितनी भी तलब लगे, अपने हाथों को चेहरे पर बिना वजह न लगाते रहें...खाना, नहाना और चांटा लगाना इस के अपवाद हैं। (यह चांटा भी उस पोस्ट में लिखा हुआ है, इसे मैं नहीं जोड़ रहा हूं) हा हा हा हा हा...

३. नमक वाले गुनगुने पानी से दिन में दो बार गरारे करते रहें (अगर आप को नमक पर भरोसा नहीं है तो लिस्ट्रिन भी इस्तेमाल कर सकते हैं) ...एच१एन१ इंफेक्शन को गले अथवा नाक में शुरूआती इंफेक्शन के बाद पनपने और लक्षण पैदा करने के लिए दो तीन दिन का समय चाहिए होता है। साधारण से लगने वाले नमक वाले पानी के गरारे इस वॉयरस को आगे पनपने नहीं देते। आप इस बात को गांठ बांध लीजिए कि इस गुनगुने नमकीन पानी का सेहतमंद बंदे के ऊपर वैसा ही असर होता है जैसा कि किसी संक्रमित व्यक्ति के ऊपर टैमीफ्लू नामक दवाई का होता है ...इसलिए इस तरह के साधारण, आसानी से उपलब्ध और बेहद असरकारक उपायों को कम मत आंकें....ये भी बड़े काम की चीज़ें हैं..

थोड़ा मैं भी तड़का लगाता चलूं....आज सुबह यह गीत सुना है टीवी पर बहुत अरसे के बाद ...वही ज़ेहन में था....अचानक लगा कि अमिताभ नहीं यह बात नमक वाला गुनगुना पानी ही कह रहा हो कि हम हैं बड़े काम की चीज!!


४.हर रोज़ गुनगुने नमक वाले पानी से अपने नथुने ज़रूर साफ़ करें.. हरेक बंदा तो जल नेती और सूत्र नेति (जो नथुनों की सफ़ाई के लिए बहुत उम्दा योग क्रियाएं हैं) कर नहीं पाता, लेकिन नाक को थोड़ा ज़ोर लगा के (कह कहते हैं पंजाबी में सिड़कना या सुकड़ना) दिन में एक बार साफ़ करना और अपने नथुनों में नमकीन गुनगुने पानी में भीगी हुईं कॉटन-बड्स को हल्के से फेर देना भी वॉयरस की संख्या को कम करने का बेहद असरदार एवं सुगम तरीका है..

५. अपनी अच्छी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बनाए रखिए... उन सब खाद्य पदार्थों के सेवन से जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है.. (आमला, सिटरेस ग्रुप के फलों के सेवन से).....लेकिन अगर आप को विटामिन सी के लिए भी सप्लीमैंट्स ही लेने पड़ रहे हैं तो सुनिश्चित कीजिए कि उस में जिंक भी हो ताकि वह शरीर में अच्छे से जज़्ब (absorption) हो सके। 

६. जितना चाहें गर्म पेय लीजिए (चाय, काफी)....(यह इंफेक्शन के सीज़न तक ही लागू होता है....बाकी तो आप सब समझते हैं..) इस बात को समझिए कि गर्म पेय पदार्थों को पीने से भी गरारे करने जैसा ही अच्छा असर होता है लेकिन उलट दिशा में ...इन गर्म पेय पदार्थों से तेज़ी से पनप रहे वॉयरस के जीवाणु  गले से पेट की तरफ़ सरक जाते हैं जहां पर ये संख्या में बढ़ना तो दूर, ज़िदा ही नहीं रह पाते...इसलिए इंफेक्शन से बचाव हो जाता है। 

 मुझे तो यह लेख बहुत उपयोगी लगा ...मैं इस में लिखी बातों पर ध्यान दूंगा....विशेषकर अकेले बैठे हुए यह जो नाक वाक में कभी उंगली डाल लेने की गंदी आदत है, मुझे इसे रोकना होगा, गरारे भी किया करूंगा और हां, नथुने रोज़ाना साफ़ करने वाली बात भी मैं अाज से शुरू करूंगा... How foolishly we take everything for granted, including our own health!

सोशल मीडिया पर भी दोस्त कभी कभी बहुत काम की बातें शेयर करते हैं....उम्मीद है आप भी इस से फ़ायदा लेंगे...

मेरी तरफ़ से सारी कायनात के लिए आज की यह अरदास....आज मैंने छुट्टी ली है, एक दो लोकल काम हैं...इसलिए अभी सुबह थोड़ी फुर्सत लगी तो यह लिख लिया ....हो सके या अगर आप को लगे कि आप के किसी अपने या बेगाने के लिए भी ये छोटी छोटी बातें काम की हो सकती हैं तो शेयर करिएगा...