शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

डाक्टरी नुस्खे की दो कापियां करेंगी जादू ?

जी हां, आज की टाइम्स ऑफ इंडिया में यही खबर छपी है .. Now, two prescriptions to buy medicines. दरअसल, मैंने जब यह समाचार देखा कि यह तो इंदौर से संबंधित है तो मुझे लगा कि इस का भी संबंध उस लड़कियों को लड़के बनाने वाले लफड़े से ही होगा, लेकिन नहीं, यहां कुछ दूसरा मसला था।

इंदौर की पुलिस के मुताबिक आज कल के मुजरिम कोई भी बड़ी वारदात अंजाम देने से पहले कैमिस्ट के यहां से आसानी से मिल जाने वाली दवाईयों को इस्तेमाल कर के बेखौफ़ हो जाते हैं। दवाईयों की जिस लिस्ट को अखबार में छपा गया, वह यह थी –Alprazolam, Diazepam, Oxazepam, Nitrazepam, Clobazepam, Flurarepam, Pentozocine, Clobazam, Chlordiazepoxide, Midazolam, Lorazepam.

यह दवाईयां अवसाद (anti-depressant), मूड को दुरूस्त रखने के लिये (mood elevators), मन को शांत रखने के लिये ( sedatives) इस्तेमाल की जाती हैं.. इन में से दौरों के लिये इस्तेमाल की जाने वाली दवाई भी है।
इन में से कुछ दवाईयां ऐसी हैं जिन्हें अगर शराब के साथ ले लिया जाए तो नशा कईं गुणा बढ़ जाता है। दरअसल ये दवाईयां उस लिस्ट में आती हैं जिन्हें डाक्टरी नुस्खे के बिना कैमिस्ट के यहां से खरीदा ही नहीं जा सकता।

अब इंदौर में ऐसा प्रबंध सुनने में आया है जो कि पुलिस ने इंडियन मैडीकल एसोशिएशन की सहमति से एक व्यवस्था शुरू की है जिस के अंतर्गत अब इन दवाईयों को लेने के लिये चिकित्सक नुस्खे की दो कापियां बनाया करेंगे, एक कापी मरीज़ के पास रहेगी, दूसरी कैमिस्ट के द्वारा जमा कर ली जाया करेगी।

और 1 अगस्त 2011 से पुलिस इन कैमिस्टों का औचक निरीक्षण किया करेगी ---अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जायेगा तो केस रजिस्टर किये जाएंगे।

आप को कैसे लगा यह खबर पढ़ कर –पता नहीं टाइम्स की साइट से यह खबर क्यों गायब है, चलिये इस व्यवस्था पर टिप्पणी करने से पहले इंदौर को अपनी शुभकामनाएं तो भेंट कर दें कि काश, वह शहर कुछ ऐसी उदाहरण पेश कर सके जिसका देश भर में अनुसरण किया जा सके।

लेकिन मुझे हमेशा से यही लगता रहा है कि कैसे डाक्टरी नुस्खे से ही दवाई हासिल की जाती होगी ---वैसे हकीकत क्या है, किस तरह से कोई भी दवाई कोई भी कहीं से कैसे भी हासिल कर सकता है।

मुझे हमेशा से यही लगता है कि अगर किसी के पास एक नुस्खा है भी तो कैमिस्ट के पास क्या प्रूफ़ है कि उस ने डाक्टरी नुस्खे के आधार पर वो दवाईयां दी हैं, लेकिन वह भी इतनी माथापच्ची क्यों करे क्योंकि यहां पर दवाईयों की कैश-मीमो तक लेने का रिवाज ही नहीं है।

एक नुस्खे को बीसियों कैमिस्टों को बीसियों जगह से कोई भी दवा हासिल की जा सकती है, कोई शक ? हम लोग अकसर यह भी देखते सुनते और पढ़ते रहते हैं कि कुछ लोगों की लापरवाही से किस तरह यह नशों का धंधा किस तरह से फल-फूल रहा है।

मुझे यह खबर पढ़ कर यह भी हैरानी हुई कि क्या पुलिस वाले भी कैमिस्ट की दुकानों पर जा कर चैकिंग कर सकते हैं, जैसा कि इस खबर में बताया गया है। जहां तक मुझे जानकारी है यह काम तो ड्रग –इंस्पैक्टर करते हैं, लेकिन पता नहीं अब क्या नये नये नियम बन रहे हैं।

कितना सही हो , अगर सब लोग अपना अपना काम सही ढंग से करें – न ही बिना ज़रूरत के इस तरह के खतरनाक नुस्खे लिखे ही जाएं, न ही ये नशे बेचे जाएं , न ही इन्हें बिना वजह खाया जाए ... वही बात है ..wishful thinking .... लेकिन अगर नशे करने वाला ही यही समझ ले कि सब से ज़्यादा तो वही अपना नुकसान किये जा रहा है, मौत को बुलावा दे रहा है, नियमों का क्या है, बनते रहेंगे, टूटते रहेंगे..............काश, इस व्यवस्था को सुचारू किया जा सके। लेकिन मुझे लगता है कि इस कोढ़ का इलाज इतना आसान नहीं है कि दो नुस्खे बनने से और पुलिस के सरप्राइज़ चैक से ही सब लोग अच्छे बच्चे बन जाएंगे ..... इस समस्या के अनेकों पहलू हैं जो बुरी तरह से गुथे हुये हैं... जिन को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

नसबंदी करवाओ, नैनो पाओ....

आज की टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर देख कर – Get Sterilised in Raj, drive home a Nano- ( पता नहीं यह खबर टाइम्स आफ इंडिया की साइट से कैसे गायब हो गई है, मेरे सामने प्रिंट एडिशन में तो यह बरकरार है....thank God, otherwise my credibility would have been at stake!!) एक बार तो लगा कि यार, यह क्या हो रहा है, जो मामला दो-चार-पांच सौ रूपये के इनाम से सुलट जाया करता था उस के लिये अब नैनो कार देने की नौबत आ गई... यही लगा कि अगर इस तरह से नैनो बांटी जाने लगेंगी तो खजाने खाली हो जाएंगे। लेकिन हमेशा की तरह खबर के शीर्षक की वजह से मैं एक बार फिर से बेवकूफ़ बन गया।

खबर पढ़ी तो माजरा समझ में आया कि यह तो भाई कूपन वूपन वाला मामला है। जैसे आयकर से छूट के लिये हम लोग राष्ट्रीय बचत पत्र खरीदते थे – उस के साथ इस तरह की गाड़ियों आदि के कूपन मिलते थे --- बहुत वर्षों बाद एक ऐसी ही लाटरी में अपनी भी एक चादर निकल गई थी। हां, तो नसबंदी वाली बात पर लौटते हैं ....खबर तफ़सील से पढ़ने पर पता चला कि जो लोग 1जुलाई से 30 सितंबर 2011 तक नसबंदी करवाएंगे, उन्हें एक कूपन दिया जाएगा। और बाद में इनामों के लिये लाटरी निकाली जाएगी ... और इनामों की लिस्ट यह है ...
  • एक नैनो कार
  • पांच मोटरसाइकिल
  • 21इंच के पांच कलर टीवी
  • सात मिक्सर ग्राईंडर
हां, खबर तो सुबह पढ़ी ही थी ...लेकिन आज शाम को जैसे ही बीबीसी की साइट पर आया तो वहां पर भी यही हैड-लाइन देख कर हैरान रह गया India- Rajasthan in 'Cars for sterilisation' drive - यही सोच रहा हूं कि हिंदोस्तान भी किन किन कारणों से अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है।
इस के बारे में आप की क्या राय है?
PS... समझ नहीं पा रहा कि टाइम्स की साइट से इसे क्यों हटा दिया गया है जब कि हैडलाइन्स कायम है।