शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

तंबाकू उत्पादों के प्लास्टिक पाउचों में बिकने पर प्रतिबंध

आज मुझे दा हिंदु में यह खबर पढ़ कर बहुत खुशी हुई .. Plea for postponing ban on tobacco products in plastic pouches rejected. वैसे तो आज छुट्टी का दिन था, बिल्कुल आलसी सी सुबह ...लेकिन यह खबर पढ़ कर इतनी ताज़गी महसूस हुई कि सोच में पढ़ कर अगर खबर से ही इतनी खुशी मिली है तो 1 मार्च से जब यह प्रतिबंध लागू हो जायेगा तब मैं अपनी खुशी को कैसे संभालूंगा !

नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक हैल्थ ने एक विस्त्तृत रिपोर्ट में कहा है कि भारत में मुंह के कैंसर के लगभग 90 प्रतिशत केस तंबाकू के विभिन्न उत्पादों की वजह से होते हैं और खौफ़नाक बात यह भी है कि अब स्कूली बच्चे भी इस लत की चपेट में आ चुके हैं।

अच्छा एक बात है कि आप शायद सोच रहे होंगे कि अब ये सब उत्पाद प्लास्टिक पाउच में नहीं बिकेंगे, इस से भला मैं क्या इतना खुश हूं ... तो जानिए ......

  • -- सब से पहले तो यह है कि जब इतना प्लास्टिक इस तरह के उत्पादों की पैकिंग के लिेये इस्तेमाल नहीं होगा तो अपने आप में यह एक पर्यावरण के संरक्षण के लिये अनुकूल कदम है। इस तरह का नियम बनाने वालों को हार्दिक बधाई। 
  • -- ऐसा मैंने कहीं पढ़ा था कि प्लास्टिक पाउच की वजह से कुछ ऐसे तत्व भी इन उत्पादों में जुड़ जाते हैं जो कि इन के हानिकारक प्रभाव और भी बढ़ा देते हैं। ( अगर पैकेट पर पहले ही से लिखा है कि इस के इस्तेमाल से कैंसर होता है तो फिर किसी तरह के अन्य विष के जोड़ने की  कोई गुंजाइश रहती है क्या? ) 
  • -- इस खबर से खुशी मुझे इसलिये भी हुई है कि मुझे ऐसा लगता है कि अब इस तरह के "ज़हर" ( जो किसी की जान लेने की क्षमता रखते हैं, वे ज़हर नहीं तो और क्या हैं !) ..बड़े पैकेटों में नहीं बिकेंगे... और अगर बिकेंगे तो रोज़ाना क्लेश होंगे क्योंकि कागज के पाउच की वजह से रोज़ाना नईं नईं कमीज़ें खराब हुआ करेंगी और रोज़ाना बहन, मां, बीवी की फटकार कौन सहेगा? शायद इस की वजह से ही यह आदत कुछ कम हो जाए...
  • -- मेरे बहुत से मरीज़ अपनी ओपीडी स्लिप जब तंबाकू के किसी खाली पाउच में से निकाल कर मुझे थमाते हैं तो मुझे लगता था कि वे मुझे चिढ़ा रहे हों कि देखो भाई, हम तो इस तंबाकू ब्रांड के ब्रांड अम्बैसेडर हैं.... अब कहां से वे अपने कागज़, नोट आदि इस तरह के प्लास्टिक के पाउचों में रख पाएंगे.... एक तरह से यह भी एक विज्ञापनबाजी थी जो पब्लिक स्थानों पर बंद हो जायेगी, इसलिये भी मैं बहुत खुश हूं। 
वैसे मैं उन्हें अकसर कह ही दिया करता हूं कि यार, अपने एक फटे पुराने कागज़ की इतनी फिक्र करते हो और जो शरीर रोज़ाना धीरे धीरे तंबाकू की बलि चढ़ता जा रहा है, इस के बारे में कभी सोचा है?

एक समस्या है अभी अभी... रोज़ाना देखता हूं कि कुछ कालजिएट मोटरसाईकिल सवार युवक जो किसी पनवाड़ी की दुकान पर रूकते हैं और बिंदास अंदाज़ में एक नहीं, गुटखे के दो दो पाउच बड़े टशन के अंदाज़ में मुंह में उंडेलते ही बाइक पर किक मारते ही उड़ने लगते हैं, इन को शायद पैकिंग से कोई फर्क नहीं पड़ेगा... प्लास्टिक में हो या कागज़ में, इन्हें तो बस "किक" से मतलब है।

मैं तंबाकू के कोहराम पर कुछ लेख लिख चुका हूं , कभी फुर्सत हो तो एक नज़र मार लीजिए।

वैसे इस खबर से खुशी इस बात की भी है कि इस तंबाकू रूपी कोहराम के तालाब में किसी ने पत्थर मार के रिपल्ज़ (ripples...तरंगे) तो पैदा कीं .... अब देखते हैं इस उथल-पुथल से, इस झनझनाहट से कितना फ़र्क पड़ता है ... कुछ भी हो, एक अच्छी शुरूआत है , एक सराहनीय पहल है... After all, a journey of three thousand miles starts with the first step ! काश, किसी दिन ऐसी ही सुस्ताई सुबह को यह खबर भी मिले कि तंबाकू के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लग गया है... न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी .... क्यों नहीं हो सकता? सारी दुनिया आस पर ही तो टिकी हुई है !!