यह भी एक सच है कि घर में स्वयं ही अपने ग्लुकोज़ के स्तर की जांच कर लेने से ब्लड-ग्लुकोज़ के स्तर के फ्लकचुएट होने का पूरा पता नहीं लग पाता क्योंकि ऐसा देखा गया है कि जिन टाइप-2 डायबीटीज़ के रोगियों में मधुमेह का कंट्रोल बहुत बढि़या है, उन में भी ग्लुकोज़ के कम स्तर वाले और ज़्यादा स्तर वाले (hypoglycaemia and hyperglycemia events) कई मौके ऐसे होते हैं जिन का इस घर में टैस्ट किये जाने वाली प्रणाली से पता नहीं चल पाता। मधुमेह के टाइट कंट्रोल के लिये यह ज़रूरी है कि बिल्कुल सही तस्वीर सामने आए ताकि ये जो कम और ज़्यादा स्तर वाले मौके घरेलू टैस्टिंग से मिस हो जाते हैं उन के बारे में भी इस ग्लाईकोसेटेड़ हीमोग्लोबिन टैस्ट के द्वारा पता किया जा सके। इस तरह की फ्लकचुएशन जो मिस हो जाती हैं उन का हृदय की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
चलिये, यह तो होम टैस्टिंग की बात हो गई। मैंने पिछली बार बात की थी कि किस तरह मद्रास के मरीना बीच पर बिल्कुल सुबह-सवेरे एक महिला वज़न तोलने वाली मशीन लेकर बैठी हुई थी और किस तरह वहां पर भ्रमण करने वालों ने उसे व्यस्त कर के रखा हुआ था।
यह जो भद्रपुरूष आप इस तस्वीर में देख रहे हैं यह उधर ही लोगों के बी.पी एवं ब्लड-ग्लुकोज़ की जांच भी करते हैं --- ( अंगुली से रक्त का सैंपल ले कर) । मैंने इन से बात भी की। यह इस चैक-अप के लिये पचास रूपये चार्ज करते हैं ---बता रहे थे कि तीस एक रूपये की तो स्ट्रिप ही पड़ती है।
मैं आते हुये भी देखा कि यह लोगों को विस्तार से जीवन-शैली से संबंधित इन महामारीयों के बारे में बता रहे थे---सुबह सुबह यह सब देख कर अच्छा लगा।
यह मंज़र भी मैंने पहली बार मद्रास में ही देखा था। मद्रास शहर मुझे बहुत अच्छा लगा --- पढ़े-लिखे लोग, अपने काम से काम रखने वाले और बड़े-बुज़ुर्गों का सम्मान करने वाले। वहां लगता है कि हर कोई अपनी दुनिया में मस्त है।