कोई भी छोटी-मोटी चोट लगने पर बाज़ार से टैटनेस का टीका खरीदकर लगवा लेना लोगों के लिये एक आम सी बात हो सकती है, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है। बार-बार टीके लगवाने से कुछ साइड-इफैक्ट्स भी हो सकते हैं और प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने की संभावना रहती है।
टैटनस से बचाव के टीके दो प्रकार के आते हैं- टेटनेस टाक्साइड (टी टी) का टीका लगवाने पर हमारा शरीर टेटनस से बचाव की प्रतिरोधक क्षमता स्वयं उत्पन्न करता है जिसमें थोड़ा समय लगता है जबकि टेटनस इम्यूनोग्लोबुलिन (टीआई जी) द्वारा यह प्रतिरोधक क्षमता हम रेडीमेड रूप से ही मरीज़ के शरीर में पहुंचाते हैं। सामान्यतः हम टेटनेस के जिस टीके की बात करते हैं, वह टी टी की ही बात है।
जिस किसी भी व्यक्ति को सामान्य टीकाकरण के दौरान टेटनेस की सभी खुराकें दी जा चुकी हैं, उसे पांच से दस साल तक टेटनेस से सुरक्षा मिल जाती है। इसलिये आमतौर पर दस साल से पहले टेटनेस का टीका लेने की ज़रूरत नहीं रह जाती है। अगर किसी व्यक्ति का घाव गहरा हो, जलने या सड़क दुर्घटना में चोट लगने से घाव हुआ हो, तो उसे टी टी का टीका लगवा ही लेना चाहिये। अगर किसी को यह न मालूम हो कि उसे कब टेटनेस का टीका लगा था , तो उसे गहरा घाव होने पर भी टीका लगवा लेना चाहिये।
टी आई जी का टीका चिकित्सक के परामर्श के बाद ही लगवाना चाहिये।