शुक्रवार, 1 मई 2009

जुबान के कैंसर का चमत्कारी इलाज

हां, तो मैं दो दिन पहले अपने एक मरीज़ की बात कर रहा था जिसे जुबान (जिह्वा) का कैंसर डायग्नोज़ हुआ है। सारे टैस्ट पूरे हो चुके हैं लेकिन वह अब वह किसी चमत्कारी नीम हकीम के चक्कर में पड़ चुका है।

मैंने उसे बहुत समझाया कि आप सर्जरी करवा लो, जितना जल्दी सर्जरी करवायेंगे उतना ही बेहतर होगा। उस ने मेरे बार बार कहने के बावजूद भी मुझे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। मैं उस की मानसिकता समझ सकता हूं, आदमी सब कुछ ट्राई कर लेना चाहता है , क्या करे जब आदमी बेबस होता है तो यह सब कुछ होना स्वाभाविक ही है।

उस ने मुझे कहा कि मैं देसी दवा किसी सयाने से ला कर खा रहा हूं ---दिल्ली के पास यूपी की एक जगह का उस ने नाम लिया । कहने लगा कि जब मैं उस के पास गया तो उस ने मेरी कोई रिपोर्ट नहीं देखी, मेरा कोई टैस्ट नहीं करवाया, मुझे कहने लगा कि तेरे को जुबान का कैंसर है। यह सब मेरे मरीज़ ने मुझे बताया।

फिर आगे बताने लगा कि वह इंसान इतना नेक दिल है कि किसी से मशविरा देने के कोई पैसे नहीं लेता ---बस दवा के पैसे ही देने होते हैं ---बीस दिन की दवाई के एक हज़ार रूपये ---मैं उस की बातें के ज़रिये उस सयाने की कार्यप्रणाली समझने की कोशिश कर रहा था। फिर मेरा मरीज़ मुझे कहने लगा कि उस ने एक तो कुल्ला करने की दवाई दी है और कुल्ला करने के बाद एक दवाई जुबान पर लगाने को दी है। मरीज़ ने आगे बताया कि दवाई लगाने के बाद ही जुबान से मांस के टुकड़े से निकलने लगते हैं।

आगे मरीज़ ने बताया कि उसे लग रहा है कि उस की जुबान पर जो ज़ख्म है उस का साइज़ भी कम हो गया है। अब मैं उस की हर बात का जवाब हां या ना देने में अपने आप को बहुत असहज अनुभव कर रहा था। क्योंकि मेरी तो केवल एक ही कामना थी और है कि वह जल्दी से जल्दी सर्जरी के लिये राज़ी हो जाये ताकि वह अपनी बाकी की ज़िंदगी को जितना चैन से काट सकता है काट सके।

वह फिर मेरे से पूछने लगा कि डाक्टर साहब यह भी तो हो सकता है कि अगर एक-दो महीने के बाद मैं अपने सारे टैस्ट दोबारा से करवाऊं तो मेरे सारे टैस्ट ही ठीक हो जायेंगे ----अब मैं उस के इस सवाल का क्या जवाब देता ?

वह बंदा मेरे से बातचीत कर रहा था तो फिर अपने आप ही कहने लगा कि डाक्टर साहब, मेरी बेटी ने इंटरनेट पर सारी जानकारी हासिल कर ली है ---- यह तो बिटिया भी कह रही थी कि पापा, आप्रेशन के बिना कोई इलाज इस का नहीं है। मैं यही सोच रहा था कि जब मां-बाप को कोई तकलीफ़ होती है तो आजकल के पढ़े-लिखे बच्चे भी बेचारे जितना उन से हो पाता है सब कुछ करते हैं लेकिन ये कमबख्त कुछ रोग ही इस तरह के होते हैं कि .........!!

वह बंदा बता रहा था कि डाक्टर साहब , जितनी बातें मैंने आज आप से की हैं मैंने पिछले दो महीने में कभी नहीं की हैं। मेरा भी उस के साथ गहराई से बात करने का केवल एक ही मकसद था कि किसी तरह से यह आप्रेशन के लिये राज़ी हो जाये। रूपये-पैसे की तो कोई बात ही नहीं है ---- क्योंकि हमारा विभाग अपना कर्मचारियों की सभी प्रकार की चिकित्सा का प्रबंध करता है।

मैंने उसे इतना ज़रूर कहा कि आप मुझे दो-तीन में एक बार हास्पीटल की तरफ़ आते जाते ज़रूर मिल लिया करें ---- क्योंकि मैं उस बंदे का हौंसला बुलंद ही रखना चाहता ही हूं। मैं उस से बात कर ही रहा था कि मुझे मेरे एक 70-75 वर्षीय मरीज़ का ध्यान आ गया जिस ने कुछ साल पहले जुबान के कैंसर के इलाज के लिये सर्जरी करवाई थी --और वह नियमित रूप से चैक-अप करवाने जाता रहता है और ठीक ठाक है। मैं उसे उस का नाम लिखवा दिया और उस के घर के पते का अंदाज़ा सा दे दिया ---- वह कहने लगा कि बस इतना ही काफ़ी है, वह ढूंढ लेगा। यह मैंने इसलिये किया क्योंकि मैं चाहता हूं कि वह उस से जब बातें करेगा तो उस का ढाढस बंधेगा।

रही बात उस सयाने द्वारा दी जाने वाली दवाई की ------ जहां तक मेरा ज्ञान है इस तरह के देसी-वेसी इलाज से कुछ होने वाला नहीं है। यही सोच रहा हूं कि किसी को इतनी ज़्यादा उम्मीद की रोशनी दिखा देना भी क्या ठीक है ? यह तकलीफ़ भी ऐसी है कि इस के लिये किसी प्रशिक्षित, स्पैशलिस्ट से ही इलाज करवाने से काम बन सकता है। चमत्कारी दवाईयों से कहां इन केसों में कुछ हो पाता है।

जाते जाते मरीज़ मुझे बता रहा था कि अब वह गुटखा एवं तंबाकू कभी नहीं चबायेगा ---उस ने यह सब छोड़ दिया है --- मैंने उसे तो कहा कि बहुत अच्छा किया है लेकिन मैं दुःखी इस बात पर था कि अब ये सब कुछ छोड़ तो दिया है .....ठीक है , लेकिन ....................!!!!!

जब थायरायड कम काम करने लगे ---- हाइपोथायरायडिज़्म

हाइपोथायरायडिज़्म एक ऐसी अवस्था है जिम में थायरायड पर्याप्त मात्रा में हारमोन्ज़ पैदा नहीं कर पाता। अगर इस अवस्था का इलाज नहीं किया जाये तो यह खतरनाक हो सकती है।

थायरायड की इस बीमारी की वजह से शरीर की सारी क्रियाएं एक दम सुस्त सी पड़ जाती हैं, इस बीमारी के निम्नलिखित लक्षण होते हैं –
थकावट
मानसिक अवसाद
सुस्ती छाई रहना
ठंड महसूस होना
शुष्क चमड़ी एवं बाल
कब्ज
मासिक-धर्म में अनियमितता

हाइपोथायरायडिज़्म निम्नलिखित अवस्थाओं की वजह से हो सकता है ---

---थायरायड ग्लैंड की तकलीफ़ की वजह से
----कुछ ऐसी दवाईयां अथवा बीमारियां जिन में थायरायड की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है
----शरीर की पिचुटरी ग्रंथि अगर पर्याप्त मात्रा में थायरायड-स्टिमूलेटिंग हारमोन( Thyroid stimulating hormone) ही न बना पाये।
---कई हाईपरथायरायडिज़्म ( जिस अवस्था में थायरायड हारमोन अधिक मात्रा में पैदा होने लगते हैं) के इलाज के लिये जब रेडियोएक्टिव आयोडीन दी जाती है या सर्जरी की जाती है।

इलाज –
हारपोथायरायडिज़्म का इलाज शरीर में उपर्युक्त मात्रा में थायरायड हारमोन पहुंचा कर किया जाता है। इस के लिये मरीज़ को थायरायड हारमोन थाईरोक्सिन ( टी- 4 अथवा लिवोथायरोक्सिन) की एक टेबलेट दी जाती है। इस टेबलेट को शूरू करने के दो हफ्तों के भीतर ही मरीज़ को आराम महसूस होने लगता है।

लेकिन जो ढीठ किस्म की थायरायड की बीमारी होती है उसे ठीक होने में लंबा समय भी लग सकता है। कुछ अलग से केसो में कभी कभी मरीज़ को टी-3 हारमोन भी दिया जा सकता है और कईं बार तो टी-3 और टी-4 हारमोन का मिश्रण भी दिया जाता है।

हाइपोथायरायडिज्म के अधिकतर केसों में तो यह टी-4 टेबलेट की टेबलेट उम्र भर के लिये देनी पड़ सकती है। और अपने चिकित्सक से नियमित परामर्श करते रहना होता है ताकि दवाई की डोज़ को बढ़ाया-घटाया जा सके।