हिंदोस्तानी सिनेमा में देशवासियों की संवेदनाओं को जगाने का बहुत बड़ा काम अंजाम दिया है .... अभी भी लोग लगे ही हुए हैं.. आज भी मैंने जब बंबई के एक उपनगरीय स्टेशन पर इस तरह से बूट पालिश होते देखे तो मुझे दीवार फिल्म का वह सीन याद आ गया....जो हम लोगों के ज़ेहन में एकदम फिट हो चुका है ...कि मैं आज भी फैंके हुए पैसे नहीं उठाता ..
अपने अपने विचार हैं...अपना ही नज़रिया होता है ... वैसे तो लोगों का धंधा है .. लेकिन मैं तो जिसे भी इस तरह से बूट पालिश करवाते देखता हूं ...तो मेरे मन में तुरंत दीवार फिल्म कौंध पड़ती है ...और मैं मन ही मन उस बंदे को कह देता हूं कि अमां, यह क्या, दस रूपये खर्च कर के ...आप तो अपनी औकात ही भूल गये!
बूट पालिश करने वाले को लगता हो या नहीं....विभिन्न कारणों के रहते ...लेकिन मुझे तो यह भी मानवीय अधिकारों का हनन जान पड़ता है .. मुझे इस से कुछ मतलब नहीं कि बूट पालिश करने वाला या करवाने वाला किस जाति का है ... मैं इन सब बातों में बिल्कुल ध्यान नहीं देता ... यह मेरा विषय नहीं है..मुझे तो बस इस बात से आपत्ति है कि जिस अंदाज़ में बूट पालिश करवाने वाला बडी़ ठसक के साथ अपना जूता उस पालिश वाले की पेटी पर टिकाता है ....और हां, अगर सामने बैठा बंदा भी कोई दीवार फिल्म के बाल कलाकार जैसा हो तो अलग बात है!
समाज में कुछ कुछ तौर तरीके बस ऐसे ही चलते रहते हैं...लेकिन फिर भी ... थोड़ा सा ध्यान रखिएगा...अगली बार...अकसर मोची के पास एक स्टूल रखा होता है ...अगर ऐसा कोई आप्शन है तो उस पर बैठ कर इत्मीनान से चमकवा लीजिए जूतों को..
मैंने भी शायद कभी कईं साल पहले एक बार इस तरह से शूज़ पालिश करवाए थे ....मुझे तो इतना बुरा लगा था ...बुरा क्या, अपने आप पर भी शर्म सी आई थी....कहने की बात नहीं है, कोई बड़प्पन वड़प्पन भी नहीं, बस ऐसे ही शेयर कर रहा हूं कि हम लोग तो वह हैं....मेरे बेटे भी ...जब किसी दुकान पर जूता लेने जाते हैं...और अगर नया जूता पहन कर ही बाहर आना है तो पुराने जूते को सेल्समेन को बिल्कुल भी हाथ नहीं लगाने देते .... स्वयं उसे थैली में डालते हैं... और उठाते हैं....मुझे यह देख कर अच्छा लगता है ....
प्याज़ नाम से हमारा राब्ता स्कूल के दिनों में हुआ...जब साथ पढ़ने वाले कुछ खुराफ़ाती बच्चों से पता चला कि प्याज़ को अगल कुछ समय के लिए बगल के अंदर दबा लें तो बुखार जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं... और फिर घरवालों से स्कूल न जाने के लिए आसानी से एक बहाना तैयार हो जाता है ... और मास्टरों के बेरहम कंटाप से भी बचने के लिए यह जुगाड़ कभी काम कर जाया करता था...
मुझे कभी इस जुगाड़ की सच्चाई जानने का मौका नहीं मिला ..क्योंकि कभी ऐसा बहाना बनाने की नौबत आई ही नहीं...
प्याज़ के बारे में चंद बातें और सुनने-पढ़ने को मिलती रहीं जैसे जैसे बड़े होते गये... बचपन में सिरके में डाल के खाते ही थे प्याज़, सलाद में खाते थे....फिर कभी यह भी पता चला कि कच्चे प्याज खाने से मुंह से बदबू आती है ..
इस का प्रत्यक्ष प्रमाण था हमारे पड़ोस का एक लड़का रजनीश ...वह जब भी खेलने आता तो एक हथेली में थोड़ा नमक और दूसरे हाथ में प्याज़ पकड़ा होता ...हमें यह सब बड़ा अजीब लगता...वह हम से दो ब-तीन साल बड़ा भी था...उस का मज़ाक उडा़ने का तो सवाल ही नहीं था ...क्योंकि वह उम्र में भी हम से दो-तीन साल बड़ा था ..और अकसर अपने से छोटे बच्चों को पीटने का उसे कोई भी छोटा सा बहाना ही चाहिए होता था ..
प्याज़ का देश की राजनीति में भी बड़ा योगदान रहा .. कुछ सरकारें इन के दामों की वजह से बरबाद हो गईं और कुछ तो टूटते टूटटे जुगाड़बाजी से बच गईं ...
जब मैं ३०-३५ साल की उम्र का था तो एक योग संस्थान के प्रभाव में आकर मैंने कुछ साल के लिए लहसुन-प्याज़ छोडे़ रखा ..क्योंकि यह बताया गया कि यह तामसिक होता है ... पता नहीं, फिर मैंने खाना भी शुरु कर दिया.. लहसुन-प्याज़ छोड़ने की बंदिश में बाकी परिवार वालों को भी डालना मुनासिब नहीं लगा शायद .. मेरा अनुभव है कि यह प्रैक्टीकल नहीं होता ...
ये जो बातें मैंने अभी तक प्याज़ के बारे में कीं वे तो हैं फिजूल की बातें ...लेकिन कल मुझे वाट्सएप पर एक पोस्ट मिली ...बचपन में हमारे पड़ोसी रहे और अब एक नामचीन कृषि विश्वविद्यालय से अच्छी पोस्ट से रिटायर हुए वनस्पति विज्ञान में डाक्ट्रेट हैं यह बंधु ...मुझे लगा कि ये बातें आप से भी शेयर करनी चाहिए...
अब पोस्ट शुरू होती है ...
प्याज़ के लाभ हानियां...
वर्ष 1919 में चार करोड़ लोगों ने फ्लू की वजह से जान खो दी थी... एक डाक्टर बहुत से किसानों से पास गया यह देखने के लिए कि वह उन की कुछ मदद कर सकता है...बहुत से किसान और उन के परिवार तो फ्लू की चपेट में आकर खत्म हो चुके थे .. लेकिन डाक्टर को एक ऐसा किसान मिला जो कि स्वस्थ था और जिसके घर में भी किसी को फ्लू नहीं हुआ था ..
डाक्टर ने किसान से यह जानने की कोशिश की वह ऐसा क्या करता है जो कि दूसरों से अलग है...
किसान की बीवी ने बताया कि उसने बिना छीले एक प्याज़ को प्लेज में डाल कर घर के सभी कमरों में रखा हुआ था ..
डाक्टर ने सोचा कि शायद इसी प्याज़ में ही कोई इलाज का रहस्य छुपा हुआ हो ...उसने कहा कि ज़रा वह प्याज़ तो दिखा दीजिए...
जब उस डाक्टर ने प्याज़ को माइक्रोस्कोप के नीचे रख के देखा तो पाया कि प्याज़ में फ्लू-वॉयरस मौजूद है .. ज़ाहिर है कि प्याज़ ने सारे जीवाणु स्वयं जज्ब कर लिए और परिवार को सेहतमंद बनाए रखा ..
उस पोस्ट में एक वैज्ञानिका ने आगे लिखा है कि वह किसान वाले इस किस्से से तो नावाकिफ़ हैं... लेकिन अपना अनुभव बताते हुए उसने लिखा है कि उसे निमोनिया हो गया और वह बहुत बीमार हो गईं .. प्याज़ के बारे में पहले से जो जानकारी थी उस के आधार पर उन्होंने प्याज़ के दोनों किनारे काटे और उस प्याज़ को एक खाली जार में डाल कर रात भर के लिए अपने सिरहाने रख लिया ..
सुबह होते होते मैं तो अच्छी होने लगी लेकिन प्याज़ बिल्कुल काला पड़ गया...
बहुत बार जब हम पेट की तकलीफ़ों से ग्रस्त हो जाते हैं तो हमें यह पता ही नहीं चलता कि यह सब हुआ कैसे! लेकिन ऐसा बिल्कुल हो सकता है कि जो प्याज़ हमने कुछ समय पहले खाए हों, उन की वजह से यह तकलीफ हो गई हो...
प्याज़ जीवाणुओं को जज्ब कर लेते हैं ..और यही कारण है कि वे हमें सर्दी-जुकाम और फ्लू से बचाने में इतने कारगर हैं... और यही कारण है कि जिस प्याज़ को काटे हुए कुछ समय बीत चुका हो उसे खाने से हमेशा बचिए ....चूंकि ऐसे पडे़ हुए प्याज़ विषैले हो जाते हैं..
जब भी किसी पार्टी या सामूहिक भोज आदि में खाने में गड़बड़ी की वजह से लोग बीमार पड़ते हैं...(food poisoning)..तो सब से पहले यह भी जांच होती है कि खाने में जो प्याज़ इस्तेमाल हुए उन की गुणवत्ता कैसी थी ...
प्याज़ विशेषकर जिन्हें अभी तक पकाया नहीं गया है वे बैक्टीरिया (जीवाणुओं) के लिए एक चुंबक हों जैसे ...
ध्यान रखिए कि कभी भी प्याज़ को पहले से काट कर मत रखिए कि इसे बाद में खाने में इस्तेमाल किया जायेगा.. इसे आप काट कर किसी जिप वाली थैली में डाल कर फ्रिज में भी नहीं रख सकते क्योंकि यह तब भी विषैला ही रहेगा...
और हां, एक बात और ...कुत्तों को प्याज़ मत दीजिए....उन के पेट प्याज़ को पचाने में सक्षम नहीं होते ...
ध्यान दें कि प्याज़ को कभी भी काट कर न रखें कि अगले दिन सब्जी में डाल लेंगे ... काटा हुआ प्याज़ तो एक ही रात में विषैला हो जाता है ...क्योंकि यह बहुत से जीवाणु जज्ब कर लेता है जिस की वजह से आप की तो नहीं, पेट की तकलीफ़ों की दावत हो जाती है जैसे .. क्योंकि ज़्यादा पित्त बनने और फूड-प्वाईज़निंग होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है ...
मुझे यह पोस्ट पढ़ कर उपयोगी जानकारी मिली ... क्योंकि यह एक नामचीन वनस्पति वैज्ञानिक ने शेयर की थी .. ध्यान में मुझे भी कुछ ऐसा आ ही रहा है कि बचपन में कहीं न कहीं तो यह देखा करते थे कि बीमार आदमी के सिरहाने पर प्याज़ रख दिया किया करते थे ..तो साथियो, यह कोई टोटका या चमत्कार नहीं होता था, वैज्ञानिक आधार अभी आपने जान लिया...
लिखते लिखते मुझे ध्यान आ रहा है कि हम लोग बाज़ार में हमेशा से उबले हुए आलू की गुणवत्ता के बारे में चिंतित रहा करते थे कि पता नहीं टिक्की की कौन सा आलू डाल दिया होगा ...और समोसे में कब का पुराना आलू ठेल दिया होगा...लेकिन अब तो प्याज़ के बारे में भी सचेत रहिएगा....
अकसर हम लोग किसी भी सार्वजनिक भोज में सलाद में रखे प्याज़ को नहीं खातेे....अब तक तो उस का कारण यही होता था कि पता नहीं किन हाथों ने किन हालात में इन्हें हैंडल किया होगा ...और बात है भी बिलकुल सही ....यही नहीं, प्याज़, खीरा, टमाटर ...इस तरह से किसी पार्टी-ब्याह शादी में बिल्कुल नहीं खाना चाहिए....यह निश्चित रूप से पेट को खराब करता है .... यहां तक की होस्टल में बच्चों में भी यह जागरूकता फैलानी चाहिए ... कि अगर कभी बहुत ही इच्छा हो तो स्वयं पानी से धो कर सलाद खाया करें...और दूसरी बात यह भी रखना चाहिए कि ये मेस-वाले कितने समय पहले प्याज़ काट-वाट के रख लेते हैं....वैसे ये सब थ्यूरेटिकल बातें ही लगती हैं ...मान लीजिए कि उन्होंने प्याज़ कुछ ही समय पहले काटा हो...लेकिन किन परिस्थितियों में ये सब चीज़ें काटी गई हैं...इन सब बातों का भी फर्क पड़ता है .. आप ने भी बहुत बार देखा ही होगा कि खोमचे-वाले, ढाबे वाले, छोटे मोटे रेस्टरां वाले और विभिन्न सामूहिक भोजों की तैयारियों के दौरान प्याज़ ही क्या, विभिन्न सब्जियों को भी कितनी लापरवाही से रखते हैं और फुटपाथ पर ही किन हालात में इन्हें काटने का काम किया जाता है ...
संदेश बिल्कुल स्पष्ट है ....प्याज़ की बात करें तो इस की हैंडलिंग की तो बात है ही ..लेकिन यह कब का कटा हुआ ....यह भी हम सब की सेहत को प्रभावित करता है ...
Take care....I wish you very good health!
चलते चलते प्याज़ का परांठा बनाने का तरीका ही सीख लेते हैं...
लोगों को सुबह सुबह भजन-गीत-दोहे याद आते हैं और मुझे इस समय यह गीत ध्यान में आ रहा है...सुनिए आप भी ..