गुरुवार, 14 मई 2009

अब मुंह पूरा न खोल पाने का यह क्या लफड़ा है !

कुछ लोगों का मुंह पूरा नहीं खुल पाता ---लेकिन कईं बार लोगों को इस का आभास ही नहीं होता जब तक कि वे किसी दिन पानी-पूरी (गोलगप्पा) मुंह में डाल नहीं पाते। ऐसे बहुत से मरीज़ आते हैं जो बताते हैं कि पहले तो उन्हें पानी-पूरी खाने में कभी दिक्कत आई ही नहीं, लेकिन अब गोलगप्पा उन के मुंह में जाता ही नहीं।

चलिये, आज आप सब के साथ इसी समस्या से संबंधित अपने अनुभव साझे करते हैं। दरअसल मुझे इस का ख्याल आज सुबह आया जब कि मेरा यह मरीज़ मेरे पास आया --- इस के मुंह की तस्वीर आप यहां देख रहे हैं।
मुंह इतना कम क्यों खुल रहा है ? by Dr Parveen Chopra, on Flickr"><span title=मुंह इतना कम क्यों खुल रहा है ?"

इस तस्वीर में आप देख रहे हैं कि इस का मुंह कितना कम खुल रहा है। इन की उम्र 52 वर्ष की है और यह मुंह पूरा न खुलने की तकलीफ़ इन को पिछले लगभग तीन साल से है । इस का इन्होंने जगह जगह से खूब इलाज करवाया लेकिन इन्हें जब कोई फ़र्क महसूस नहीं हुआ तो ये चुप कर के बैठ गये। आज भी यह मेरे पास इस तकलीफ़ के साथ नहीं आये कि इन का मुंह पूरा नहीं खुल रहा --- मुझे लगता है कि यह अब इस के ठीक होने की उम्मीद छोड़ ही बैठे थे। मेरे पास तो यह केवल यह शिकायत लेकर आये थे कि एक दाढ़ में ठंडा-गर्म लगता है।

अगर आप ने इस ऊपर वाली फोटो में नोटिस किया होगा कि जब यह बंदा मुंह खोलने की कोशिश करता है तो उस का नीचे वाला जबड़ा उस की दाईं तरफ़ सरक जाता है। उसे तकलीफ़ भी दाईं तरफ़ के टैम्पोरोमैंडीबुलर ज्वांइट ( Temporomandibular joint) में ही है ।

अब देखते हैं कि इस का क्या कारण है ? --- अकसर इस तरह की समस्या का सब सेआम कारण होता है ---- जबड़े पर चोट का लगना जिस से कान के ठीक नीचे जो ज्वाईंट होता है उस में सूजन आ जाती है --- और कईं बार इस के आसपास हड्डी भी टूटने से यह समस्या हो जाती है। लेकिन अगर तुरंत स्पैशलिस्ट डैंटिस्ट से इस का इलाज करवा लिया जाये तो यह समस्या का समाधान हो जाता है।

लेकिन इस मरीज़ जिस का तस्वीर आपने ऊपर देखी है उसे इस बात का भी बिल्कुल कोई आभास नहीं है कि उसे कभी कोई चोट भी लगी हो। वह मुंह पर किसी भी तरह की चोट वगैरा लगने की बात से भी इंकार कर रहा है।

और न ही वह किसी तरह के पानमसाला या गुटखे खाने का कोई शौक ही रखता है –उस ने कभी भी इन चीज़ों का सेवन नहीं किया है। दरअसल जैसा कि आप जानते ही होंगे कि जो लोग पान-मसाला गुटखा आदि चबाने का शौक पाले रखते हैं उन में सबम्यूक्सफाईब्रोसिस नामक की एक तकलीफ़ हो जाती है जिस में मुंह के अंदर की चमड़ी बिल्कुल चमड़े जैसी हो जाती है और मुंह धीरे धीरे खुलना बंद हो जाता है। इस अवस्था से जूझ रहे 15 से 20 साल आयुवर्ग के बहुत से युवकों को मैंने पिछले कुछ वर्षों में देखा है जिन का मुंह इतना भी नहीं खुल पाता कि वे किसी तरह के ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकें ।

वैसे आप इस नीचे वाली तस्वीर में यह देख रहे हैं कि इस बंदे का भी बुरा हाल है –एक अंगुली भी उस के मुंह में नहीं जा रही। आज से लगभग दस साल पहले मैंने लगभग एक हजा़र लोगों के मुंह खोलने के पैटर्न पर एक रिसर्च स्टडी की थी जिसे एक नैशनल कांफ्रैंस में प्रस्तुत किया था।
एक अंगुली तक तो मुंह में जा नहीं रही !

इस मुंह पूरा न खुलने को मैडीकल भाषा में ट्रिस्मिस ( trismus) कहते हैं। और इस के मुख्य कारण तो मैंने गिनवा ही दिये हैं लेकिन कईं बार यह तकलीफ़ मरीज़ों को दांत उखड़वाने के बाद कुछ दिन तक परेशान करती है। इस के लिये कुछ खास करने की ज़रूरत होती नहीं ---- बस, एक-आध यूं ही छोटी मोटी दवाई और गर्म पानी से मुंह की सिकाई और नमक वाले गर्म पानी से कुल्ले करने से यह मामला चंद दिनों में सुलट जाता है। लेकिन इस के लिये लोगों को तसल्ली देने की ज़रूरत होती है कि चिंता की कोई बात नहीं, सब कुछ ठीक है , बस थोड़े दिनों में मुंह पूरा खुल जायेगा। और हां, कईं बार हम कुछ दिनों के लिये मरीज़ को चऊंईंगम चबाने के लिये कह देते हैं जिस से कि जबड़ों की कसरत हो जाती है।

हां, लेकिन जब इस तरह की समस्या जबड़े पर चोट लगने से होती है और यह अगर लंबे अरसे से परेशान कर रही हो तो इस का पूरा उपचार करवाना ज़रूरी होता है। नीच वाले जबाड़े का एक्स-रे, ओपीजी एक्सरे आदि करवा के यह जानने की कोशिश की जाती है इस मुंह पूरा न खुल पाने की तकलीफ़ के पीछे आखिर कारण क्या है और फिर ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी के द्वारा इस का इलाज किया जाता है जिस के बाद मरीज़ का मुंह अच्छी तरह से खुलना शुरू हो जाता है।

मैं अपने आज वाले अपने मरीज़ की सहनशीलता से बहुत हैरान होने के साथ ही साथ परेशान भी हूं --- किस तरह से बंदा किसी शारीरिक तकलीफ़ को विधि का विधान मान कर चुपचाप सहने लगता है। उस का मुंह इतना कम खुलता है कि एक अंगुली भी मुंह में जा नहीं पाती । मैंने खाने-पीने के बारे में पूछा तो उस ने बताया की धीरे धीरे से बस जैसे तैसे खा ही लेता है। इस तरह से अगर मुंह कम खुल रहा है तो मुंह के सारे स्वास्थ्य पर ही इस का बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस की वजह से दांतों की एवं जुबान की बिल्कुल भी सफ़ाई ही नहीं हो पाती है।

आज जो मेरे पास मरीज़ आया था उस के उपचार की पूरी व्यवस्था कर दी गई है।

शायद इतने भारी-भरकम लेख से आप को भी मुंह कम खुलने वाले विषय का थोड़ा बहुत आइडिया तो हो ही गया होगा।

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