रविवार, 17 जुलाई 2011

एड्स के इलाज के लिये छिपकली?

अकसर हम यह देख कर परेशान हो जाते हैं कि हमारे देश में तरह तरह की भ्रांतियां हैं, टोने-टोटके, झाड़ा, तांत्रिकों-वांत्रिकों का चक्कर है, लेकिन अन्य देशों की अपनी शायद और भी विषम समस्यायें हैं। खबर है कि फिलिपींस में छिपकलियों से एड्स जैसे रोगों का इलाज करने की कोशिश की जाती है। बस, ऐसा वहां की आम जनता को विश्वास सा है कि इस से एड्स, दमा, टीबी, कैंसर एवं नपुंसकता जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।

यह गुमराह करने वाली प्रथा कुछ देशों में इस हद तक है कि फिलिपींस से छिपकलियों को बाहर देशों जैसे कि मलेशिया, चीन एवं दक्षिणी कोरिया में एक्सपोर्ट किया जाता है। लगभग 300ग्राम की एक छिपकली के लगभग 1160 डालर तक मिल सकते हैं और इस तरह के धंधे नेट के ऊपर भी हो रहे हैं।

रिपोर्ट में आप देख सकते हैं कि इन देशों में पुरातन काल से इस तरह की एक धारणा बन चुकी है कि छिपकली का इलाज सैक्स-इच्छा एवं पावर (aphrodisiac) बढ़ाने के लिये एवं नपुंसकता का इलाज करने के लिये किया जाना उचित है ... इस के लिये छिपकलियों को सुखा कर उन का पावडर बना लिया जाता है।

लेकिन इस तरह की बेबुनियाद उपचार पद्धतियों की आज की प्रगतिशील चिकित्सा पद्धति में कोई जगह नहीं है, इस से लाभ तो कोई हो नहीं सकता लेकिन इन चक्करों के चक्कर में उचित इलाज की देरी से बीमारी से होने वाले नुकसान बढ़ जाते हैं। अब, दमे की बात करें तो इस के लिये साधारण सा इलाज आज की प्रामाणिक चिकित्सा पद्धतियों में उपलब्ध है, ऐसे में इन सब के झमेले में पड़ने से अपना कीमती समय नष्ट करने वाली बात है।

ध्यान आ रहा है कि ये सब झमेले अन्य देशों के ही नहीं हैं, अपने देश में इतने घरेलू गोरखधंधे हैं जिन का अभी तक हम लोगों को ढंग से पता ही नहीं है, लेकिन फिर भी बात चल निकली है तो आगे जाएगी.... ज्ञान की ज्योत जलाते चलें.........कभी तो कुछ तो असर होगा।
Source ....
Phillipines warns agaisnt geckos as AIDS treatment