मंगलवार, 30 जुलाई 2013

आर टी आई का ऑनलाईन आवेदन भी होता है


मैं लगभग पिछले पांच वर्षों से आर टी आई का इस्तेमाल कर रहा हूं ... लेिकन एक बार बड़ी अजीब सी लगती थी कि वैसे तो सरकार ने इसे अपनी तरफ़ से अच्छा खासा सिंपल बनाया है लेकिन पहले आवेदन लिखो, फिर पोस्टल-आर्डर के लिए डाकखाने के कुछ चक्कर काटो, ऐसा नहीं होता कि आप को हर बार दस रूपये का पोस्टल आर्डर तुरंत मिल जाए---काफी बार तो वह खत्म हुआ ही बताते हैं। चलिए, उस के बाद फिर से स्पीड-पोस्ट या रजिस्ट्री करवाओ....फिर सूचना देने वाला कार्यालय लिखेगा कि इतने रूपये और भेजो अगर आप को सूचना के रूप में इतनी फोटोकापियां चाहिए। फिर से वही सारी प्रक्रिया शुरू। इसलिए मुझे यह सब बहुत पकाने वाला काम लगता था। बहरहाल, वह मेरी व्यक्तिगत राय है ..लेकिन जिसे जिस समय जो सूचना चाहिए होती है उस के लिए इस तरह की छोटी मोटी परेशानी कोई बात नहीं होती।

मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि हर काम तो आज ऑन-लाइन हो रहा है, ऐसे में सूचना के अधिकार के अंतर्गत भी सूचना पाने की सुविधा भी तो लोगों को ऑन-लाइन किस्म की मिलनी चाहिए।

बहरहाल मैं यह सोचता ही रहा कितने लंबे समय तक....लेकिन केवल सोचने ही से थोड़ा न सब कुछ मिल जाता है।


कुछ हफ्ते पहले की ही बात है कि द हिंदु में एक बिल्कुल छोटी सी खबर दिखी कि अब सूचना के अधिकार अधिनियम के अधीन आवेदन आॉन-लाइन भी किये जा सकते हैं। कुछ ज़्यादा डिटेल दिये नहीं दिये थे, उस खबर में ....इसलिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ी और मैं पहुंच गया इस की साइट पर जिस का लिंक नीचे दे रहा हूं .....   www.rtionline.gov.in

आप भी इस साइट का टूर कीजिए -- मैंने भी इस के माध्यम से एक आरटीआवेदन किया था ऑनलाइन --फीस भी दस रूपये क्रेडिट-कार्ड से ही जमा हो गई थी, तुरंत आप के आवेदन का पंजीकरण कर लेते हैं और आप की ई-मेल में पंजीकरण संबधी सूचना भी आ जाती है.

कुछ ही दिनों में मुझे सूचना भी मेरी ई-मेल के माध्यम से ही प्राप्त भी हो गई थी।

अच्छा लगा यह सिस्टम... कोई झंझट नहीं डाकखाना, लिफ़ाफे, रजिस्टरियां, स्पीड-पोस्ट, पोस्टल आर्डर ---बिल्कुल आज के ज़माने जैसी क्विक फिक्स प्रणाली।

इस में अभी थोड़ी सी दिक्कत बस यही है कि अभी केंद्रीय सरकार के सभी मंत्रालय इस प्रणाली में शामिल नहीं किए जा सके हैं, काम चल रहा है, क्योंकि इस के लिए पहले तो उस मंत्रालय के कुछ लोगों को इस सिस्टम के बारे में ट्रेन किया जाता है। वैसे इन का लक्ष्य है कि इन्होंने सभी मंत्रालयों एवं सरकारी विभागों को इस ऑनलाइन प्रणाली से ही कवर करना है। बहुत अच्छा सिस्टम लगा मुझे तो ... वैसे तो अभी भी आप देखेंगे कि काफ़ी मंत्रालय हैं जो इस सिस्टम से जुड़ चुके हैं। हां, आवेदन फीस वही दस रूपये ही है, आगे कोई फोटोकापी आदि के चार्जेज चाहिए होंगे तो वे स्वयं आप से संपर्क करेंगे।

दरअसल मैं अभी श्योर नहीं हूं कि जो जवाब उन्होंने मेरे को ई-मेल से भेजा है क्या वे उसे डाक से भी भेजेंगे ....ठीक है मुझे तो वह जवाब डाक से नहीं चाहिए था, मेरा काम ई-मेल से चल गया था, लेकिन यह बात का ध्यान रखना ज़रूरी है.

अब आधुनिक तकनीक कोई भी हो हम कितनी भी बातें कर लें, इस तरह की बातों का असल फायदा तो साधन संपन्न लोग उठा पाते हैं --देखिए न इंटरनेट भी चाहिए, क्रेडिट कार्ड भी चाहिए ---शायद नेट बैंकिंग या डेबिट कार्ड से भी आप दस रूपये के आवेदन का भुगतान कर सकते हैं, अभी मुझे ठीक से याद नहीं, लेकिन आप मेरे द्वारा ऊपर दिये गये लिंक पर जाएंगे तो सब ठीक से समझ जाएंगे।

कैसी लगी आप को यह जानकारी, लिखियेगा। बहुत दिनों से इसे पाठकों से शेयर करना चाह रहा था लेकिन मेरे इस सूचना के अधिकार ब्लॉग का पासवर्ड ही मुझे नहीं मिल रहा था। आज मिल गया और मैं बैठ गया अपना ज्ञान झाड़ने।
पता नहीं क्या कारण है -- मुझे लगता है कि इस ऑनलाइन आरटीआई सिस्टम की ज़्यादा पब्लिसिटी नहीं की गई है, कारण कुछ कुछ तो मैं अनुमान लगा सकता हूं , बाकी क्या कहें, चलिए इस तरह की प्रणाली शुरू हो गई यही अपने आप में एक उपलब्धि है।

न तो मैंने बस उस दिन द हिंदु के अलावा इस के बारे में कोई खबर ही देखी, न ही टीवी ...पता नहीं पिछले दो-तीन महीनों से न तो अखबार ही ढंग से पढ़ पाता हूं और न ही टीवी मन को ज़्यादा भाता है ......अब भाई बलम पिकचारी और रांझना के वही दो-तीन गीत कितनी बार सुनें ......लेकिन एफएम मैं जब भी मौका मिलता है सुन लेता हूं ....वहां भी तो इस आनलाइन आरटीआई के बारे में कुछ नहीं सुना।

चलिए भविष्य के लिए ही सही लेकिन ऊपर दिये गये लिंक को नोट कर लीजिए।

मैं एक कप चाय का लिंक लगाने लगा तो मुझे हिंदी वाला कोई लिंक नहीं मिला --इस फिल्म के बारे में मैंने इसी ब्लाग पर एक पोस्ट भी लिखी थी...कहते हैं ना जब कोई दिल से बोलता है तो बात दूसरे तक पहुंच ही जाती है ..इसलिए आप इस वीडियो को देखिए --काम की बात आप तक पहुंच ही जाएगी। और कहीं से इस फिल्म देखने का जुगाड़ हो जाए तो बात ही क्या है, मैंने इसे दूरदर्शन पर देखा था .........