शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

पायरिया का इलाज

आज मैं नेट पर घूमते हुए एक सेहत से संबंधित साइट पर पहुंच गया....वहां एक लिंक दिखा कि पायरिया का इलाज कैसे करें.....मैंने सोचा देखते हैं क्या लिखा है, उत्सुकता हुई।

मैं उस साइट पर पायरिया के बारे में अजीब अजीब बातें पढ़ कर हैरान-परेशान हो गया। सब कुछ गलत लिखा हुआ था। पहले तो लिखा था कि आप नमक, तेल और हल्दी बस एक दिन के इस्तेमाल कर लें, पायरिया खत्म हो जायेगा। और साफ साफ लिखा था कि अगर यह काम तीन दिन कर लिया तो समझो पायरिया सारी ज़िंदगी के लिए भाग जाएगा।
और भी अजीब अजीब सी बातें....... कि पायरिया ठीक करने के लिए तंबाकू लेकर उसे जलाया जाए, फिर उसे मसूड़ों पर लगाया जाए।

मैं जानबूझ कर उस वेबसाइट का लिंक यहां नहीं दे रहा..... ठीक नहीं लगेगा.......पर केवल यह संदेश देना चाहता हूं कि िजस का काम उसी को साजे।

हिंदी ऑनलाइन लेखन बड़ी संवेदनशील सा विषय है। इसलिए अनुरोध है कि हम जिस क्षेत्र से जुड़ें हैं, जो काम करते करते हमारे बाल पक गये, अगर हम उन्हीं विषयों के बारे में लिखेंगे तो पढ़ने वाले को तो लाभ होगा ही, हमारी विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

यह भी ज़रूरी नहीं कि हम अपने विषय में बिल्कुल परफैक्ट ही हों तभी लिखें, नहीं.......... जो कुछ भी ठीक तरह से जानते हैं, बस उसे ही लिख कर अगली पीढ़ियों के लिए नेट पर सहेज कर रख दें तो बढ़िया है। वैसे तो हम किसी भी विषय पर लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन अगर हम अपने विषय तक ही सीमित रहेंगे तो बेहतर होगा....वैसे नेट से कुछ भी ढूंढ-ढांढ कर कापी-पेस्ट करना कौन सा मुश्किल काम है ...लेकिन ना ही तो यह चलता है और वैसे भी ऐसा करने की क्या मारा-मारी पड़ी है।

कहानीकार हैं तो कहानियों से ही पाठकों को गुदगुदाएं, व्यंग्यकार हमें अपनी रचनाओं से लोटपोट करते हैं, कवि बंधु कविताए, तकनीकी विशेषज्ञ अपने तकनीकी विषयों पर लिखें.........ऐसे ही जो भी लोग जो काम कर रहे हैं या जिस क्षेत्र से जुड़े हैं, जब वे उस विषय के बारे में लिखते हैं तो सहजता से यह काम कर पाते हैं।

वैसे ये मेरे विचार हैं, बिल्कुल फिजूल भी हो सकते हैं, हर बंदा अपनी कलम का राजा है, जो चाहे लिखे........कौन किसे रोक सकता है लेकिन कईं बार गुमराह करने वाली सामग्री दिख जाती है तो बहुत दुःख होता है जैसा कि मैंने पायरिया के इलाज के बारे में आज नेट पर जो देखा। जिस के बारे में अच्छे से पता हो, जिस का पूरा ज्ञान हो, उसी के बारे में लिखा जाए और विशेषकर जब यह मामला लोगों की सेहत का हो तो और भी सचेत रहने की ज़रूरत है.....क्योंकि जिस तरह से मैंने उस पोस्ट पर कमैंट देखे, आठ दस, मुझे और भी दुःख हुआ ...सबने लिखा था...बड़ी उपयोगा पोस्ट.. बड़ी अच्छी जानकारी।

चलिए, इस टापिक को इधर ही विराम दें, और पायरिया के बारे में आप सब को हिंदी के कुछ अच्छे लेखों का लिंक देकर आप से विदा लूं........

मीडिया डाक्टर: मसूड़ों से खून निकलना.....कुछ 
बहुत ही ज़्यादा आम है मसूड़ों से खून आना
मीडिया डाक्टर: पान से भी होता है पायरिया
यह रहा टुथपेस्ट/टुथपावडर का कोरा सच......भाग II

मोटापे से बढ़ जाता है दस तरह के कैंसर होने का रिस्क

यह तो अब लोग जान ही गये हैं कि मोटापे से अन्य तकलीफ़ों --जैसे कि मधुमेह (शक्कर रोग, शूगर), हाई-बल्ड प्रैशर (उचित रक्त चाप), जोड़ों की तकलीफ़ और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

एक वैज्ञानिक स्टडी जो कि ५० लाख लोगों पर की गईं, अब उस से भी यही निष्कर्ष निकला है कि मोटापे का मतलब कि कैंसर होने का ज़्यादा रिस्क.......इस की विस्तृत जानकारी आप इस लिंक से पा सकते हैं...... Being overweight or obese linked to 10 common cancers.

चलिए, थोड़ी सी बात करते हैं मोटापे को कंट्रोल करने की। वैसे तो मैं इस के लिए बात करने के लिए कोई ज़्यादा बढ़िया रोल-माडल नहीं हूं ..क्योंकि मेरा अपना वज़न भी मेरे आदर्श वजन से १०-१५ किलो ज्यादा ही है......कल ही करवाया है यह ९२ किलो आया है।

लेकिन फिर भी जब मैं अपने खाने पीने पर कंट्रोल करता हूं तो एक-दो महीने में ही दो एक किलो वजन कम हो जाता है, लेकिन बहुत बार मैं उस रूटीन पर टिक नहीं पाता......

चलिए जिन बातों को मैंने वजन को कंट्रोल करने के लिए बहुत लाभदायक पाया है, उन की चर्चा ही कर लेते हैं....

  • चाय, दूध, लस्सी को बिना चीनी के फीका पीना........ इस से चीनी की मात्रा काफ़ी कम हो जाती है। कोल्ड ड्रिक्स बिल्कुल नहीं और बाज़ार से मिलने वाले बोतलबंद ज्यूस भी बहुत कम.....सारे साल में एक-दो बार।
  • नाश्ते में तले परांठे बिल्कुल बंद.......नहीं तो कभी १५ दिन या एक महीने में एक बार ले लिए तो ले लिये। 
  • जंक फूड पर टोटल नियंत्रण -- मैं यह काम आराम से कर लेता हूं। 
  • बिस्कुट -- भी ब्रिटानिया के मैरी जैसे ---हल्के मीठे वाले ज़्यादा ठीक रहते हैं। 
  • और रोज़ाना शारीरिक परिश्रम...... पैदल टहलना, साईकिल चलाना या जो भी आप अपनी पसंद का करना चाहें। 
ये छोटी छोटी बातें दिखती हैं, लेकिन वजन कम करने में बहुत सहायक हैं। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।

मोटापे पर मेरी कुछ पोस्टें ये भी हैं.....
 सेब जैसा मोटापा पहुंचाता है ज़्यादा नुकसान

ज़्यादा नमक का सेवन कितना खतरनाक है....

इस का जवाब आज की टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर मिलेगा कि ज़्यादा नमक के सेवन से हर वर्ष कितने लाखों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं.....ज़्यादा नमक खाने का मतलब सीधा सीधा -- उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड-प्रेशर) और साथ में होने वाले हृदय रोग। आप इस लिंक पर उस न्यूज़-रिपोर्ट को देख सकते हैं......बड़ी विश्वसनीय रिपोर्ट जान पड़ रही है.....अब इस रिपोर्ट के पीछे तो किसी का कोई वेस्टेड इंट्रस्ट नज़र नहीं ना आ रहा, लेकिन हम मानें तो....
 1.7 million deaths due to too much salt in diet

 भारत में तो लोग और भी ज़्यादा ज़्यादा नमक खाने के शौकीन हैं.... आप इस रिपोर्ट में भी देख सकते हैं। यह कोई हैरान करने वाली बात नहीं है..क्योंकि जिस तरह से सुबह सवेरे पारंपरिक जंक फूड--समोसे, कचोरियां, भजिया.... यह सब कुछ सुबह से ही बिकने लगता है..... और जिस तरह से वेस्टर्न जंक फूड--बर्गर, पिज्जा, नूड्लस.... और भी पता नहीं क्या क्या.......आज का युवा इन सब का आदि होता जा रहा है, इस में कोई शक नहीं कि २० वर्ष की उम्र में भी युवा  मोटापे और हाई-ब्लड-प्रैशर का शिकार हुए जा रहे हैं.

दरअसल हम लोग कभी इस तरफ़ ध्यान ही नहीं देते कि इस तरह का सारा खाना किस तरह से नमक से लैस होता है, जी हां, खराब तरह के फैट्स (वसा) आदि के साथ साथ नमक की भरमार होती है इन सब से। और किस तरह से बिस्कुट, तरह तरह की नमकीन आदि में भी सोडियम इतनी अधिक मात्रा में पाया जाता है और हम लोग कितने शौकीन हैं इन सब के.....यह चौंकाने वाली बात है। आचार, चटनियां भी नमक से लैस होती हैं। और कितने दर्ज़जों तरह के आचार हम खाते रहते हैं। ज़रूरत है कि हम अभी भी संभल लें.......वरना बहुत देर हो जाएगी।

और एक बात यह जो आज के युवा बड़े बड़े मालों से प्रोसैसड फूड उठा कर ले आते हैं....रेडीमेड दालें, रेडीमेड सब्जियां, पनीर ...और भी बहुत कुछ मिलता है ऐसा ही, मुझे तो नाम भी नहीं आते.....ये सब पदार्थ नमक से लबालब लैस होते हैं।

मैं अकसर अपने मरीज़ों को कहता हूं कि घर में जो टेबल पर नमकदानी होती है वह तो होनी ही नहीं चाहिए...अगर रखी होती है तो कोई दही में डालने लगता है, कोई सब्जी में, कोई ज्यूस में....... नमक जितना बस दाल-साग-सब्जी में पढ़ कर आता है, वही हमारे लिए पर्याप्त है। और अगर किसी को हाई ब्लड-प्रैशर है तो उसे तो उस दाल-साग-सब्जी वाली नमक को भी कम करने की सलाह दी जाती है।

मुझे अभी अभी लगा कि यह नमक वाला पाठ तो मैं इस मीडिया डाक्टर वाली क्लास में आप सब के साथ मिल बैठ कर पहले भी डिस्कस कर चुका हूं.......कहीं वही बातें तो दोहरा नहीं रहा, इसलिए मैंने मीडिया डाक्टर ब्लाग पर दाईं तरफ़ के सर्च आप्शन में देवनागरी में नमक लिखा तो मेरे लिए ये लेख प्रकट हो गये......यकीन मानिए, इन में लिखी एक एक बात पर आप यकीन कर सकतें......बिना किसी संदेह के.......

मीडिया डाक्टर: केवल नमक ही तो नहीं है नमकीन ! (जनवरी १५ २००८)
मीडिया डाक्टर: एक ग्राम कम नमक से हो सकती है ... सितंबर २६ २००९
मीडिया डाक्टर: नमक के बारे में सोचने का समय ...(मार्च २९ २००९)
आखिर हम लोग नमक क्यों कम नहीं कर पाते (जून १६ २०१०)
श्रृंखला ---कैसे रहेंगे गुर्दे एक दम फिट (अक्टूबर ४ , २००८)
आज एक पुराने पाठ को ही दोहरा लेते हैं (जनवरी २९ २००९)
मीडिया डाक्टर: श्रृंखला ---कैसे रहेंगे ... (अक्टूबर १ २००८)

सर्च रिजल्ट में तो बहुत से और भी परिणाम आए हैं ..जिन में भी नमक शब्द का इस्तेमाल किया गया था।  मेरे विचार में आज के लिए इतने ही काफ़ी हैं।

आज इस विषय पर लिख कर यह लगा कि इस तरह के पाठ बार बार मीडिया डाक्टर चौपाल पर बैठ कर दोहराते रहना चाहिए......अगर किसी ने भी आज से नमक कम खाना शुरू कर दिया तो जो थोड़ी सी मैंने मेहनत की, वह सफल हो गई। मेरे ऊपर भी इस लिखे का असर हुआ.....मैं अभी अभी जब दाल वाली रोटी (बिना तली हुई).. खाने लगा तो मेरे हाथ आम के आचार की शीशी की तरफ़ बढ़ते बढ़ते रूक गये। ऐसे ही छोटे से छोटे प्रयास करते रहना चाहिए।

यह पाठ तो हम ने दोहरा लिया, आप अपनी कापियां-किताबें बंद कर सकते हैं .....और आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक दूसरा पाठ भी दोहराने की ज़रूरत है......मैं तो इसे अकसर दोहरा लेता हूं.....आप भी सुनिए यह लाजवाब संदेश...