खबरों में तो पढ़ लिया करते थे कि पतंगबाजी के चक्कर में चाइनीज़ मंझा की वजह से यह हादसा हो गया, वह हो गया..लेकिन खबरें तो खबरें ही होती हैं न, शायद कभी इस के बारे में सोचा नहीं, शायद पतंगबाजी का शौक नहीं यह भी कारण हो सकता है..
लेकिन जब कोई चीज़ आप अपनी आंखों से देख लेते हैं (बिल्कुल ब्रह्मज्ञान की तरह!) ..तो उस पर यकीं हो जाता है।
आज मेरे पास एक मरीज़ आया तो उस के साथ उस की बिल्कुल छोटी सी बच्ची थी..यही तीन चार साल की रही होगी...थोड़ा दूर खड़ी थी...दूर से देखने पर मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसे कोई चमड़ी की तकलीफ़ होगी...
लेिकन उस के पिता ने तुरंत बताया कि नहीं, यह तो इस का माथा चाईनीज़ मांझे की वजह से कट गया था...
बीस दिन पहले ये लोग मोटरसाईकिल पर आ रहे थे..यह बच्ची अपने पिता के आगे बैठी हुई थी कि अचानक एक डोर के अटकने से यह हादसा हो गया... वही जिसे चाईनीज़ मंझा कहते हैं..
तुरंत रक्त बहने लगा... बहुत ज़्यादा ... सभी कपड़े खून से लथपथ हो गये... तुरंत इसे अस्पताल ले जाया लगा...जहां इसे १२ टांके लगे .. हफ्ते बाद टांके खुल गये... आज इस के माथे की यह स्थिति है जिस की फोटो मैंने यहां लगाई है।
मैं जब इस बच्ची के माथे की फोटो लेने लगा तो इस के पिता ने बताया कि सर, इस की फोटो तो मैंने तुरंत खींच कर मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर भेज दी थी...जी, आप बिल्कुल ठीक पढ़ रहे हैं ...एक बाप द्वारा इस तरह के दुःखद हादसे की खबर तुरंत मुख्यमंत्री को टवीट कर दी गई कि इस तरह की हानिकारक उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
मैं मन ही मन इस आदमी की जागरूकता की प्रशंसा कर रहा था...मुझे वह भी ध्यान आ रहा था कि लोगों ने किस तरह से रेल मंत्री को टवीट किया और रेल यात्रा के दौरान ही उन की परेशानियां भी दूर हो गईं..मीडिया में पिछले दिनों खूब आया...किसी यात्री के पास डाक्टर हाजिर हो गया, किसी के पास दवाईयां, किसी शिशु के कोच में दूध पहुंच गया, तो किसी महिला यात्री को उस का खोया पर्स मिल गया...
जब आप इस तरह की चोट के बारे में सुनते हैं तो यकीन नहीं न होता कि एक डोर के कटने से कुछ इस तरह का हो गया को बारह टांके लगवाने की नौबत आ पहुंची हो ..मैं जब अपने ही बचपन की याद करता हूं तो डोर से ज़्यादा से ज़्यादा क्या होता था अंगुली पर छोटी मोटी खरोंच आ जाती थी...बस....लेकिन यह जो बारह टांके वाली बात तो मेरे सामने थी...मैं आज पहली बार इस तरह की किसी चोट को देख रहा था...
तभी उस के पिता ने कहा कि सर, मेरे मोबाइल में कुछ फोटो तो थीं लेिकन बच्ची और उस की मां उसे बार बार देख कर परेशान हो जाया करती थीं, इसलिए मैंने डिलीट कर दीं...लेिकन एक फोटो जो मैंने अपनी भाई को व्हाट्सएप पर भेजी थी, उसे देखता हूं, अगर है तो उसे आप को भेजता हूं ... शेयर-इट पर....उसने वह तस्वीर तुरंत मुझे भेजी जिसे मैं यहां लगा रहा हूं....
मैं उस तस्वीर को देख कर हैरान रह गया कि एक मांझे की वजह से इस तरह से भयानक चोट भी आ सकती है। ठीक ही सुनते हैं कि किसी का गला कट गया इसी तरह के मांझे की वजह से ..अखबार में आती रहती हैं खबरें...यह जो आप इस तस्वीर में देख रहे हैं यह तस्वीर अस्पताल आने के बाद की है... जब टांके लगवाने के लिए इस के बाल काट दिये जा चुके थे..
यकीनन बच्ची ने बड़ा कष्ट सहा होगा इस चोट की वजह से... यह इस ज़ख्म की तस्वीर से ही पता चलता है .. मैं इन फोटो को यहां लगा भी इसलिए रहा हूं ताकि इस के बारे में जागरूकता और अधिक पैदा की जा सके.... और लोग यकीन करने लगें की हां, चाईनीज़ मांझा काट देता है....यह आदमी मुझे बता रहा था कि इस मांझे को अगर कोई हाथ से काटना चाहे तो उस का हाथ बुरी तरह से कट जाता है, डोर नहीं टूटती.. इसे केवल ब्लेड और चाकू से ही काटा जा सकता है....
मैं यही सोच रहा था उस से बात करता हुआ कि मांझा न हुआ, रामपुरी चक्कू हो गया...दफा करो यार, इस पतंगबाजी के शौक को जिस से पता ही नहीं कौन कट जाए, अगर पेन्च लगाने वाला बच गया तो पता नहीं कौन राहगीर कहां कट जाए....आप कल्पना कीजिए कि अगर यह मांझा इस बच्ची के माथे की बजाए इस की आंखों पे आ जाता या गले पर ....कितने भयंकर परिणाम निकल सकते थे...बच गई यह बच्ची, शुक्र है।
प्रतिबंध की बात कर ली जाए...सुनते तो रहते हैं कि प्रतिबंध लगा हुआ है ...लेिकन उस के बारे में मेरा यह विचार है क प्रतिबंध तो वैसे बहुत ही चीज़ों पर लगा हुआ है लेकिन फिर भी धड़ल्ले से बिकती रहती हैं.. ऐसे में यार सरकार क्या क्या करे, नागरिकों की भी तो कोई जिम्मेदारी है कि नहीं, कम से कम इतनी तो है ही कि इस तरह का लेख पढ़ कर बच्चों को कभी भी इस तरह की डोर खरीदवाने के लिए न जाएं...बड़ा प्रश्न यही है कि डोर चाईनीज़ है या देशी, इस का भेद कैसे पाएंगे......मुझे इस का बिल्कुल भी अनुभव नहीं है लेकिन कौन दुकानदार चाईनीज़ मांझा कह के बेचता होगा....अकसर सुना है कि इन चाइनीज़ चीज़ों में मोटी कमाई होती है, इसलिए ये बिकती भी खूब हैं।
शायद कोई पाठक यह भी सोच रहा होगा कि तुम तो बात कर रहे हो मांझा न खरीदने की, न इस से पतंगबाजी करने की, लेिकन बच्ची का क्या कसूर.... मैं भी यही सोच रहा हूं सुबह से .......but then it is life!....केवल हम नहीं करते यह सब कुछ, इसलिए हम अपने आप को सुरक्षित महसूस कर लें, यह बात नहीं है, हम सब को एक जुट हो कर इन जानलेवा चीज़ों का बहिष्कार करना होगा...न ही खरीदें, न ही इस्तेमाल करें और आस पास भी इस के बारे में एक अभियान शुरू करिए। क्या ख्याल है?..
इन चीज़ों के बारे में ढिंढोरा पीटना होगा...वैसे मैंने भी तो वही किया है ...बस, इतना आग्रह है कि इसे आगे भी शेयर अवश्य करिएगा... वैसे मैं किसी पोस्ट को आगे शेयर करने के लिए कभी कहता नहीं हूं....क्योंकि मैं भी तब तक किसी बात को आगे शेयर नहीं करता जब तक मैं उस की प्रामाणिकता से संतुष्ट नहीं हो जाऊं। लेिकन यह मसला ही ऐसा है कि इस के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता फैलाए जाने की ज़रूरत है...
मांझे की बात हुई, डोर की हुई...हम लोग पंजाबी में इसे डोर कहते हैं ... आप को ज़रूर पता होगा कि डोर नाम की एक बेहतरीन हिंदी फिल्म भी है ... one of my favourites ... I recommend it to you...please watch it ...अगर डीवीडी नहीं भी मिले तो यू-ट्यूब पर ही मिल जाएगी...देखिएगा इसे ..जैसे इस बच्ची के पिता ने हौसला दिखाया ..टवीट हैंडल इस्तेमाल करने का इस तरह की सिचुएशन में भी ...यह फिल्म भी एक लड़की की हिम्मत की ही बात करती है ....मुझे अभी इस का यह गीत ध्यान में आ रहा है... सुनिएगा... लिरिक्स पर ध्यान दीजिए....
लेकिन जब कोई चीज़ आप अपनी आंखों से देख लेते हैं (बिल्कुल ब्रह्मज्ञान की तरह!) ..तो उस पर यकीं हो जाता है।
आज मेरे पास एक मरीज़ आया तो उस के साथ उस की बिल्कुल छोटी सी बच्ची थी..यही तीन चार साल की रही होगी...थोड़ा दूर खड़ी थी...दूर से देखने पर मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसे कोई चमड़ी की तकलीफ़ होगी...
लेिकन उस के पिता ने तुरंत बताया कि नहीं, यह तो इस का माथा चाईनीज़ मांझे की वजह से कट गया था...
चाईनीज़ मांझे से कटने के बीस दिन बाद यह हालत है..टांके खुल गये हैं |
तुरंत रक्त बहने लगा... बहुत ज़्यादा ... सभी कपड़े खून से लथपथ हो गये... तुरंत इसे अस्पताल ले जाया लगा...जहां इसे १२ टांके लगे .. हफ्ते बाद टांके खुल गये... आज इस के माथे की यह स्थिति है जिस की फोटो मैंने यहां लगाई है।
मैं जब इस बच्ची के माथे की फोटो लेने लगा तो इस के पिता ने बताया कि सर, इस की फोटो तो मैंने तुरंत खींच कर मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर भेज दी थी...जी, आप बिल्कुल ठीक पढ़ रहे हैं ...एक बाप द्वारा इस तरह के दुःखद हादसे की खबर तुरंत मुख्यमंत्री को टवीट कर दी गई कि इस तरह की हानिकारक उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
मैं मन ही मन इस आदमी की जागरूकता की प्रशंसा कर रहा था...मुझे वह भी ध्यान आ रहा था कि लोगों ने किस तरह से रेल मंत्री को टवीट किया और रेल यात्रा के दौरान ही उन की परेशानियां भी दूर हो गईं..मीडिया में पिछले दिनों खूब आया...किसी यात्री के पास डाक्टर हाजिर हो गया, किसी के पास दवाईयां, किसी शिशु के कोच में दूध पहुंच गया, तो किसी महिला यात्री को उस का खोया पर्स मिल गया...
जब आप इस तरह की चोट के बारे में सुनते हैं तो यकीन नहीं न होता कि एक डोर के कटने से कुछ इस तरह का हो गया को बारह टांके लगवाने की नौबत आ पहुंची हो ..मैं जब अपने ही बचपन की याद करता हूं तो डोर से ज़्यादा से ज़्यादा क्या होता था अंगुली पर छोटी मोटी खरोंच आ जाती थी...बस....लेकिन यह जो बारह टांके वाली बात तो मेरे सामने थी...मैं आज पहली बार इस तरह की किसी चोट को देख रहा था...
तभी उस के पिता ने कहा कि सर, मेरे मोबाइल में कुछ फोटो तो थीं लेिकन बच्ची और उस की मां उसे बार बार देख कर परेशान हो जाया करती थीं, इसलिए मैंने डिलीट कर दीं...लेिकन एक फोटो जो मैंने अपनी भाई को व्हाट्सएप पर भेजी थी, उसे देखता हूं, अगर है तो उसे आप को भेजता हूं ... शेयर-इट पर....उसने वह तस्वीर तुरंत मुझे भेजी जिसे मैं यहां लगा रहा हूं....
मैं उस तस्वीर को देख कर हैरान रह गया कि एक मांझे की वजह से इस तरह से भयानक चोट भी आ सकती है। ठीक ही सुनते हैं कि किसी का गला कट गया इसी तरह के मांझे की वजह से ..अखबार में आती रहती हैं खबरें...यह जो आप इस तस्वीर में देख रहे हैं यह तस्वीर अस्पताल आने के बाद की है... जब टांके लगवाने के लिए इस के बाल काट दिये जा चुके थे..
टांके लगने से पहले की तस्वीर से आप को इस भयानक चोट का अंदाज़ा होगा |
मैं यही सोच रहा था उस से बात करता हुआ कि मांझा न हुआ, रामपुरी चक्कू हो गया...दफा करो यार, इस पतंगबाजी के शौक को जिस से पता ही नहीं कौन कट जाए, अगर पेन्च लगाने वाला बच गया तो पता नहीं कौन राहगीर कहां कट जाए....आप कल्पना कीजिए कि अगर यह मांझा इस बच्ची के माथे की बजाए इस की आंखों पे आ जाता या गले पर ....कितने भयंकर परिणाम निकल सकते थे...बच गई यह बच्ची, शुक्र है।
प्रतिबंध की बात कर ली जाए...सुनते तो रहते हैं कि प्रतिबंध लगा हुआ है ...लेिकन उस के बारे में मेरा यह विचार है क प्रतिबंध तो वैसे बहुत ही चीज़ों पर लगा हुआ है लेकिन फिर भी धड़ल्ले से बिकती रहती हैं.. ऐसे में यार सरकार क्या क्या करे, नागरिकों की भी तो कोई जिम्मेदारी है कि नहीं, कम से कम इतनी तो है ही कि इस तरह का लेख पढ़ कर बच्चों को कभी भी इस तरह की डोर खरीदवाने के लिए न जाएं...बड़ा प्रश्न यही है कि डोर चाईनीज़ है या देशी, इस का भेद कैसे पाएंगे......मुझे इस का बिल्कुल भी अनुभव नहीं है लेकिन कौन दुकानदार चाईनीज़ मांझा कह के बेचता होगा....अकसर सुना है कि इन चाइनीज़ चीज़ों में मोटी कमाई होती है, इसलिए ये बिकती भी खूब हैं।
शायद कोई पाठक यह भी सोच रहा होगा कि तुम तो बात कर रहे हो मांझा न खरीदने की, न इस से पतंगबाजी करने की, लेिकन बच्ची का क्या कसूर.... मैं भी यही सोच रहा हूं सुबह से .......but then it is life!....केवल हम नहीं करते यह सब कुछ, इसलिए हम अपने आप को सुरक्षित महसूस कर लें, यह बात नहीं है, हम सब को एक जुट हो कर इन जानलेवा चीज़ों का बहिष्कार करना होगा...न ही खरीदें, न ही इस्तेमाल करें और आस पास भी इस के बारे में एक अभियान शुरू करिए। क्या ख्याल है?..
इन चीज़ों के बारे में ढिंढोरा पीटना होगा...वैसे मैंने भी तो वही किया है ...बस, इतना आग्रह है कि इसे आगे भी शेयर अवश्य करिएगा... वैसे मैं किसी पोस्ट को आगे शेयर करने के लिए कभी कहता नहीं हूं....क्योंकि मैं भी तब तक किसी बात को आगे शेयर नहीं करता जब तक मैं उस की प्रामाणिकता से संतुष्ट नहीं हो जाऊं। लेिकन यह मसला ही ऐसा है कि इस के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता फैलाए जाने की ज़रूरत है...
इसे देख कर अगर कुछ याद आया हो तो हाथ खड़े करिए.. |