पब्लिक अगर किसी से इस तरह की बात सुनती है तो सोचती है कि लोग तो ऐसे ही जंक-फूड के पीछे हाथ धो कर पड़े हुए हैं...लेकिन अगर किसी विशेषज्ञ से वही बात सुनते हैं तो शायद मन को छू जाती है।
कल विश्व किडनी दिवस था..जगह जगह पर कार्यक्रम हुए...लखनऊ में एक पैदल यात्रा निकाली गई जिस में इन रोगों के बारे में जागरूक किया गया। सच में जागरुकता ही एक ऐसे हथियार है जिस से आप बहुत हद तक बच सकते हैं.,
वही सब की सब पुरानी बातें हैं ...केवल दोहरानी होती हैं ताकि मन में बैठ जाएं...फिल्मी गीत बार बार सुनते हैं कि नहीं, सुबह से शाम तक..रात तक...उनसे बोर नहीं होते तो इन बातों को सुनने से न बोर होने की भी आदत डाल लीजिए।
इस बार विश्व किडनी दिवस का थीम था ..बच्चों में इस बीमारी को कैसे रोका जाए...एक बात पर बार बार ज़ोर दिया गया कि अगर बच्चा तीन साल की उम्र के बाद भी बिस्तर गीला करता है तो इसे गंभीरता से लें..आम तौर पर बच्चे तीन साल की उम्र तक अपने ब्लैडर को कंट्रोल करना सीख लेते हैं... इस के बाद भी अगर यह न हो पाए तो पेशाब की जांच, रक्त की जांच होनी चाहिए.. कहीं पेशाब करते समय दर्द तो नहीं होता, बार बार बुखार, पेट में दर्द, सिर दर्द की शिकायत .... बच्चे को चिकित्सक के पास अवश्य ले कर जाइए.... a stitch in time saves nine!
जंक-फूड के सभी डाक्टर बहुत खिलाफ हैं..इन की किसी मैक्डोनॉल्ड, पिज्जा हट वाले से, किसी अन्य फास्ट-फूड चेन से या गली के नुक्कड़ पर खड़े हो कर मोमोज़ या नूडल्स बेच रहे बंदे से कोई दुश्मनी नहीं है ...ये लोग आप के फायदे के लिए ही कहते हैं...फिर भी फैसला तो आपने ही करना होता है ...
हम लोग पता नहीं अभी भी नहीं इन की बात मानेंगे तो कब मानेंगे ...छोटे छोटे बच्चों और युवाओं को उच्च रक्त चाप, किडनी स्टोन, डॉयबीटीज़ जैसी बीमारियां होने लगी हैं ... इन सब के लिए जीवनशैली तो जिम्मेदार है ही ...जंक फूड भी बड़ा विलेन है....
फास्ट-फूड में नमक की मात्रा बहुत ज़्यादा होने के कारण हमारे शरीर में कैल्शीयम की मैटोबोलिज़्म कुछ इस तरह से बिगड़ने लगती है कि पत्थरी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है...
सोचने वाली बात है कि क्या हम लोग पहले से फास्ट-फूड, जंक-फूड के बारे में नहीं जानते ?...लेकिन फिर भी हम सोचते हैं कि यह सब हमारे लिए नहीं कह रहे... किसी और के लिए ये बातें कही जा रही हैं, अकसर हम ऐसा ही सोचते हैं।
बेहतर होगा अगर हम लोग जंक-फूड, फास्ट-फूड को त्याग दें...शायद ऐसा करना मुश्किल होता है, चाईनीज़ वाईनीज़ न भी खाते हों तो रोज़ कचौड़ी, खस्ता, समोसे खाने की इच्छा किसे नहीं होती, मुझे भी बहुत होती है ... लेिकन हर किसी के अपने अपने कारण हैं, मैं इसलिए नहीं खाता कि मेरा इन सब को खाते ही सिर दुखने लगता है, एसिडिटी बहुत बढ़ जाती है, और बहुत बार तो पेट खराब हो जाता है, इसलिए मैं शायद कुछ महीनों के बाद ही यह सब खाता हूं....आप भी कुछ कारण ढूंढिए यह सब कचरापट्टी को छोड़ने का ...मैं बहुत से लोगों को भी इस के प्रेरित करता रहता हूं... Again i am saying, Choice is yours! हमारा काम बस थोड़ा सा ढिंढोरा पीटना है।
पंजाबी में हम कईं बार मज़ाक में कह देते हैं ..कि फलां फलां बंदा तो रब दी जंज ते आया हुआ है... रब की जंज का मतलब की भगवान की शादी में बाराती बन कर आया हुआ हो कोई जैसे ... किसी भी बाज़ार से गुज़र जाएं जिस तरह से जंक-फूड के स्टाल चल रहे होते हैं और लोग यह सब खा पी रहे होते हैं तो एक बार तो लगता है कि ये लोग रब दी जंज पर आए हुए हो जैसे।
जंक-फूड खाने, ज़्यादा नमक खाने से कोई कुछ दिनों में बीमार नहीं होता, इन सब का क्यूमूलेटिव प्रभाव है, धीरे धीरे हमारी जीवनशैली बदल देते हैं ये सब... हमें यही खाना भाता है, फिर सोफे पर पसर कर हस समय बिना सिर पैर वाले सोप देखना, घर से बाहर निकलना नहीं... हो सके, तो बच लीजिए।
कुछ तस्वीरें लगाने की इच्छा हो रही है क्योंकि विशेषज्ञ बंधु किड़नी रोग के बारे में बहुत ही काम की बातें कह रहे हैं...
अच्छा, कुछ तो असर होता ही है . मैंने कल कहीं पढ़ा कि सुबह की शुरूआत एक गिलास पानी से करनी चाहिए...मैंने कल से सुबह उठ कर दो िगलास पानी पीना शुरू कर दिया है ... पहले मैं बिल्कुल नहीं पीता था, सब लोग कह कह कर हार गये थे...जब जो बात शुरू कर दें, उसे ही सवेरा जान लीजिए.... THERE IS NEVER A WRONG TIME TO DO THE RIGHT THING!
कल विश्व किडनी दिवस था..जगह जगह पर कार्यक्रम हुए...लखनऊ में एक पैदल यात्रा निकाली गई जिस में इन रोगों के बारे में जागरूक किया गया। सच में जागरुकता ही एक ऐसे हथियार है जिस से आप बहुत हद तक बच सकते हैं.,
वही सब की सब पुरानी बातें हैं ...केवल दोहरानी होती हैं ताकि मन में बैठ जाएं...फिल्मी गीत बार बार सुनते हैं कि नहीं, सुबह से शाम तक..रात तक...उनसे बोर नहीं होते तो इन बातों को सुनने से न बोर होने की भी आदत डाल लीजिए।
इस बार विश्व किडनी दिवस का थीम था ..बच्चों में इस बीमारी को कैसे रोका जाए...एक बात पर बार बार ज़ोर दिया गया कि अगर बच्चा तीन साल की उम्र के बाद भी बिस्तर गीला करता है तो इसे गंभीरता से लें..आम तौर पर बच्चे तीन साल की उम्र तक अपने ब्लैडर को कंट्रोल करना सीख लेते हैं... इस के बाद भी अगर यह न हो पाए तो पेशाब की जांच, रक्त की जांच होनी चाहिए.. कहीं पेशाब करते समय दर्द तो नहीं होता, बार बार बुखार, पेट में दर्द, सिर दर्द की शिकायत .... बच्चे को चिकित्सक के पास अवश्य ले कर जाइए.... a stitch in time saves nine!
जंक-फूड के सभी डाक्टर बहुत खिलाफ हैं..इन की किसी मैक्डोनॉल्ड, पिज्जा हट वाले से, किसी अन्य फास्ट-फूड चेन से या गली के नुक्कड़ पर खड़े हो कर मोमोज़ या नूडल्स बेच रहे बंदे से कोई दुश्मनी नहीं है ...ये लोग आप के फायदे के लिए ही कहते हैं...फिर भी फैसला तो आपने ही करना होता है ...
हम लोग पता नहीं अभी भी नहीं इन की बात मानेंगे तो कब मानेंगे ...छोटे छोटे बच्चों और युवाओं को उच्च रक्त चाप, किडनी स्टोन, डॉयबीटीज़ जैसी बीमारियां होने लगी हैं ... इन सब के लिए जीवनशैली तो जिम्मेदार है ही ...जंक फूड भी बड़ा विलेन है....
फास्ट-फूड में नमक की मात्रा बहुत ज़्यादा होने के कारण हमारे शरीर में कैल्शीयम की मैटोबोलिज़्म कुछ इस तरह से बिगड़ने लगती है कि पत्थरी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है...
सोचने वाली बात है कि क्या हम लोग पहले से फास्ट-फूड, जंक-फूड के बारे में नहीं जानते ?...लेकिन फिर भी हम सोचते हैं कि यह सब हमारे लिए नहीं कह रहे... किसी और के लिए ये बातें कही जा रही हैं, अकसर हम ऐसा ही सोचते हैं।
बेहतर होगा अगर हम लोग जंक-फूड, फास्ट-फूड को त्याग दें...शायद ऐसा करना मुश्किल होता है, चाईनीज़ वाईनीज़ न भी खाते हों तो रोज़ कचौड़ी, खस्ता, समोसे खाने की इच्छा किसे नहीं होती, मुझे भी बहुत होती है ... लेिकन हर किसी के अपने अपने कारण हैं, मैं इसलिए नहीं खाता कि मेरा इन सब को खाते ही सिर दुखने लगता है, एसिडिटी बहुत बढ़ जाती है, और बहुत बार तो पेट खराब हो जाता है, इसलिए मैं शायद कुछ महीनों के बाद ही यह सब खाता हूं....आप भी कुछ कारण ढूंढिए यह सब कचरापट्टी को छोड़ने का ...मैं बहुत से लोगों को भी इस के प्रेरित करता रहता हूं... Again i am saying, Choice is yours! हमारा काम बस थोड़ा सा ढिंढोरा पीटना है।
पंजाबी में हम कईं बार मज़ाक में कह देते हैं ..कि फलां फलां बंदा तो रब दी जंज ते आया हुआ है... रब की जंज का मतलब की भगवान की शादी में बाराती बन कर आया हुआ हो कोई जैसे ... किसी भी बाज़ार से गुज़र जाएं जिस तरह से जंक-फूड के स्टाल चल रहे होते हैं और लोग यह सब खा पी रहे होते हैं तो एक बार तो लगता है कि ये लोग रब दी जंज पर आए हुए हो जैसे।
जंक-फूड खाने, ज़्यादा नमक खाने से कोई कुछ दिनों में बीमार नहीं होता, इन सब का क्यूमूलेटिव प्रभाव है, धीरे धीरे हमारी जीवनशैली बदल देते हैं ये सब... हमें यही खाना भाता है, फिर सोफे पर पसर कर हस समय बिना सिर पैर वाले सोप देखना, घर से बाहर निकलना नहीं... हो सके, तो बच लीजिए।
कुछ तस्वीरें लगाने की इच्छा हो रही है क्योंकि विशेषज्ञ बंधु किड़नी रोग के बारे में बहुत ही काम की बातें कह रहे हैं...
अच्छा, कुछ तो असर होता ही है . मैंने कल कहीं पढ़ा कि सुबह की शुरूआत एक गिलास पानी से करनी चाहिए...मैंने कल से सुबह उठ कर दो िगलास पानी पीना शुरू कर दिया है ... पहले मैं बिल्कुल नहीं पीता था, सब लोग कह कह कर हार गये थे...जब जो बात शुरू कर दें, उसे ही सवेरा जान लीजिए.... THERE IS NEVER A WRONG TIME TO DO THE RIGHT THING!
डा आर के शर्मा देश के एक विख्यात किडनी रोग विशेषज्ञ हैं.. |
इन्हें भी सुन लिया जाए..बाबा जी भी कुछ अच्छी नसीहत दे रहे हैं कि अब तो उठ जाओ... भोर हो गई ...