रविवार, 1 मार्च 2015

क्या आपने भगत पूरन सिंह का नाम सुना है?

भगत पूरन सिंह जी ....कोटि कोटि नमन 
कोई बात नहीं, अगर नहीं भी सुना, तो इन के बारे में अभी बात कर लेते हैं...वैसे तो अगर आप स्वयं भी भगत पूरन सिंह लिख कर गूगल करेंगे तो इस महान् शख्शियत के बारे में सब कुछ जान सकते हैं...और अगर पिंगलवाड़ा अमृतसर लिख कर गूगल सर्च करेंगे तो भी सब कुछ आप आसानी से जान जाएंगे।

दोस्तो, हम लोगों ने बचपन से इस महान शख्शियत के बारे में सुना और इन के महान कामों को देखा।

आज अचानक इन का ध्यान आ गया क्योंकि दो दिन पहले मेरे एक मित्र नवराज ने फेसबुक पर इन के बारे में लिखा ...नवराज गांव राजासांसी (अमृतसर हवाई अड्डे का नाम राजासांसी एयरपोर्ट है....उस के साथ लगते गांव को राजासांसी कहते हैं)...का रहने वाला है...वह याद कर रहा था कि जब वह चौथी या पांचवी कक्षा में था तो एक दिन जब वह हाकी उठा कर सड़क पर मस्ती से चला जा रहा था तो उस की निगाह एक बुज़ुर्ग पर पड़ी जो सड़क से पत्थर उठा कर अपने रिक्शे में भरता जा रहा था... नवराज कहता है कि वह उस से बहुत प्रभावित हुआ..उसे फिर पता चला कि यह तो भगत पूरन सिंह है ... और वह इस तरह के राह पर गिरे पत्थर उठा रहा था ताकि कोई राहगीर चोटिल न हो जाए..

दोस्तो, मेरा भी इस शख्स से तारूफ़ १९७० के आस पास के दिनों का है.....मुझे बहुत अच्छे से याद है कि हर महीने हमारे घर लोहे की छोटी सी काली ट्रंकी रूपी दान-पात्र उठाए एक शख्स आया करता था और उस ट्रंकी पर लिखा होता था...दानपात्र...पिंगलवाड़ा, अमृतसर......और मेरे पिता जी उसे हर महीने बड़े सत्कार से दो रूपये देते और वह उसी समय रसीद काट कर दे जाता। मैंने यह रूटीन बरसों तक देखा....कईं बार जब वह शख्स किसी महीने नहीं आता तो मेरे पिता जी उसे अगले महीने दोगुनी रकम दे देते।


वह शख्स हमारी कॉलोनी में बहुत से घरों में जाया करता था... वह पिंगलवाड़े के लिए दान इक्ट्ठा किया करता था। उस की सभी बहुत ईज्जत किया करते थे।

लेकिन दोस्तो मेरे को यह बिल्कुल भी ध्यान नहीं है कि वह आने वाला शख्स स्वयं भगत पूरन सिंह ही था या उस के पिंगलवाडे का कोई सेवादार था....मुझे बड़ा अफसोस है कि मुझे याद नहीं है, लेिकन मैं जब भी भगत जी की फोटो देखता हूं तो उसी शख्स की तस्वीर मेरी आंखों के आगे घूम जाती है।

हां, तो बात आगे भी तो बढाऊं........हां, तो दोस्तो मैं नवराज की फेसबुक पोस्ट की बात कर रहा था...उसने उसमें लिखा था कि उसने एक पंजाबी फिल्म देखी है ...एह जन्म तुम्हारे लेखे...जो कि भगत पूरन सिंह के जीवन पर आधारित है। मैंने भी ट्रेलर तो उसी समय देख लिया और आज वह फिल्म भी देख ली... बहुत अच्छा लगा...मेरी मां भी भगत पूरऩ सिंह की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं......अकसर उन का साहित्य पढ़ती रहती हैं...उन्होंने भी देखी है आज यह फिल्म। इस संत ने सामाजिक विषयों एवं नशेबंदी पर बहुत सुंदर लिखा है....अगली बार जब आप स्वर्ण मंदिर जाएं तो किसी से पूछ लेना भगत पूरन सिंह जी कि किताबें किस स्टाल पर मिलेंगी.....सारा साहित्य मुफ्त बांटा जाता है।

अच्छा आप भी ट्रेलर तो देखिए.... फिल्म भी देखने का जुगाड़ ज़रूर कर लेना....यकीन मानिए पवन मल्होत्रा ने भगत पूरन सिंह के रोल के साथ पूरा न्याय किया है!



दोस्तो, इस महान शख्स ने जितनी सेवा की है ...उसे शब्दों में ब्यां कर पाना मुश्किल है...घर घर जा कर भिक्षा लाना, पिंगलवाडे के लिए...जहां पर लूले, लंगड़े, अपाहिज, टीबी, कुष्ठ रोगी, मानसिक तौर पर अस्वस्थ रोगी...बेघर, बेबस महिलाएं....जो भी बिना आसरे के होता, उसे वहां पक्की पनाह मिल जाती ...अभी भी पिंगलवाड़ा चल रहा है।

दोस्तो, इस महान् शख्स के बारे में ज़रूर जानिए....फिल्म भी ज़रूर देखिएगा.... पंजाबी में है तो भी फिक्र नॉट, आप देखिएगा, आप को समझ आ जाएगी..........इंसानियत की भी क्या कोई भाषा होती है!

मुझे याद है मैं १९८७ में एक बार इस पिंगलवाड़े में गया था...एक साथी को वहां रहने वाले अपाहिज बच्चों पर कुछ स्टडी करनी थी...लेकिन अपने काम के प्रति उस में बिल्कुल संजीदगी नहीं थी....अफसोस!

Wikipedia Link... Bhagat Puran Singh ji
Wikipedia Link... Pingalwada, Amritsar