मंगलवार, 13 जनवरी 2015

अगर परिंदे भी हिंदु और मुसलमान हो जाएं...



अभी मैं सोने लगा था..फोन चैक किया.. एक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक ऑडियो मैसेज सुना....मन को इतना छू गया कि सोने का कार्यक्रम थोड़े समय के लिए स्थगित कर दिया।

मैं उन पंक्तियों को इस पोस्ट के जरिए आप तक पहुंचाने वाला हूं...मुझे नहीं पता ये किस ने लिखी हैं, लेकिन उस अनजान रूह को बार बार प्रणाम्.....विचारों की सुंदरता के लिए।

"यह पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं,
अगर परिंदे भी हिंदु और मुस्लमान हो जाएं, 
सूखे मेवे भी यह देख कर हैरान हो गए, 
ना जाने कब नारियल हिंदु और खजूर मुसलमान हो गये। 
ना मस्जिद को जानते हैं ना शिवालों को जानते हैं, 
जो भूखे पेट होते हैं वो सिर्फ़ निवालों को जानते हैं। 
मेरा यही अंदाज़ जमाने को खलता है,
कि मेरा चिराग हवा के खिलाफ़ क्यों जलता है। 
मैं अमन पसंद हूं मेरे शहर से दंगा दूर रहने दो, 
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर सिर्फ़ तिरंगा ही रहने दो।"

                                                            --- एक अनजान फरिश्ता

कुछ वर्ष पहले अपने ब्लॉगर बंधु मोदगिल जी से एक ब्लॉगर मिलन के दौरान ये पंक्तियां भी सुनी थीं, बहुत अच्छी लगी थीं......
मस्जिद की मीनारें बोलीं मंदिर के कंगूरों से 
हो सके तो देश बचा लो इन मजहब के लंगूरों से।।


छरहरी काया पाने की ललक में

पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं में छरहरी काया पाने और प्रसव के बाद इसे बनाए रखने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जा रहे हैं।

कुछ ऐसे ही उपाय जिन के बारे में हम लोग अकसर देखते सुनते रहते हैं, वे ये रहे...
३० वर्ष या उस के भी पार शादी करने के बावजूद कुछ समय तक बच्चे पैदा न करने का निर्णय 
बच्चे पैदा होने की सही उम्र के बावजूद इसे गर्भपात से रोकना...कैरियर या फिगर की चिंता में
बच्चा पैदा होने पर उसे स्तनपान न करवाना--फिगर खराब होने के अंदेशे से
और भी हैं कुछ, सब कुछ यहां लिखने से क्या हासिल लेकिन!!

मैं तो बस इतना कहने आया हूं कि कल की टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर एक रिपोर्ट देख कर चिंता हुई..उस में बताया गया था कि किस तरह से कुछ महिलाएं प्रसव के तुरंत बाद ही अपनी छरहरी काया के लिए एक दूसरे आप्रेशन के लिए तैयार हो जाती हैं जो उन को स्लिम-ट्रिम रखने के लिए किया जाता है। 

यह बड़ी चिंताजनक बात है.....नीचे मैं इस रिपोर्ट का लिंक लगाए दे रहा हूं.. आप देखेंगे कि किस तरह से सिज़ेरिएन सेक्शन के तुंरत बाद एक और आप्रेशन.......विशेषज्ञ इस की सलाह नहीं देते क्योंकि इस के िलए भी अगले दो सप्ताह तक मां को आराम करना होगा, इसलिए वह अपने शिशु पर ध्यान नहीं दे पाती। और ये शुरूआती दिन मां-शिशु की भावनात्मक बांडिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं......विश्वभर के विशेषज्ञों ने यह सिद्ध कर दिया है। 

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कम से कम एक साल तक तो महिलाओं को प्रसव के बाद इंतज़ार कर लेना चाहिए.....वैसे भी अपने खाने पीने की तरफ़ सजग होकर और शारीरिक व्यायाम की तरफ़ ध्यान देकर काफी हद तक छरहरी काया को तो बनाए रखा ही जा सकता है!

 एक बात और......अगर इस तरह के बेफिजूल से आप्रेशनों की बजाए महिलाएं एवं उन के परिजन प्रसव के बाद उन के खाने पीने को देसी घी से लैस करने की बजाए उस के संतुलित एवं पोष्टिक होने पर ज़्यादा ध्यान दें...तो बेहतर होगा। देश में प्रसव के बाद तो महिलाओं में जैसे देशी घी और उस से बने उत्पाद ठूंसे जाते हैं....ठीक है, यह सब लिमिट में ज़रूरी है, लेकिन वही बात है......संतुलन!

इस रिपोर्ट में जो बातें लिखी थीं, मैंने इन्हें हिंदी में लिखने में थोड़ा असहज महसूस कर रहा हूं....इसलिए इंगलिश में ही ठेल रहा हूं......

Donning a New Look....
Mummy Makeover usually comprises of breast surgery, body contouring/tummy tuck and vaginoplasty (in vaginal deliveries) of which tummy tuck is the most popular. 

During Tummy tuck, aim is to keep the scar in the panty line!

विडंबना देखिए......एक तरफ ज़्यादा खाए पिए और कम काम करने की वजह से शरीर से थुलथुल होने का डर और इस डर को भुनाने में लगे कुछ विशेषज्ञ....और दूसरी तरफ़ कम वजन की वजह से गर्भवती महिलाओं में गर्भ में पल रहे शिशु के साथ साथ उन की स्वयं की जान को खतरा।

दो दिन पहले मैं किसी दुकान पर खड़ा था, मैंने देखा एक कमजोर शरीर का आदमी और उस से भी ज़्यादा कमजोर दिख रही उस की गर्भवती बीवी जिस की आंखें पूरी तरह से धंसी हुई थीं, उस आदमी ने अपने हाथ में एक प्लास्टिक की पन्नी में कुछ चकुंदर रखे हुए थे....इसी आस के साथ कि शायद इसी से उस मां का खून बढ़ जाए.......मेरी भी दिल से यही प्रार्थना निकली कि उस महिला के साथ ज़रूर ऐसा कुछ हो जाए...शीघ्र सेहतमंद हो जाए, यह और इस के आने वाला शिशु सेहतमंद रहे....Miracles do happen!