ई-बोला हैमरेजिक बुखार एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो कि ९०प्रतिशत केसों में जान ही ले लेती है और यह मानव एवं प्राइमेट्स में (जैसे कि बंदर, गोरिल्ला) में होती है।
यह बीमारी एक वॉयरस के द्वारा होती है -वैज्ञानिकों ने पांच तरह की ई-बोला वॉयरस की पहचान की है। अभी तक तो यह बीमारी अफ्रीका के कुछ भागों तक ही सीमित थी।
मैं आज कहीं पढ़ रहा था कि इस वॉयरस को बॉयो-टेरेरिज़म के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
मनुष्यों में यह बीमारी संक्रमित पशुओं एवं पशुओं के पदार्थों से (animal materials)..फैल सकती है। ई-बोला वॉयरस इंसानों में आपस में नज़दीकी संपर्क से एवं संक्रमित शारीरिक द्रव्यों के द्वारा और अस्पताल में संक्रमित सूईंयों से फैल सकती है।
इस की जांच के लिए विभिन्न तरह के टैस्ट उपलब्ध हैं।
शुरूआती दौर में इस के लक्षण हैं जो कि लगभग एक हफ्ते तक रह सकते हैं...... जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकपाहट, दस्त, थकान, बुखार, कुछ न करने का मन, मतली, गले में दर्द, उल्टी होना....
बाद में यह लक्षण आ जाते हैं..... आंखों, कानों और नाक से खून बहना, मुंह से और गुदा द्वार से रक्त बहना, आंख की सूजन, यौन अंगों की सूजन (महिलाओं में योनि द्वार - लेबिया और पुरूषों में अंडकोष की सूजन), चमडी में ज्यादा दर्द महसूस होना, सारे शरीर में अजीब तरह की रक्त-रंजित खारिश, और मुंह में तालू लाल दिखने लगता है।
इस बीमारी का इलाज कुछ है नहीं, लगभग ९० प्रतिकेस तो जान गंवा बैठते हैं. वैसे मरीज़ को आईसीयू में रहने की ज़रूरत पड़ती है और वहां पर उसे रक्त या प्लेटलेट्स दिये जा सकते हैं। अकसर मरीज की मौत रक्त चाप बहुत नीचे गिर जाने से होती है।
अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़िए..... Ebola Hemorrhagic fever
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