रविवार, 3 अगस्त 2014

बेबी फेक्ट्री जहां मिलती है किराए की कोख

किराए की कोख के बारे में आप सब देखते सुनते रहते ही हैं। अभी मैंने भी बीबीसी हिंदी की साइट पर एक रिपोर्ट देखी है...... गुज़रात की बेबी फेक्ट्री जहां मिलती है किराए की कोख।

रिपोर्ट बनाने में खासी मेहनत की गई लगती है।

मेरा तो ध्यान नियम कायदों की जगह अटक गया......
  • सरोगेट माताओं को डॉर्मेट्री में रहना अनिवार्य है.
  • गर्भावस्था के दौरान सेक्स की इजाजत नहीं.
  • दंपति, अस्पताल या डॉक्टर किसी भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं.
  • सप्ताह में सिर्फ रविवार को ही पति एवं बच्चों को ही माताओं से मिलने की इजाजत
  • एक महिला अधिकतम तीन बार बन सकती है सरोगेट.
  • जन्म देने के बाद कुछ महिलाओं को दंपति इस बच्चे की देखरेख की नौकरी दे देते हैं.

एक बात पढ़ कर और भी अजीब सा लगा ...अगर सरोगेट माता जुड़वां बच्चों को जन्म देती है तो उसे करीब सवा छह लाख रुपए मिलता है और यदि पहले ही गर्भ गिर गया तो उसे करीब 38,000 रुपए देकर विदा कर दिया जाता है.

सोचने की बात है कि उस मां के लिए कितना मुश्किल होता होगा यह सब कर पाना, यह सब सहना, अपने परिवार से दूर रहना, बिल्कुल जेल जैसी बात ही हो गई.. पैसा के लिए यह सब सह जाती हैं भारतीय नारी.

बीबीसी की रिपोर्ट का लिकं यह है..... गुज़रात की बेबी फेक्ट्री जहां मिलती है किराए की कोख...और उस रिपोर्ट के नीचे भी इस से संबंधित उपयोगी जानकारी हेतु लिंक्स दिए गये हैं। 

फल-फ्रूट व सब्जियों को नमकीन पानी से धोना क्यों जरूरी

अभी अभी टाइम्स ऑफ इंडिया में एक रिपोर्ट दिखी है कि फल-फ्रूट एवं सब्जियों को टेप-वार्म से निजात दिलाने के लिए इन्हें नमकीन पानी से धोना बहुत ज़रूरी है। यह बात लखनऊ में संजय गांधी पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीच्यूट आफ मैडीकल साईंस में न्यूरोलॉजीकल सोसाइटी के एक अधिवेशन में बताई गई है।

अगर यह छोटी सी बात मान ली जाए तो यू पी के जनता को भी इस का बड़ा फायदा होगा क्योंकि इस क्षेत्र में टेप-वार्म से होने वाली बीमारी न्यूरोसिस्टीसरकोसिस व्याप्त है।

यू पी में न्यूरोसिस्टीसरकोसिस ४ प्रतिशत जनता में पाई जाती है जब कि इस बीमारी का राष्ट्रीय औसत ३ प्रतिशत है।

रिपोर्ट में लिखा है कि लखनऊ के पास एक जगह मोहनलालगंज क्षेत्र में एक सूअर पालने वाले समुदाय में इस बीमारी -टेपवर्म इंफैक्शन- को १८ प्रतिशत लोगों में पाया गया जब कि इन में से ५.८प्रतिशत लोगों में सक्रिय मिर्गी रोग भी पाया गया। और जिन लोगों में मिर्गी रोग मिला उन में से ४८ प्रतिशत लोगों में न्यूरोसिस्टीसरकोसिस संक्रमण पाए जाने के पुख्ता सबूत भी मिले।

रिपोर्ट में डा सुनील प्रधान ने लिखा है........ "In cities, raw vegetables in junk food were the main source of the disease. Salads were the next big cause. We have gathered inputs that even the best of restaurants do not take adequate measures to get vegetables rid of tapeworm."


अब इतना सारा जंक फूड देश में सडकों के किनारे बिकता है, वे कहां धोते फिरते होंगे ये सब्जियां नमकीन पानी से, इसीलिए डा प्रधान ने यह बात कही है कि जंक फूड में इस्तेमाल की जाने वाली सब्जियां इस बीमारी का बहुत बड़ा कारण है, और जो सलाद सार्वजनिक स्थानों में दिया जाता है.....शादी ब्याह की दावतों में या फिर भंडारों आदि में--उन के बारे में सोचने की भी बहुत ज़रूरत है।

ये डाक्टर लोग जब कोई बात कहते हैं तो सारे जीवन की पढ़ाई लिखाई का अपने पेशे का अनुभव मुफ्त में बांट रहे होते हैं, इन की बात बिना किसी किंतु-परतु के मान लेनी चाहिए, और वैसे भी नमकीन पानी में फल-सब्जियां धोना या जंक-फूड को त्यागना इतनी बड़ी बात भी नहीं है...क्योंकि टेपवर्म जो दिमाग में पहुंच कर उत्पात मचाता है, यह एक विकट समस्या बन जाती है।

शायद लोगों को यही पता होगा कि सूअर का आधा कच्चा-आधा पक्का मीट खाने से ही यह टेपवर्म की बीमारी हो सकती है, लेकिन इन विशेषज्ञों ने इस की गहराई पर भी प्रकाश डाला है।

Source:   Wash veggies in salt water to get rid of tapeworm