गुरुवार, 18 सितंबर 2014

इन मिलावटखोरों के कारनामे...

आज फेसबुक पर एक मित्र ने एक वीडियो शेयर की थी....उसे देख कर मेरा तो जैसा दिमाग घूम गया। किसी चैनल ने मिलावटखोरो की पोल खोल कर रखी थी।

शायद आपने भी यह सब देखा-सुना तो होगा.....लेकिन प्रत्यक्ष प्रमाण के साथ सब कुछ देखना बड़ा विचलित करता है...।

इस गुज़रे सीज़न में हम ने तरबूज खूब खाए....घर के ही सामने मंडी में एक दुकानदार तरबूजों का बड़ा सा ढेर लगा कर बैठा करता था कि कोई भी तरबूज फीका नहीं होगा और हर तरबूज अंदर से लाल ही होगा। एक-दो-तीन-चार.....सभी के सभी तरबूज एक दम लाल और मीठे......यार, यह तो कोई पहुंची हस्ति लगती है........लेकिन मन में कहीं न कहीं विचार तो आता ही था कि कुछ न कुछ तो लफड़ा है ही......इस विषय पर मैंने छःसात वर्ष पहले भी कुछ लिखा था.....मिलावटी खानपान के कुछ केस ये भी हैं.......लेकिन इस वीडियो ने सब कुछ देख कर एक बार फिर से विश्वास पक्का हो गया कि ये हरामी मिलावटखोर किसी के भी सगे नहीं है, ये तो चंद सिक्कों के लिए कुछ भी बेच दें.....।



वीडियो में आप यह भी देख सकते हैं कि किस तरह से सब्जियों पर रंग चढ़ाया जा रहा है, हम सब को बीमार, बहुत बीमार तैयार करने की तैयारियां....घोर शर्मनाक.

हम सब्जियों की बातें करते हैं तो इतनी महंगी तो पहले ही से हैं......मैं कल बाज़ार से निकल रहा था, मैंने एक जगह फुल गोभी देखी....अच्छी दिखी......एक छोटा सा पीस ..पचास रूपये में.......मैंने वजन करने के लिए कहा .. यह ४०० ग्राम से भी कम था......खरीद लिया क्योंकि फुल गोभी यहां लखनऊ में तोल के हिसाब से नहीं, प्रति पीस के हिसाब से मिलती है........खरीद तो ली मैंने ...लेकिन मैं यही सोच रहा था कि यार, यह फुल गोभी भी अब १२५ रूपये किलो बिकेगी क्या.  चलिए महंगी तो है ही, ऊपर से यह भी नहीं पता कि कितनी शुद्ध है, कितनी मिलावटी......किसी चैनल पर यह भी दिखा था कि ये जो फुल गोभी के बहुत साफ़ साफ़ पीस दिखते हैं...ये सफाई भी एक कैमीकल के घोल में इन्हें डुबो कर ही प्राप्त की जाती है।

जब मैंने इस वीडियो के कंटैंट अपनी मिसिज़ से शेयर किया तो उन्होंने भी यही किया कि हर तरफ़ ही मिलावट तो है ही, लेकिन कोई करे तो क्या करे, कैसे सब्जी को खाना बंद दे जनता....मैं भी यही सोचता हूं। लेकिन फिर भी इस तरह की चैनलों की कवरेज से लोग थोड़ा सचेत तो ज़रूर हो ही जाते हैं।

रही बात, विभिन्न मिलावटी वस्तुओं को घर ही में टैस्ट करने की बात........मुझे यह बात कभी भी प्रैक्टीकल नहीं लगी, और यह है भी नहीं। देखिए ना, वैसे किसी का लोंडा चाहे साईंस पढ़े या न पढ़े.. वह स्कूल में कोई प्रैक्टीकल कर पाए न पाए, लेकिन बापू बेचारा घर में विभिन्न तरह की मिलावटी जांच के लिए एक पूरी की पूरी प्रयोगशाला बना कर बैठ जाए........और किस किस चीज़ में मिलावट ढूंढता फिरेगा.......

जब मैं अपनी मिसिज़ से बात कर रहा था तो उन्होंने बताया कि कुछ अरसा पहले जब उन्होंने अपने किरयाने वाले से कहा कि किशकिश इतनी पीली पीली सी क्यों है, तो उसने जवाब दिया कि बाज़ार में कलर की हुई किशमिश भी मिल जाएगी, यही बात सौंफ के लिए भी है, जो ज़्यादा हरी हरी दिखे, वह भी कलर वाली हो सकती है, जिस तरह से बड़ी चमकती दमकती सब्जियां ......क्योंकि इस से यह तो पता चलता ही है कि इन के ऊपर विभिन्न कलर या कैमीकल तो इस्तेमाल किए ही गये होंगे और साथ में इन की चमक इस बात का भी प्रमाण है कि इन्हें कीट आदि से बचाने के लिए कितने रासायनिक कीटनाशक इस्तेमाल किए गये होंगे।

वैसे इस वीडियो में हो रही मिलावट के भयंकर कारनामे देख कर मन बहुत दुःखी हुआ..... इसलिए भी कि यह हरामी तो सेहतमंद को बीमार कर दें और बेचारे किसी भी लाचार, बीमार को मौत के घाट उतारने में भी रती भर संकोच नहीं करते......हरामी मिलावटखोरों में खौफ़ पैदा करने का एक उपाय है.....इन दल्लों का मुंह काला कर के, इन्हें गधे पर बैठा कर, जूतों का हार इन के गले में पहना कर, जूते मारते हुए सारे शहर में घुमाया जाना चाहिए......पानी में भिगो भिगो कर........शायद इस से इन के मन में कुछ खौफ़ पैदा हो पाए, शायद........... ।।।