गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

महेश भट्ठ की फिल्म -- प्लेट में ज़हर ( Poison on the platter)

कुछ दिन पहले मैं घर के पास ही की मार्कीट में सब्जी लेने गया हुया था ----सड़क किनारे लगी एक दुकान के मालिक ने बेहद सुंदर दिखने वाले बैंगनों की इशारा करते हुये कहा कि ये देखो, भुर्ते के लिये कितने बढ़िया बैंगन हैं. बेशक वे बैंगन इतने चमकीले, इतने बढ़िया आकार के और लगभग सभी बिल्कुल एक जैसे ही लग रहे थे ---अब इन बैंगनों का इतना अच्छा दिखना भी इन के लिये आफ़त हो गया --- मुझे देखने में लगा कि हो न हो इन बैंगनों में कुछ न कुछ नकलीपन तो है ।

दिमाग में तुरंत कईं प्रश्न कौंध गये --- कोई हाईब्रिड वैरेयटी( मैं इस की लाभ-हानियों के बारे में कुछ ज़्यादा नहीं जानता), क्या ये टीकों के तैयार तो नहीं किये गये या ये कुछ नये नये रासायनों की तो देन नहीं हैं। ध्यान तो एक बार बीटी बैंगन की तरफ़ भी गया।

आज सुबह राज भाटिया की यह पोस्ट देख कर पूरी स्टोरी जानने की इच्छा हुई। और इस के बारे मैंने सोचा कि इस मुद्दे के बार में और भी प्रामाणिक रिसर्च का पता लगाया जाए।

बस ऐसे ही घूमते घूमते मैं यहां पहुच गया जहां से मुझे पता चला कि फिल्मकार महेश भट्ट ने मार्च 2009 में एक फिल्म बनाई है --- Poison on the platter. इसलिये इस के यू-ट्यूब लिंक्स यहां लगा रहा हूं ----कुल चार पार्ट्स हैं, लेकिन दूसरे भाग शायद कुछ गड़बड़ सी लगती है ----यह मुझे पूरी नहीं दिख रही ।








वैसे थाली में ज़हर नाम की एक स्टोरी यहां भी दिखी।

भई मुझे तो यह सब जान कर डर सा लग रहा है, आप का क्या हाल है ? आप भी सोच रहे हैं न कि यार, अब हमारे भुरते को भी नज़र लग गई !!!!