हम लोगों को अपने कालेज के दिनों से ही इस बारे में बहुत सचेत किया जाता था कि बच्चों की पहली पक्की जाड़ ( First permanent molar) को टूटने से कैसे भी बचा लिया करें। अकसर अपनी ओपीडी में बहुत से बच्चे दांतों की तरह तरह की बीमारी से ग्रस्त देखता हूं। लेकिन मुझे सब से ज़्यादा दुःख तब होता है जब मैं किसी ऐसे बच्चे को देखता हूं जिस की पहली पक्की जाड़े इतनी खराब हो चुकी होती हैं कि उन का उखाड़ने के इलावा कुछ नहीं हो सकता।
इस तस्वीर में भी आप देख रहे हैं कि इस 15 साल के बच्चे के बाकी सारे दांत तो लगभग दुरूस्त ही हैं लेकिन इस की नीचे वाली पहली पक्की जाड़ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिस का निकलवाने के इलावा कुछ भी नहीं हो सकता। आप इस फोटो में यह भी देख रहे हैं कि इस की बाईं जाड़ में भी दंत-क्षय (dental caries) की शुरूआत हो चुकी है।
क्यों हो जाते हैं बच्चे के स्थायी दांत इतनी जल्दी खराब इस का कारण यह है कि बच्चों में ये स्थायी पहली पक्की जाड़ें ( First permament molar –total four in number, one in each oral quadrant) जिन की संख्या कुल चार ---ऊपर एवं नीचे के जबड़े के दोनों तरफ़ एक एक जाड़ होती है—यह जाड़ बच्चों में मुंह में लगभग छः साल की उम्र में आ जाती हैं।
क्योंकि इस छः साल की अवस्था तक बच्चे के मुंह में ज़्यादातर दांत एवं जाड़ें दूध (अस्थायी) की होती हैं --- इसलिये अकसर बच्चों की तो छोड़िये अभिभावक भी इस जाड़ को इतनी गंभीरता से लेते नहीं हैं ----वास्तव में उन्हें यह पता ही नहीं होता कि बच्चे के मुंह में पहली पक्की जाड़ आ चुकी है।
तो ऐसे में अकसर बच्चे के मुंह में यह जाड़ दूसरे अन्य दंत-क्षय़ दांतों के साथ पड़ी रहती है --- और जिन कारणों से दूध के दांत बच्चे के खराब हुये वही कारण अभी भी बच्चे के लिये मौजूद तो हैं ही –इसलिये अकसर बहुत बार इस पक्की जाड़ को भी दंत-क्षय लग जाता है जिसे आम भाषा में कह देते हैं कि दांत में कीड़ा लग गया है। वैसे तो मां-बाप को इस पक्की जाड़ के मुंह में आने के बारे में पता ही नहीं होता इसलिये जब बच्चे के मुंह में काले दाग-धब्बे से देखते हैं या बच्चा इस जाड़ में कैविटी ( सुराख) होने के कारण खाना फंसने की बात करता है तो इस तरफ़ इतना ध्यान नहीं दिया ----और यही सोच लिया जाता है कि अभी तो तेरे दूध के दांत हैं, ये तो गिरने ही हैं, और इस के बाद पक्के दांत जब आयेंगे तो दांतों का पूरा ध्यान रखा करो, वरना आने वाले पक्के दांत भी ऐसे ही हो जायेंगे। बस, ऐसा कह कर छुट्टी कर ली जाती है।
एक बहुत ही विशेष बात ध्यान देने योग्य है कि दंत-क्षय एक बार जिस दांत या जाड़ में हो जाता है वह तब तक उस दांत में आगे बढ़ता ही जाता है जब तक या तो किसी दंत-चिकित्सक के पास जा कर उचित इलाज नहीं करवा लिया जाता ---वरना इस दंत-क्षय की विनाश लीला उस दांत या जाड़ की नस तक पहुंच कर उस को पूरी तरह से नष्ट कर देती है। अब इस अवस्था में या तो उस पक्की जाड़ का लंबा-चौड़ा रूट कनाल ट्रीटमैंट का इलाज किया जाये जो कि अधिकांश अभिभावक विभिन्न कारणों की वजह से करवा ही नहीं पाते ------और कुछ ही समय में इस दंत-क्षय की वजह से उस पहली पक्की जाड़ का हाल कुछ ऐसा हो जाता है जैसा कि आप इस बच्चे की मुंह की फोटो में देख रहे हैं ---यह बच्चा मेरे पास कल आया था ----इसे निकालने के इलावा कोई रास्ता रह ही नहीं जाता।
अगर आप ध्यान से इस तस्वीर की दूसरी तरफ़ भी देखें तो आप नोटिस करेंगे कि दूसरी तरफ़ की पहली जाड़ में भी दंत-क्षय जैसा कुछ लग चुका है ---इसलिये उस का भी उचित होना चाहिये ताकि वह पहली जाड़ भी दूसरी तरफ़ वाली पहली जाड़ की तरह अज्ञानता की बलि न चढ़ जाये।
वैसे , बच्चों को दांत दंत-क्षय से मुक्त रखने के लिये इतना करना होगा कि किसी भी अच्छी कंपनी की फ्लोराइड-युक्त टुथपेस्ट से रोज़ाना दो बार –सुबह एवं रात को सोने से पहले – दांत तो साफ़ करने ही होते हैं और जुबान साफ़ करने वाली पत्ती से ( tongue-cleaner)नित-प्रतिदिन जिव्हा को साफ़ किया जाना बहुत ही , अत्यंत ज़रूरी है । और एक बार और भी बहुत ही अहम् यह है कि हर छः महीने के बाद सभी बच्चों का किसी प्रशिक्षित दंत-चिकिस्तक द्वारा निरीक्षण किया जाना नितांत आवश्यक है।
दंत चिकिस्तक को नियमित दांत चैक करवाने से ही पता चल सकता है कि कौन से दांतों में थोड़ी बहुत खराब शुरू हो रही है ----और फिर तुरंत उस का जब इलाज कर दिया जाता है तो सब कुछ ठीक ठाक चलता रहता है -----वरना अगर आठ-दस की उम्र में ही पक्के दांत एवं जाड़े ( permanent teeth) उखड़नी शुरू हो जायेंगी तो बच्चा तो थोड़ा बहुत सारी उम्र के लिये दांतों के हिसाब से अपंग ही हो गया ना ----- ध्यान रहे कि हमारे मुंह में मौजूद एक एक मोती अनमोल है लेकिन यह पक्की पक्की जाड़ तो कोहेनूर से भी ज़्यादा कीमती है क्योंकि हमारे मुंह की बनावट में, मुंह में इस के द्वारा किये जाने वाले काम हैं ही इतने ज़्यादा महत्त्वपूर्ण कि अन्य दांतों के साथ साथ इस की भी पूरी संभाल की जानी चाहिये।
एक बात का ध्यान और आ रहा है कि बच्चों के दांत एवं जाड़ें आप जब देखें तो इस तरह का अनुमान स्वयं न ही लगायें कि यह तो दूध की लगती है या यह पक्की लगती है ----अभिभावकों द्वारा लगाये ये अनुमान अकसर गलत ही होते हैं ----इसे केवल एक प्रशिक्षित दंत-चिकिस्तक ही बता सकता है कि कौन से दांत गिरने हैं और कौन से पक्के वाले हैं----इसलिये उस की शरण में चले जाने में ही बेहतरी है, आप के बच्चे की भलाई है।