ऐसी कुछ दवाईयां हैं जो मसूड़ों पर बुरा प्रभाव डालती हैं......मुझे आज इस मरीज़ को देख कर इस बात का ध्यान आ गया कि ब्लड-प्रेशर की कुछ दवाईयां भी ऐसा ही प्रभाव डालती हैं।
यह तस्वीर आप जो यहां देख रहे हैं यह ६०-६५ वर्ष की एक महिला की है जो कि मेरे पास ठीक दो वर्ष पहले आई थीं... मैंने तब अपने इंगलिश ब्लॉग पर इस विषय पर एक लेख भी लिखा था..... Blood pressure pill can lead to big gums.
आप इस लिंक पर जा कर इस पोस्ट को देख सकते हैं। यह महिला इतनी परेशान थी तब ...मसूड़ों पर हाथ लगते ही खून आने लगता था....बहुत ही ज़्यादा परेशानी थी इन्हें।
जब इन की हिस्ट्री ली तो पता चला कि ये निफैडेपीन नामक दवाई लेती हैं, तब मैंने इन्हें फिज़िशियन के पास भेजा... उन्हंोंने दवाई चेंज कर दी......और फिर इन्होंने मसूड़ों का थोड़ा इलाज करवाया.....फिर उस के बाद मेरा तबादला हो गया और उन्हें देख नहीं पाया।
लेकिन आज एक अन्य महिला जिसे मैंने कुछ महीने पहले इसी तकलीफ़ से ग्रस्त पाया था...वह भी चेकअप के लिए आईं तो अच्छा लगा ... इन के मसूड़े भी काफ़ी फूले हुए थे, काटने-छांटने की ज़रूरत नहीं महसूस हुई थी और न ही यह उस समय कुछ ज़्यादा करवाने के लिए राज़ी ही हुईं थीं। उच्च रक्तचाप की दवाई बदल दी गई थी। मसूड़े दस-पंद्रह दिनों में ही ठीक होने लगे थे....सूजन घटने लगी थी, रक्त बहना बंद होने लगा था...।
अब इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं है, मसूड़ों से रक्त नहीं आता, ब्लड-प्रेशर के लिए जो नईं दवाई लेती हैं..उस से वह भी नियंत्रण में रहता है, किसी बात पर पति को मेरे सामने झिड़क भी दिया कि तुम अपनी सेहत की बहुत टेंशन करते हो.....
आप इस तस्वीर में भी देख सकते हैं कि मसूड़े लगभग ठीक ही लग रहे हैं.....पूरे के पूरे ठीक तो नहीं है एक डैंटिस्ट की नज़र से.....लेकिन उस में कुछ इन की पुरानी ब्रुश करने की गलत आदतों का भी परिणाम शामिल है... वैसे मैं तो यहां दवाईयों का मसूड़ों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव को ही रेखांकित करने की कोशिश कर रहा था।
अच्छा, यह क्लास तो खत्म हुई........आप किस सोच में पड़ गये.......कि आप भी यही दवाई लेते हैं...कहीं आप को भी यह तकलीफ़ न हो जाए। ऐसा कुछ नहीं है, वैसे तो मैडीकल फील्ड में कुछ भी ज़्यादा निश्चित होता नहीं, लेकिन आप यह मान कर चलें कि अगर आप इस तरह की कोई दवा ले भी रहे हैं अपने डाक्टर की सिफारिश पर.....तो लेते रहिए। ऐसा प्रतिकूल प्रभाव यह दवाई लेने वाले हर इंसान में नहीं होता। निश्चिंत रहें, खुश करें, इसलिए मैं अकसर कहता हूं नेट पर ज़्यादा सेहत संबंधी विषयों को नहीं खंगालना चाहिए।
हां , एक बात है कि अगर आप कोई भी दवा ले रहे हैं और मसूड़ों की इस तरह का हालत है... तो भी आप का कोई अनुभवी दंत चिकित्सक ही यह कह पाएगा कि यह तकलीफ़ आप को फलां फलां दवाई की वजह से है.. और फिर वह आप को फ़िजिशियन के पास भेजेंगे ....और फिजिशिय़न भी पूरा लाभ और रिस्क का आंकलन करने के बाद ही आप की कोई भी दवा चेंज करते हैं.......इस का मतलब यही है कि कईं बार उस दवाई से मरीज़ को जो लाभ हो रहे हैं उस का पलड़ा ज़्यादा भारी रहता है इस से मसूड़ों पर होने वाली प्रभाव की तुलना में ......ऐसे में दवाई चेंज नहीं की जाती, यह सब निर्णय केवल फ़िज़िशियन ही लेने में सक्षम होते हैं............ऐसी और भी कईं दवाईयां हैं जिन में मसूडों में सूजन आ सकती है, मिर्गी रोग के लिए ली जाने वाली कुछ दवाईयां, किडनी (गुर्दा) प्रत्यारोपण के बाद ली जाने वाली कुछ दवाईयां.......आदि ........लेकिन हर व्यक्ति में ये प्रभाव नहीं पाये जाते...................इसलिए दिल पे मत ने ले यार............लिखने के लिख दिया, ज़्यादा सोचा मत करें.........
यार , आप तो सीरियस हो गए....चलिए उस का भी कुछ जुगाड़ करते हैं.......यह सुनिए.... वीडियो को न भी देखें या उस पर ध्यान न भी करें तो भी लिरिक्स तो ठीक ठाक ही हैं......हम सब के लिए एक हेल्दी संदेश लिए हुए...
दो वर्ष पहले की महिला के मसूड़ों की तस्वीर ... |
आप इस लिंक पर जा कर इस पोस्ट को देख सकते हैं। यह महिला इतनी परेशान थी तब ...मसूड़ों पर हाथ लगते ही खून आने लगता था....बहुत ही ज़्यादा परेशानी थी इन्हें।
जब इन की हिस्ट्री ली तो पता चला कि ये निफैडेपीन नामक दवाई लेती हैं, तब मैंने इन्हें फिज़िशियन के पास भेजा... उन्हंोंने दवाई चेंज कर दी......और फिर इन्होंने मसूड़ों का थोड़ा इलाज करवाया.....फिर उस के बाद मेरा तबादला हो गया और उन्हें देख नहीं पाया।
लेकिन आज एक अन्य महिला जिसे मैंने कुछ महीने पहले इसी तकलीफ़ से ग्रस्त पाया था...वह भी चेकअप के लिए आईं तो अच्छा लगा ... इन के मसूड़े भी काफ़ी फूले हुए थे, काटने-छांटने की ज़रूरत नहीं महसूस हुई थी और न ही यह उस समय कुछ ज़्यादा करवाने के लिए राज़ी ही हुईं थीं। उच्च रक्तचाप की दवाई बदल दी गई थी। मसूड़े दस-पंद्रह दिनों में ही ठीक होने लगे थे....सूजन घटने लगी थी, रक्त बहना बंद होने लगा था...।
अब इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं है, मसूड़ों से रक्त नहीं आता, ब्लड-प्रेशर के लिए जो नईं दवाई लेती हैं..उस से वह भी नियंत्रण में रहता है, किसी बात पर पति को मेरे सामने झिड़क भी दिया कि तुम अपनी सेहत की बहुत टेंशन करते हो.....
इस महिला के मसूड़े भी कुछ महीने पहले ऊपर जैसी महिला जैसे ही थे. |
अच्छा, यह क्लास तो खत्म हुई........आप किस सोच में पड़ गये.......कि आप भी यही दवाई लेते हैं...कहीं आप को भी यह तकलीफ़ न हो जाए। ऐसा कुछ नहीं है, वैसे तो मैडीकल फील्ड में कुछ भी ज़्यादा निश्चित होता नहीं, लेकिन आप यह मान कर चलें कि अगर आप इस तरह की कोई दवा ले भी रहे हैं अपने डाक्टर की सिफारिश पर.....तो लेते रहिए। ऐसा प्रतिकूल प्रभाव यह दवाई लेने वाले हर इंसान में नहीं होता। निश्चिंत रहें, खुश करें, इसलिए मैं अकसर कहता हूं नेट पर ज़्यादा सेहत संबंधी विषयों को नहीं खंगालना चाहिए।
हां , एक बात है कि अगर आप कोई भी दवा ले रहे हैं और मसूड़ों की इस तरह का हालत है... तो भी आप का कोई अनुभवी दंत चिकित्सक ही यह कह पाएगा कि यह तकलीफ़ आप को फलां फलां दवाई की वजह से है.. और फिर वह आप को फ़िजिशियन के पास भेजेंगे ....और फिजिशिय़न भी पूरा लाभ और रिस्क का आंकलन करने के बाद ही आप की कोई भी दवा चेंज करते हैं.......इस का मतलब यही है कि कईं बार उस दवाई से मरीज़ को जो लाभ हो रहे हैं उस का पलड़ा ज़्यादा भारी रहता है इस से मसूड़ों पर होने वाली प्रभाव की तुलना में ......ऐसे में दवाई चेंज नहीं की जाती, यह सब निर्णय केवल फ़िज़िशियन ही लेने में सक्षम होते हैं............ऐसी और भी कईं दवाईयां हैं जिन में मसूडों में सूजन आ सकती है, मिर्गी रोग के लिए ली जाने वाली कुछ दवाईयां, किडनी (गुर्दा) प्रत्यारोपण के बाद ली जाने वाली कुछ दवाईयां.......आदि ........लेकिन हर व्यक्ति में ये प्रभाव नहीं पाये जाते...................इसलिए दिल पे मत ने ले यार............लिखने के लिख दिया, ज़्यादा सोचा मत करें.........
यार , आप तो सीरियस हो गए....चलिए उस का भी कुछ जुगाड़ करते हैं.......यह सुनिए.... वीडियो को न भी देखें या उस पर ध्यान न भी करें तो भी लिरिक्स तो ठीक ठाक ही हैं......हम सब के लिए एक हेल्दी संदेश लिए हुए...