मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

तंबाकू की हर आदत के लिए मुंह में कैंसर की जगह लगभग फिक्स है...

कहने का मतलब यही है कि पान खाने वालों को गाल या होठों के अंदरूनी हिस्सों में, बीड़ी-सिगरेट पीने वालों को तालू के पिछले हिस्से और गले में, पान-मसाला, ज़र्दा, गुटखा चबाने वालों में गाल एवं होठों के अंदर वाले हिस्सों में....अकसर यह पैटर्न देखने को मिलता है। आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में तेज समुद्री हवाओं से अपनी जलती बीड़ी को बचाने के चक्कर में बीड़ी को उल्टा कर के मुंह में दबा लेती हैं ...जलता हुया किनारा अंदर लेकर...इस की वजह से इन महिलाओं में तालू का कैंसर होने की संख्या ज़्यादा है।

मेरा यह सब लिखने का मतलब यही है कि बहुत बार मुंह के अंदर झांकने से किसी व्यक्ति की तंबाकू की आदतों के बारे में पता चल जाता है ..केवल लाल-भूरे दांत ही नहीं, मुंह के अंदर की चमड़ी बहुत कुछ बता देती है ..इसलिए बार बार लोगों को अपने मुंह के अंदरूनी हिस्सों का स्वतः निरीक्षण करने को कहा जाता है...विशेषकर अगर आप किसी भी तरह से तंबाकू या पान आदि का शौक रखते हैं।


अवेयरनैस है नहीं, अकसर बीड़ी पीने वालों के तालू इस तरह के हो जाते हैं ....आप नोटिस करेंगे सफेद सा हो चुका है इस बीड़ी पीने वाले बंदे का तालू ...यह अकसर बीड़ी पीने वालों में मिल ही जाता है...इसे कहते भी हैं...स्मोकर्स पैलेट (Smoker's Palate)..


कल जब यह इंसान मेरे पास आया तो मैंने इस से पूछा कि क्या इसे पता है कि बीड़ी के क्या नुकसान हैं....इसे कुछ नहीं पता था, मुझे हैरानगी हुई ....फिर मैंने इसे समझाया और इस के तालू की तस्वीर दिखाई कि वहां पर क्या हो रहा है...शायद समझ आ गई होगी,लेकिन बीड़ी छोड़ देगा, ऐसा मुझे बिल्कुल नहीं लगा..


मैंने इस बंदे को चार दिन पहले वाले एक मरीज़ की भी तस्वीर दिखाई ...पचास-पचपन की उम्र रही होगी ...वह भी केवल बीड़ी ही पीता है लेकिन उस के तालू में कुछ इस तरह के घाव हैं....उसे भी ये घाव डेढ़-दो साल से हैं, लेकिन वह कहता है कि उसने इन के बारे में कभी सोचा ही नहीं, कोई खास तकलीफ़ थी नहीं, बस खाना थोड़ा बहुत लगता था, और कुछ नहीं....लेिकन मैंने उसे समझाया कि इस तरह से बने रहने वाले घावों की जांच ज़रूरी है ...टुकड़ा लेकर जांच होगी तभी कुछ कहा जा सकता है...(बायोप्सी) ...

तालू से मुझे एक मरीज़ का ध्यान आ रहा है...वह भी बीड़ी पीता था, पान भी खाता था, उस के तालू के बिल्कुल पिछले हिस्से में एक बिल्कुल छोटा सा घाव था...लगभग आधे सैंटीमिटर से भी कम ...यहां वहां कहीं से भी दवाई ले जाया करता....कह देता कि सुखाने के लिए कुछ कैप्सूल दे दो, लगाने के लिए कुछ दे दो....यह सिलसिला उस का दूसरे चिकित्सकों के पास तो कुछ महीनों तक चलता रहा....मैंने तो एक दो बार ही दवाई देकर उसे जांच करवाने के लिए कह दिया....

उसे लगा मैं उसे टरका रहा हूं....वह थोड़ी बदतमीजी करने लगा ..लेकिन एक बार मैंने उसे दवा नहीं दी ..पहले कहा कि इस की जांच करेंगे.... जांच करने पर कैंसर निकला ...उसे कैंसर विशेषज्ञ के पास भेजा गया ...उसने उसे कहा कि जिस ने भी तुम्हें इस अवस्था में भेजा है, उस की वजह से तेरी जान बच गई समझो। बहुत खुश था, अगली बार आया..तालू का घाव इतना छोटा था कि विशेषज्ञों ने सिकाई (Radiotherapy) से ही उसे खत्म करने का निर्णय लिया...और वह कुछ ही महीनों में ठीक भी हो गया...उस के बाद उस की नियमित जांच भी होती रही ... एक डेढ़ साल बाद जब वह फिर आया तो फिर से एक बिल्कुल छोटा सा घाव दिखा....मुझे अंदेशा हुआ...जांच करवाने पर फिर से कैंसर पाया गया....उस के बाद फिर वह मुझे दिखा नहीं.

अकसर लोग पान खाते हैं, गुटखा-पान मसाला चबाते हैं, खैनी ज़र्दा भी चलता है, तंबाकू-चूना भी मुंह में दबाए रखते हैं, बीड़ी-सिगरेट भी हो ही जाता है... और ध्यान देने योग्य बात यह है कि ये सब आदतें कुछ लोगों में एक साथ पाई जाती हैं... अभी उस दिन की बात है एक ४०-४५ वर्ष का बंदा आया था कि जुबान में तकलीफ है, खाया पिया जा नहीं रहा....वह पहले बीड़ी बहुत पिया करता था, तंबाकू-चूना भी मुंह में दबाए रखता था...पान-मसाले के लिए मना कर रहा था, लेकिन फिर उसे ओरल-सबम्यूकसफाईब्रोसिस (oral sub mucous fibrosis) ...... उस का मुंह बहुत ही कम खुल रहा था ..यह तकलीफ़ उसे लगभग एक डेढ़ साल से है ... खाना खाने में भी बहुत दिक्कत ही है ...आप शायद कल्पना भी नहीं कर सकते इस की तकलीफ़ की....यह दिक्कत तो थी ही लेकिन साल पहले उसे जुबान की साइड पर घाव हुआ जो ठीक ही नहीं हो रहा था ... तो पता चला कि यह भी कैंसर से ग्रस्त है... इलाज करवाया गया, इस के लिए जुबान का कुछ हिस्सा तो काटना ही पड़ा, सिकाई भी हुई  (रेडियोथैरेपी)....अब उस की परेशानी इतनी ज़्यादा है कि पहले ही से वह ठीक से कुछ नहीं खा पा रहा था मुंह के पूरा न खुलने की वजह से, साथ में अब यह समस्या हो गई कि ठीक से बोल भी नहीं पा रहा..मुंह टेढ़ा सा हो गया है.... बहुत ही परेशानी में दिखा यह बंदा....लेकिन चिकित्सकों को तो उस की जान की सलामती के लिए कैंसर की सर्जरी के लिए जो भी ज़रूरी है...कांटना-छांटना तो पड़ता ही है....

अब क्या क्या लिखें दोस्तो, ये सब शौक जान लेवा हैं....कौन बच निकलेगा, कितने दिनों तक बच निकलेगा, शरीर कौन सा अंग इन की वजह से ग्रस्त हो कर बर्बादी का कारण बनेगा, यह बताना थोड़ा मुश्किल है, बस आसान यही है कि इन सब चीज़ों से दूर रह कर आप बचाव कर सकते हैं, बाकी सब बकवास है.......कि कैंसर होने पर मैंने बीड़ी छोड़ दी, मैंने गुटखा छोड़ दिया......इस से क्या हासिल! ......बड़े ढीठ प्राणी हैं यार कुछ लोग, इतना कुछ सुनने-देखने के बाद भी गुटखा-पान मसाला, तंबाकू हमेशा के लिए थूकने का नाम नहीं लेते........नहीं तो ना नहीं, अपना काम है ढिंढोरा पीटना ........सो, हम किये जा रहे हैं!

जाते जाते एक खबर भी दे दूं?....लखनऊ में मेट्रो दौड़ने लगेगी अगली दिसंबर से लेकिन मैट्रो तेज़ गति से अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में दिन रात एक कर रही है....पूरे अनुशासन से...... अब लखनऊ के आलगबाग बाज़ार का एरिया कुछ इस तरह से दिखने लगा है...अच्छा लगता है!



इस दातुन वाली से एक बात फिर से याद दिला दिया कि लोगों का दिल अगर जीतना है तो मीठा मीठा बोलो, वह तो ठीक है, लेिकन टाटा अस्पताल के निदेशक डा राव को एक बार कहते सुना था कि अगर लोग रात में मुंह में तंबाकू, पान दबा कर सोना बंद कर दें और सोने से पहले अच्छे से दांत साफ़ के सोया करें तो देश में मुंह के कैंसर के रोगियों की संख्या आधी रह जायेगी। बिल्कुल सही बात है!