मंगलवार, 25 मार्च 2008

मुंह के ये छाले..........भाग..I


मुझे अभी बैठे बैठे ध्यान आ रहा है कि पूरे पच्चीस वर्ष हो गये हैं मुंह के छाले के मरीज़ों को देखते हुये। लगता है कि अब समय आ ही गया है कि मैं इस विषय पर एक सीरिज़ लिख ही डालूं....अपने सारे अनुभव इक्ट्ठे कर के एक ही जगह डाल दूं.....बिल्कुल सीधी सादी भाषा में जिस में कोई इंगलिश में टैक्नीकल शब्दों का प्रयोग ना किया गया हो और अगर किया भी गया हो तो उन्हें पुरी तरह से समझाया जाये।


मेरे इस विचार का कारण यही है कि इस तरह के मुंह के छाले के इतने मरीज़ मेरे पास आते हैं और वे इतने भयभीत होते हैं कि मैं बता नहीं सकता । शायद यहां-वहां सुनते रहते हैं ना कि 15दिन के अंदर अगर मुंह के अंदर कोई घाव है, छाला है तो वह कैंसर हो सकता है। लेकिन अकसर जब उन को पता चलता है कि उन के केस में ऐसी चिंता करने की कोई बात ही नहीं है तो उन्हें बेहद सुकून मिलता है।


एक बात मैं यहां पर रेखांकित करना चाहता हूं कि जैसे हम कहते हैं ना कि चेहरा हमारे मन का आइना है , ठीक उसी प्रकार ही हमारा मुंह ( oral cavity)..हमारे शारीरिक स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है ...कहने का भाव यही है कि हमारा स्वास्थ्य हमारे मुंह में प्रतिबिंबित होता है। तो, ठीक है मैं तैयार हूं अपना सारा अनुभव आप के साथ बांटने के लिये..............मैं यही प्रयत्न करूंगा कि इस सीरिज़ के दौरान किसी भी पहलू को अनछूया न रखूं।


इस पोस्ट के माध्यम से तो मैं आप सब से यही पूछना चाह रहा हूं कि आप को मेरा यह ख्याल कैसा लगा है.....बेहतर होगा अगर आप अपने विचारों से मेरे को अवगत करवायेंगे। अगर कुछ भी विशेष इस सीरिज़ में आप चाहते हैं कि कवर किया जाये तो आप मुझे इस विषय पर भविष्य में लिखी जाने वाली मेरी विभिन्न पोस्टों पर कह सकते हैं या मुझे कृपया ई-मेल कर सकते हैं.........मैं बिना आप का नाम लिये हुये आप के द्वारा उठाये गये प्रश्नों का उत्तर देने का पूरा प्रयास करूंगा।


वैसे अगर आप लिखेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी, प्रोत्साहन मिलेगा.....और मुझे इस विषय पर लिखने के लिये एक दिशा मिलेगी। वैसे बात ऐसी भी है कि अगर आप न भी लिखेंगे तो भी मैं अपने अनुभव इस सीरिज़ में शत-प्रतिशत इमानदारी से बांटता जाऊंगा क्योंकि मेरा काम ही यही है।

चाहे इस समय मेरे पास कोई खास अजैंडा नहीं है, लेकिन देखते हैं कि जब पिछले पच्चीस सालों के अनुभवों के सागर में गोते लगाने शुरू करूंगा तो क्या क्या निकलेगा...................और हां, मैं जहां भी ज़रूरत होगी विभिन्न प्रकार के मुंह के घावों की तस्वीरें भी आप को दिखाता रहूंगा। यह सब इसलिये करना चाहता हूं कि लोगों में इस स्थिति के बारे में बहुत से भ्रम तो हैं ही, भय-खौफ़ भी है और परेशानी तो है ही...और इसी चक्कर में वे कईं तरह की छालों पर लगाने वाली दवाईयां अपने आप ही खरीद कर लगानी शुरू कर देते हैं जो सर्वथा अनुचित है ।


बाकी बातें अगली पोस्ट में करेंगे।

मुंह के ये छाले..........भाग..I



मुझे अभी बैठे बैठे ध्यान आ रहा है कि पूरे पच्चीस वर्ष हो गये हैं मुंह के छाले के मरीज़ों को देखते हुये। लगता है कि अब समय आ ही गया है कि मैं इस विषय पर एक सीरिज़ लिख ही डालूं....अपने सारे अनुभव इक्ट्ठे कर के एक ही जगह डाल दूं.....बिल्कुल सीधी सादी भाषा में जिस में कोई इंगलिश में टैक्नीकल शब्दों का प्रयोग ना किया गया हो और अगर किया भी गया हो तो उन्हें पुरी तरह से समझाया जाये।


मेरे इस विचार का कारण यही है कि इस तरह के मुंह के छाले के इतने मरीज़ मेरे पास आते हैं और वे इतने भयभीत होते हैं कि मैं बता नहीं सकता । शायद यहां-वहां सुनते रहते हैं ना कि 15दिन के अंदर अगर मुंह के अंदर कोई घाव है, छाला है तो वह कैंसर हो सकता है। लेकिन अकसर जब उन को पता चलता है कि उन के केस में ऐसी चिंता करने की कोई बात ही नहीं है तो उन्हें बेहद सुकून मिलता है।


एक बात मैं यहां पर रेखांकित करना चाहता हूं कि जैसे हम कहते हैं ना कि चेहरा हमारे मन का आइना है , ठीक उसी प्रकार ही हमारा मुंह ( oral cavity)..हमारे शारीरिक स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है ...कहने का भाव यही है कि हमारा स्वास्थ्य हमारे मुंह में प्रतिबिंबित होता है। तो, ठीक है मैं तैयार हूं अपना सारा अनुभव आप के साथ बांटने के लिये..............मैं यही प्रयत्न करूंगा कि इस सीरिज़ के दौरान किसी भी पहलू को अनछूया न रखूं।


इस पोस्ट के माध्यम से तो मैं आप सब से यही पूछना चाह रहा हूं कि आप को मेरा यह ख्याल कैसा लगा है.....बेहतर होगा अगर आप अपने विचारों से मेरे को अवगत करवायेंगे। अगर कुछ भी विशेष इस सीरिज़ में आप चाहते हैं कि कवर किया जाये तो आप मुझे इस विषय पर भविष्य में लिखी जाने वाली मेरी विभिन्न पोस्टों पर कह सकते हैं या मुझे कृपया ई-मेल कर सकते हैं.........मैं बिना आप का नाम लिये हुये आप के द्वारा उठाये गये प्रश्नों का उत्तर देने का पूरा प्रयास करूंगा।


वैसे अगर आप लिखेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी, प्रोत्साहन मिलेगा.....और मुझे इस विषय पर लिखने के लिये एक दिशा मिलेगी। वैसे बात ऐसी भी है कि अगर आप न भी लिखेंगे तो भी मैं अपने अनुभव इस सीरिज़ में शत-प्रतिशत इमानदारी से बांटता जाऊंगा क्योंकि मेरा काम ही यही है।

चाहे इस समय मेरे पास कोई खास अजैंडा नहीं है, लेकिन देखते हैं कि जब पिछले पच्चीस सालों के अनुभवों के सागर में गोते लगाने शुरू करूंगा तो क्या क्या निकलेगा...................और हां, मैं जहां भी ज़रूरत होगी विभिन्न प्रकार के मुंह के घावों की तस्वीरें भी आप को दिखाता रहूंगा। यह सब इसलिये करना चाहता हूं कि लोगों में इस स्थिति के बारे में बहुत से भ्रम तो हैं ही, भय-खौफ़ भी है और परेशानी तो है ही...और इसी चक्कर में वे कईं तरह की छालों पर लगाने वाली दवाईयां अपने आप ही खरीद कर लगानी शुरू कर देते हैं जो सर्वथा अनुचित है ।


बाकी बातें अगली पोस्ट में करेंगे।

7 comments:

Gyandutt Pandey said...

मेरी पत्नीजी होली मिलन में जो मिठाइयां चख कर आयी हैं, उससे मुँह में छाले पड़ गये हैं। अब वे मुँह में हल्दी लगा कर बैठी हैं।

PD said...

ज्ञान जी का कमेंट बहुत बढिया है..:)

वैसे मेरा अपना एक अनुभव है, जब मैं बहुत ज्यादा सिगरेट पीने लग गया था शायद दिन में 20 से भी ज्यादा तब मेरे मुंह में अक्सर छाले हो जाया करते थे..
आपका पोस्ट पढकर ध्यान आया.. आपने कल जब मुझे फोन किया था तब मैं मिटिंग में था और घर लौटते-लौटते रात 11 से ज्यादा बज गये थे और आज सुबह जल्दी जाना पर गया था सो फोन नहीं कर पाया, उसके लिये क्षमा चाहता हूं.. मैं अभी आपसे बात करता हूं..

Mired Mirage said...

अगली पोस्ट की प्रतीक्षा में !
घुघूती बासूती

दिनेशराय द्विवेदी said...

डॉक्टर साहब। आप ने मौके की बात की है। सिरीज आरंभ करने के पहले ही मरीज हाजिर हैं। रीता भाभी तो हैं ही। मेरे 22 वर्षीय पुत्र को छाले हर दूसरे माह हो जाते हैं। वह इन्दौर में पढ़ रहा है। भोजन भी सादा ही होता है, न अधिक तैलीय और न ही अधिक मसालेदार। हमारा कन्सेप्ट यह है कि कब्ज ही छालों का मुख्य कारण है। उसे कब्ज रहती भी है। इस कारण से उसे लगातार कब्ज दूर करने का कुछ न कुछ उपाय करते रहना पड़ता है। अभी होली पर दोनों भाई-बहन घर पर थे तो पुत्री की दांत की तकलीफ के कारण डेन्टिस्ट के यहाँ जाना पड़ा बेटा भी साथ था। उस के भी दाँत व मसूड़े कल और आज साफ करवाए गए हैं। मगर छालों पर असर कम ही नजर आ रहा है। डेण्टिस्ट ने कुछ दवाइयां छालों के लिए और कब्ज दूर करने की भी दी हैं। मगर उसे मोशन भी आज रात होने पर हुआ है। उसे वापस इन्दौर जाना था मगर वह रुक गया है एक-दो दिनों में तो उसे जाना ही होगा। उस के छालों का कोई स्थाई इलाज चाहिए। आप की इस श्रंखला को गौर से पढूँगा।

अनूप शुक्ल said...

सही विचार है। आप इलाज बताना शुरू करें। मरीज आते जायेंगे।

राज भाटिय़ा said...

चोपडा जी,मुझे लगता हे अब तो टिपण्णी देने के लिये भी पक्ति मे आना पडे गा,मुझे भी कभी कभी एक आधा सफ़ेद सा दाना होटो के अन्दर की तरफ़ हो जाता हे पहले तो एक दवाई लगा लेता था अब फ़िट्करी से एक दो बार कुल्ला कर लेता हु, फ़िर ठीक, मेने ध्यान दिया हे मे जब भी बिना धुली कच्ची सब्जई, फ़ल काता हु तभी यह फ़ुनंशी होती हे.

आशीष said...

अजी डॉक्‍टर साहब आप तो जारी रखें लोग आते जाएंगे