मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

संदेशे आते हैं.....सैक्स पार्टनर्स को यौन-जनित रोगों के !!

अपने किसी सैक्स पार्टनर को यह बताने के लिये कि उसे भूल से कोई यौन-संबंध से फैलने वाली बीमारी परोस दी गई है कंप्यूटर माउस की एक क्लिक की मदद ली जा रही है।

एक रिपोर्ट के अनुसार तीस हज़ार लोगों ने एक ऐसी इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल किया है जिस के द्वारा अपने सैक्स पार्टनर्ज़ को सचेत किया जा सकता है कि हो सकता है कि उन को सिफिलिस, गनोरिया, एच.आई.व्ही अथवा अन्य रोगों से संक्रमित किया जा चुका है।

इन्स्पाट सर्विस ( inSPOT service) के नाम से जानी जाने वाली इस सर्विस को सॉन-फ्रांसिस्को में 2004 में शुरू किया गया था और अब यह इदाहो, लूईसियाना, न्यू-यार्क, ओरेगन, पैनिसिलवेनिया, एवं वाशिंगटन जैसे अन्य राज्यों में भी चालू है।

2004 में सैन-फ्रांसिस्को के पब्लिक-हैल्थ विभाग एवं एक स्वयं-सेवी संगठन ने समलैंगिक पुरूषों का सर्वे करने पर यह पाया कि अधिकांश पुरूष अपने कैजुअल सैक्स पार्टनर्ज़ को इस बारे में नहीं बताते कि उन में sexually-transmitted disease- STD रोग डॉयग्नोज़ हुआ है। लेकिन रिपोर्ट ने इस बार का बहुत ज़ोर से दावा कि इन पुरूषों ने कहा कि अगर कोई आसान सी, अनॉनीमस सर्विस हो जिस के माध्यम से वे अपने पार्टनर्ज़ को उनमें भविष्य में होने वाले रोग की संभावना से आगाह कर सकें--- तो वे इस सर्विस को ज़रूर इस्तेमाल करेंगे।

इस के परिणाम स्वरूप ही इन्स्पाट (inSPOT) सर्विस का जन्म हुआ----पहले पहल तो समलैंगिक पुरूषों के लिये ही लेकिन बाद में किसी के भी द्वारा इस का इस्तेमाल किया जाने लगा। इस सर्विस को इस्तेमाल करने वाले एक वैब-साइट पर जाते हैं, एक फार्म की विभिन्न जगहों पर क्लिक करते हैं जो उन्हें अपने सैक्स-पार्टनर का ई-मेल एड्रैस लिखने को कहा जाता है और साथ में यह बात भी विशेष रूप से लिखने को कहा जाता है कि उस पार्टनर को आप के द्वारा किस बीमारी या बीमारियों से संभवतः एक्सपोज़ किया जा चुका है।

जिस पार्टनर को संभवतः किसी यौन-संक्रमित बीमारी से एक्सपोज़ किया जा चुका है उसे एक ई-मेल प्राप्त होता है जिस की सबजैक्ट लाइन में लिखा होता है ----“ इ-कार्ड ---एक शुभचिंतक दोस्त की तरफ़ से .....आप की सेहत से संबंधित... मार्फ़त इन्स्पाट ”।
The person potentially exposed to an STD will then get an e-mail with the subject line, “ E-card from a concerned friend re: your health via in SPOT.”

जो लोग संदेश भेजते हैं वे चाहे तो अपना नाम साथ भेजें ---वरना वे अनॉनीमस ढंग से भी ये संदेश भेज सकते हैं। वे इ-कार्ड पर भेजे जाने वाली तस्वीरों का भी चयन कर सकते हैं और “I am sorry” लिख कर भी भेज सकते हैं।
2004 से तीस हज़ार लोगों ने इस तरह के लगभग पचास हज़ार ई-कार्डों को भेजा है। लेकिन एक बात तो है कि कुछ शरारती किस्म के लोग इन कार्डों को किसी को परेशान करने के लिये भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

और यह भी अभी स्पष्ट नहीं है कि इस सर्विस से यौन-जनित रोगों में कमी आई भी है कि नहीं । वैसे मामला कुछ ज़्यादा ही कंप्लीकेटेड सा नहीं लग रहा क्या -----ठीक है कुछ तो फायदे होंगे ही इस सर्विस के लेकिन इस तरह की बीमारियों से बच निकलने का केवल एक ही अचूक फार्मूला है और वह है .... आग से खेलने से बचा जाये ......कोयलों की दलाली होगी तो मुंह काला तो होगा ही, बाद में चाहे कितनी भी चौंचलेबाजी कर ली जाये।