जब सरकारी विज्ञापनों से नेताओं की तस्वीरें ही गायब हो जाएंगी तो फिर उन विज्ञापनों का लुत्फ़ ही क्या बाकी रह जाएगा। चलिए, लुत्फ कितना बचेगा, कितना जाएगा....यह तो समय ही बताएगा।
लेकिन आज सुबह अखबार उठाई तो मन प्रसन्न हो गया यह खबर देख कर कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकारी विज्ञापनों में मंत्रियों और नेताओं की तस्वीर लगाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा, ऐसे विज्ञापनों में सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश की ही तस्वीर लग सकेगी, वह भी उनकी मंजूरी के बाद।
व्यक्ति पूजा के खिलाफ
कोर्ट ने यह फैसला सीपीआईएल और कॉमन कॉज की याचिका पर दिया है, जिसकी पैरवी अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने की थी। इस याचिका पर जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा, राजनीतिक व्यक्तित्वों के चित्र विज्ञापनों में लगातार छापने से व्यक्ति पूजा होने की संभावना रहती है. कोर्ट ने कहा कि दिवंगत नेताओं की याद में जारी विज्ञापनों में उनके फोटो लग सकते हैं।
अखबारों का भी अपना अद्भुत अंदाज़ रहता है चुटकी लेने का... आप देखिए अखबार के पहले पन्ने पर छपी इस पहली खबर में कैसे प्रोमिनेंटली लिखा है...Pictures of Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, A B Vajpayee and other prominent leaders to vanish from govt ads. सोचने वाली बात है कि जहां सैंकड़ों-हज़ारों दूसरे नेताओं की तस्वीरें अब सरकारी विज्ञापनों से गायब हो जाएंगी....वहीं पर इन की भी तस्वीरें नहीं दिखेंगी तो कौन सी बडी बात है।
मुझे तो इस खबर पढ़ कर इतनी खुशी हुई है कि मैं ब्यां नहीं कर सकता। ऐसे दर्जनों विज्ञापन हर अखबार में दिख जाया करते थे.....झुंझलाहट हुआ करती थी यार इतनी सारी तस्वीरें बार बार देख कर ..ऐसे लगा करता था जैसे ये लोग अपनी तिजोरी से पैसा निकाल कर यह सब कुछ बनवा रहे हैं।
और इन की जो तस्वीरें इन विज्ञापनों में लगती थीं, उन पर ही राजनीति हावी हुआ करती थी....जिस का जितना बड़ा कद उस की फोटू भी उतनी ही बड़ी और उसे उतना ही महत्व दिया जाता था....मेरे जैसा आदमी विज्ञापन में लिखी बात तो काम पढ़ता था, इन तस्वीरों के साइज को देख कर इन में दिख रहे लोगों की राजनीतिक कद-काठी का आंकलन करने में लग जाता था। है कि नहीं, बिल्कुल फिजूल का काम, लेकिन जो सच्चाई थी मैंने बता दी, अब देखा जाए कि मेरे को क्या लेना देना इस तरह की राजनीतिक कद-काठी को भांप कर।
और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जितना प्रशंसा की जाए उतनी कम है....मैं कईं बार सोचता हूं जिस का काम उसी को साजे......एक कहावत है ना....प्रशांत भूषण को इस तरह के बढ़िया बढ़िया कामों में ही मन लगाना चाहिए. क्या करना है राजनीति के चक्कर में पड़ कर......हमें ईश्वर ने किसी खास मकसद के लिए भेजा है...हम वही काम बखूबी कर सकते हैं। प्रशांत भूषण पर हमें फख्र है .....बहुत बहुत धन्यवाद इस तरह की जनहित याचिकाओं की पैरवी करने के लिए.......इस तरह के केस देश में प्रजातंत्र को और भी सजाने का काम करते हैं। निःसंदेह!!
सरकारी विज्ञापनों पर नहीं लगेगी नेताओं की तस्वीर
अभी अभी मुझे रोटी फिल्म का ध्यान आ गया ...उस के एक गीत की वजह से ....यह जो पब्लिक है, सब जानती है ...
लेकिन आज सुबह अखबार उठाई तो मन प्रसन्न हो गया यह खबर देख कर कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकारी विज्ञापनों में मंत्रियों और नेताओं की तस्वीर लगाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा, ऐसे विज्ञापनों में सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश की ही तस्वीर लग सकेगी, वह भी उनकी मंजूरी के बाद।
व्यक्ति पूजा के खिलाफ
कोर्ट ने यह फैसला सीपीआईएल और कॉमन कॉज की याचिका पर दिया है, जिसकी पैरवी अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने की थी। इस याचिका पर जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा, राजनीतिक व्यक्तित्वों के चित्र विज्ञापनों में लगातार छापने से व्यक्ति पूजा होने की संभावना रहती है. कोर्ट ने कहा कि दिवंगत नेताओं की याद में जारी विज्ञापनों में उनके फोटो लग सकते हैं।
अखबारों का भी अपना अद्भुत अंदाज़ रहता है चुटकी लेने का... आप देखिए अखबार के पहले पन्ने पर छपी इस पहली खबर में कैसे प्रोमिनेंटली लिखा है...Pictures of Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, A B Vajpayee and other prominent leaders to vanish from govt ads. सोचने वाली बात है कि जहां सैंकड़ों-हज़ारों दूसरे नेताओं की तस्वीरें अब सरकारी विज्ञापनों से गायब हो जाएंगी....वहीं पर इन की भी तस्वीरें नहीं दिखेंगी तो कौन सी बडी बात है।
मुझे तो इस खबर पढ़ कर इतनी खुशी हुई है कि मैं ब्यां नहीं कर सकता। ऐसे दर्जनों विज्ञापन हर अखबार में दिख जाया करते थे.....झुंझलाहट हुआ करती थी यार इतनी सारी तस्वीरें बार बार देख कर ..ऐसे लगा करता था जैसे ये लोग अपनी तिजोरी से पैसा निकाल कर यह सब कुछ बनवा रहे हैं।
और इन की जो तस्वीरें इन विज्ञापनों में लगती थीं, उन पर ही राजनीति हावी हुआ करती थी....जिस का जितना बड़ा कद उस की फोटू भी उतनी ही बड़ी और उसे उतना ही महत्व दिया जाता था....मेरे जैसा आदमी विज्ञापन में लिखी बात तो काम पढ़ता था, इन तस्वीरों के साइज को देख कर इन में दिख रहे लोगों की राजनीतिक कद-काठी का आंकलन करने में लग जाता था। है कि नहीं, बिल्कुल फिजूल का काम, लेकिन जो सच्चाई थी मैंने बता दी, अब देखा जाए कि मेरे को क्या लेना देना इस तरह की राजनीतिक कद-काठी को भांप कर।
और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जितना प्रशंसा की जाए उतनी कम है....मैं कईं बार सोचता हूं जिस का काम उसी को साजे......एक कहावत है ना....प्रशांत भूषण को इस तरह के बढ़िया बढ़िया कामों में ही मन लगाना चाहिए. क्या करना है राजनीति के चक्कर में पड़ कर......हमें ईश्वर ने किसी खास मकसद के लिए भेजा है...हम वही काम बखूबी कर सकते हैं। प्रशांत भूषण पर हमें फख्र है .....बहुत बहुत धन्यवाद इस तरह की जनहित याचिकाओं की पैरवी करने के लिए.......इस तरह के केस देश में प्रजातंत्र को और भी सजाने का काम करते हैं। निःसंदेह!!
सरकारी विज्ञापनों पर नहीं लगेगी नेताओं की तस्वीर
अभी अभी मुझे रोटी फिल्म का ध्यान आ गया ...उस के एक गीत की वजह से ....यह जो पब्लिक है, सब जानती है ...