रविवार, 3 फ़रवरी 2019

इतनी साईंस तो स्कूल में भी न सीखी होगी

अभी मैं आज का अख़बार देख रहा था जिसमें लिखा है कि कल लखनऊ एयरपोर्ट से कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई जो सवा करोड़ रूपये की कीमत का सोना बाहर से लेकर आ रहे थे ...

उस ख़बर को पढ़ते हुए हंसी भी आ रही थी कि जितनी साईंस इस छोटे से लेख से कोई सीख सकता है, उतनी तो शायद कुछ मास्टर अपने स्टूडेंट्स को भी नहीं सिखाते होंगे ...

सोचने वाली बात है कि जिन के मन में इस तरह के आईडिया अभी तक नहीं आए होंगे....उन को भी एक आइडिया तो मिल गया...

लेकिन यह तस्करी के मामले में ही तो नहीं है, जिस के हम अजीबोगरीब तरीके देखते-पढ़ते रहते हैं ...और हैरान होते रहते हैं कि किन किन जगहों में छुपा कर --बहुत बार शरीर के अंगों में भी ...कईं बार सर्जरी करवा कर भी ...लोग तस्करी कर रहे हैं...

मिलावटखोरी की कोई लिमिट नहीं है ....दो दिन पहले जांच एजैंसी ने पता लगाया है कि लखनऊ में एक छापे के दौरान जब्त किये गये कत्थे में (जो पान में इस्तेमाल होता है) वह कैमीकल डाला हुआ था जिसे बडे़ बड़े टायरों को गलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ...उस कैमीकल का नाम भी लिखा हुआ था ...

मिलावटखोरी की बातें करें तो क्या क्या गिनाएं....किस किस चीज़ में नहीं हो रही यह धांधली ...जो पकड़ा गया वह मिलावटखोर, जो बच गया वह साध!!

एटीएम से कैसे लोग रूपये उड़ा लेते हैं...ऑनलाइन फ्रॉड्स ....और परीक्षाओं में नकल के नये नये तरीके ... और इन की पूरा विवरण पढ़ कर हम हैरतअंगेज़ हो जाते हैं .... सच में इस तरह के विवरण पढ़ते हुए यही लगता है कि ये लोग कितने शातिर तो हैं ही, लेकिन ये कितने इंटेलिजेंट भी हैं....पकड़ने वालों से शायद ज़्यादा दिमाग लगा लेते हैं हर बार ....आप सब जानते ही हैं कि कैसे पेपर लीक हो रहे हैं, पेपरों में धांधलीयां हो रही हैं....अख़बार भरा पड़ा होता है इन ख़बरों से ...(अख़बार पढ़ना मेरी मजबूरी है ...वरना मैं टीवी की तरह अख़बार पढ़ना भी छोड़ सकता हूं....टीवी देखना कईं महीनों से बंद है ....बिल्कुल इच्छा ही नहीं होती!!)

मैंने यह सोने की तस्करी वाली ख़बर पढ़ी तो मेरा ध्यान कालिया फिल्म के एक डॉयलाग की तरफ़ चला गया जिस में के.एन.सिंह एक बात कहता है जब अमिताभ बच्चन को निर्दोष होते हुए भी सज़ा हो जाती है ...तब वह कहता है कि अब जेल में इस की मुलाकात मुख्तलिफ़ जराइम के उस्तादों से होगी ...चोरी, डकैती, जालसाज़ी, पेशेवर हत्यारे.....सारे अपने अपने फ़न में उस्ताद ...जब यह इन के साथ कुछ महीने बिता कर बाहर आयेगा तो यह भी बदला हुआ होगा!!

रही बात कि मीडिया में यह सब इतनी डिलेट्स के साथ क्यों दिखाया जाता है?..सोचिए... यह मीडिया का काम है... प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रोनिक ...उसे भी सरवाइव करना है .... और वैसे भी आज के इंटरनेट वाले जमाने में हम किस बात को छिपा कर रख सकते हैं .... जानकारी मिल रही है सब जगह से ...अब उसे कोई कैसे इस्तेमाल करेगा, यह उस पर निर्भर है !

 हाथ की सफ़ाई में माहिर लोगों को ही ले लीजिए....उन के पास भी ऐसे ऐसे तरीके हैं ....दो चार दिन पहले दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास ही रहने वाले एक दोस्त के घर में चाबी तैयार करने वाले एक कांड कर के चले गये...उस के सामने बैठे बैठे अलमारी में चाबी लगाते लगाते अलमारी में रखे तीन-चार लाख के सोने पर हाथ साफ़ कर गये ...वह भी उसी कमरे में बैठा हुआ था...कह रहा था कि उन की फोटो तक नहीं ली जब कि मोबाइल हाथ में था ...चाय नाश्ता करवाया और जाते वक्त उन्हें अपना स्वेटर भी दे दिया कि ठंड से बच कर रहा करो ....वह भी जाते जाते उसे हिदायत दे गये कि सरसों के तेल में डुबो कर जो रूई अलमारी के चाबी के होल में रखी है, उसे दो घंटे के बाहर ही निकालना है ....तेल को अंदर रमने देना ज़रूरी है ...
अभी तक बंदा धक्के खा रहा है ...कालोनी के कैमरे में उन की फोटो भी दिखी है ..लेकिन अभी तक कुछ अता पता ठिकाना मालूम नहीं ....

काश ! हम लोग एक दूसरे के तजुर्बे से भी सीख ले लिया करें....सारे तजुर्बे अपने आप ही करने-करवाने के लिए हमें कम से दो-अढ़ाई सौ साल जीना होगा!