सोमवार, 10 अप्रैल 2017

कभी खुश ही हो जाया करो...

सब से पहले एक गाना लगा देता हूं...सोमवार की अल्साई हुई सुबह को चमकाने का एक छोटा सा उपाय..

हर दिल जो प्यार करेगा, वह गाना गायेगा..

कल ज़ुकाम-खांसी की वजह से सारा दिन घर पर ही था...ज़ाहिर है बस रेडियो ही सुनना था और ४-५ अखबारें ही पढ़नी थीं...
कल के हिन्दुस्तान समाचार-पत्र के संपादकीय पन्ने पर एक लेख यह भी था...


इस का शीर्षक तो आप देख पा ही रहे हैं...अगर इस लेख को भी अच्छे से पढ़ना चाहें तो आप इस पिक्चर पर क्लिक कर के ऐसा कर सकते हैं....संक्षेप में मैं ही बता देता हूं इस लिलि सिंह के बारे में जो मूल रूप से हिंदोस्तान से है, पेरेन्ट्स बाहर बस गये थे ...वहां पर यह डिप्रेशन से ग्रस्त हो गई..किसी से बोलचाल नहीं, घर से बाहर निकलना नहीं, हर समय बेहद उदासी छायी रहती..वगैरह वगैरह....घर वाले अलग परेशान ...


लिलि सिंह को आइडिया आया कि अपनी बात मजाकिया तरीके से मोबाईल पर रिकार्ड कर के सुनी जाए...इसने ऐसा ही किया, इसे खूब हंसी आई...हल्कापन महसूस हुआ ...फिर इसने वही वीडियो अपने दोस्तों के साथ शेयर करने शुरू कर दिये...और फिर यू-ट्यूब पर अपलोड़ करने शुरू कर दिये....इस के यू-ट्यूब चैनल का नाम है सुपरविमेन  (इस पर क्लिक कर के आप वहां पहुंच सकते हैं) .. एक करोड़ से ज़्यादा फालोवर हैं और लाखों लोग इस के वीडियो देखते हैं...और ज़ाहिर सी बात है कमाई भी करोड़ों में है ...

मैंने भी एक वीडियो खोला लेकिन मेरे से एक दो मिनट से ज़्यादा नहीं देखा गया....पता नहीं जुकाम की वजह से या फिर लेंग्वेज प्रॉब्लम ...शायद दोनों ही ....लेकिन मेरे देखने या ना देखने से लिलि सिंह के सेलिब्रिटि स्टेट्स पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता ...लेेकिन जिस बात पर मैं दरअसल ज़ोर देना चाहता हूं वह यह है कि इस लड़की ने कैसे डिप्रेशन को भगाने का बेहतरीन तरीका ढूंढ लिया...


वैसे तो यहां भी अलग अलग क्षेत्रों में कामेडियन लोगों ने धूम मचा रखी थी ...हम अपने ज़माने को याद करें तो काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, फिर कालेज के दिनों में सुरेन्द्र शर्मा, पंजाबी में घुग्घी और भगवंत मान, भल्ला...और आज कल ज़ाकिर खान ने यंगस्टर्ज़ में धूम मचा रखी है ... कुछ दिन पहले मैं उस का एक वीडियो देख रहा था...बहुत से हैं आज की तारीख में हंसने-हंसाने वाले वैसे तो ...क्योंकि आज यह भी एक धंधा अच्छा चल निकला है ...बुराई भी नहीं है कुछ , अगर किसी में टेलेंट है और वह उस को भुना रहा है तो बढ़िया है, किसी को क्या आपत्ति हो सकती है ...बहुत बढ़िया है ...


दूसरी एक अखबार में ..कौन सी अमर उजाला में यह लेख दिख गया...


यह भी किसी लाफ्टर गुरू ने लिखा है ..इस में कुछ बातें हैं जिन्हें मैं आप से शेयर करना चाहता था, इतना सब कुछ लिखने का मन नहीं था, इसलिए कागज़ पर लिख लिया था ..क्योंकि एक दो बातों से मैं सहमत नहीं हूं इस लाफ्टर गुरू से ..




मैं इस बात को पचा नहीं पा रहा हूं...
एक बात शेयर करूं आप से ...मेरे से कभी भी इन लाफ्टर क्लबों-वबों में कभी नकली तरह से हंसा ही नहीं गया...इस से आदमी एक तरह का अजीब सा प्रेशर अनुभव करता है ...

मुझे यह नकली हंसी और असली हंसी बात पल्ले भी नहीं पड़ी, मैंने इसे समझने के लिए दिमाग पर ज़ोर दिया भी नहीं....क्योंकि मेरे विचार में यह भी एक भ्रम ही हो सकता है ...

चार्ली चैप्लिन ...हंसी के इस जादूगर को कोटि कोटि नमन
असली हंसी असली होती है, दोस्तो...बच्चों को कभी हंसते देखिए....यारों-दोस्तों को आपस में बैठ कर हंसी ठट्ठा करते देखिए....वह है असली हंसी ... मेरी चिंता यही है कि कम से कम इसे तो हम लोग असली ही रहने दें....नकली हंसी हम लोगों को कुछ भी फायदा नहीं कर सकती....

अब ये कौन सा लाफ्टर योग कर रहे हैं...इन की हंसी में देखिए कितना असलीपन है !

एक विचार कल से कौंध यह भी रहा है कि नकली हंसी हंसने के लिए बंदा अलग तरह की मिट्टी का बना होना चाहिए....क्योंकि उन्मुक्त "असली" हंसी के लिए बस हमाारा अपने सगे-संबंधियों, दोस्तों, बच्चों के साथ बैठना ही काफ़ी है, बाकी सब कुछ अपने आप ही हो जाता है क्योंकि हमें केवल और केवल अपनी बेवकूफ़ियों पर ही हंसी आती है ....अकसर हम लोग सुनते भी हैं कि बंदे को अपने आप पर हंसना चाहिए....

मुझे पूरा विश्वास है कि नकली हंसने के लिए आप को शायद कुछ हद तक  नकचढ़ा सा होना भी ज़रूरी होता है ....यार, सीधी सी बात है दूसरों पर हंसी तभी आयेगी जब हम उन का उपहास करेंगे ..अपने आप से उन्हें कमतर समझेंगे....यह किसी विरले से ही हो पाता है (और होना भी नहीं चाहिए).....मुझे भी किसी का मज़ाक बनाना बिल्कुल पसंद नहीं ....पहले अपनी हिमाकतों से तो निपट लें...दूसरे की ज़िंदगी है, उसे जीने दें... 


लैपटाप लेकर मैं लिखने तो बैठ जाता हूं ..लेेकिन चंद मिनट लिखने के बाद ध्यान आता है कि इस में लिखने वाली बात तो कुछ थी ही नहीं....सब लोग ज्ञानी हैं आजकल, सब बातों का ज्ञान रखते हैं....

बस, मुझे यह नकली असली हंसी बात ने उद्वेलित किया तो यह सब लिख दिया....दरअसल मुझे लगता है कि यह हंसना-हंसाना. .और लाफ्टर थैरैपी भी करोड़ों -अऱबों का धंधा होता होगा ...लोग परेशान हैं, उन की बात सुनने वाला कोई नहीं है ...कुछ दिन पहले एक जगह पर पढ़ रहा था कि लोगों की ज़िंदगी की टच ही खत्म होता जा रहा है ...किसी को छूने के भी बड़े सकारात्मक परिणाम होते हैं ...वृह्द विषय है फिर कभी ...लेकिन उस में लिखा था कि लोगों को जादू की झप्पी देने के लिए भी एँगेज किया जाता है ...पेमेन्ट पर ......सच में यह कहां आ गये हम ! 

यह पोस्ट लिखते लिखते जो बालीवुड गीत मेरे ज़ेहन में आ रहे थे, उन्हें लगा दूं यहां पर ?......बस, हंसते रहिए, मुस्कुराते रहिए....हो सके तो अपने आप पर, बीसियों कारण मिल जायेंगे....ढूंढना नहीं पड़ेगा...