बुधवार, 13 मई 2009

बेहद आसान है मसूड़ों की सूजन का उपचार

मसूड़ों की सूजन एक बहुत ही आम समस्या है जिस का उपचार अगर समय पर हो जाये तो बहुत ही सुगम है। इसलिये कभी भी ब्रुश करते समय अगर रक्त आये या मसूड़ों पर हाथ लगने से भी रक्त निकले तो तुरंत किसी दंत-चिकित्सक से अपना निरीक्षण करवायें।

यह तस्वीर एक 30 साल के युवक की है जिस की समस्या यह है कि ब्रुश करते वक्त इस के मसूड़ों से रक्त निकलता है। इस के नीचे के आगे के दांतों के मसूड़ों की तरफ़ देखिये कि इन में सूजन आई हुई है । देखने में भी ये सामान्य नहीं लगते। इस मसूड़ों की अवस्था को जिंजीवाईटिस (gingivitis) कहते हैं। DSC02692

मसूड़ों की इस अवस्था के लिये सब से महत्वपूर्ण कारण है ---दांतों की ढंग से सफ़ाई न हो पाना। इस से जब दांतों एवं इन के आसपास मैल की परत ( Dental plaque and Dental Calculus) जमा हो जाता है तो यह मसूड़ों की सूजन पैदा कर देता है।

लेकिन खुशी की बात यह है कि यह जो जिंजीवाईटिस की यह वाली अवस्था है ना यह पूरी तरह उपचार से ठीक हो जाती है। इस का उपचार बहुत ही सुगम है। अकसर इस अवस्था के लिये केवल दंत-चिकित्सक से स्केलिंग ( दांतों पर जमे टारटर को उतरवाना) करवानी होती है ---यह या तो अल्ट्रासॉनिक स्केलर से कर दी जाती है या फिर हैंड-इंस्ट्रयूमैंट्स ( scaling hand instruments) से इस ट्रीटमैंट को पूर्ण कर दिया जाता है। और अकसर दो –एक बार डैंटिस्ट के पास जाने से यह तकलीफ़ ठीक हो जाती है और मसूड़ों अपनी सामान्य शेप में एक हफ्ते में आ जाते हैं।

लेकिन ध्यान रहे कि इस तरह का इलाज करवाने के लिये भी लोगों के मन में बहुत सी भ्रांतियां हैं ----बार बार मरीज़ों के मुंह से यह सुनते थक गये हैं कि इस से दांत कमज़ोर तो नहीं हो जायेंगे क्योंकि उन की पड़ोस वाली मौसी ने उन के मन में यह भर दिया है कि इस से दांत ढीले हो जाते हैं। नहीं, यार, ऐसा सोचना बिल्कुल बेबुनियाद है।

अच्छा तो आप इस तस्वीर में देखें कि इसी मरीज़ के ऊपर वाले मसूड़ों में भी सूजन तो है लेकिन नीचे वाले मसूड़ों की अपेक्षा कम है। DSC02695

अगर आप ने नोटिस किया हो कि इस मरीज़ के मसूड़े कुछ काले से हैं। यह तो अच्छा है कि इस मरीज़ को इस से कोई सरोकार नहीं था ---वरना, बहुत से मरीज़ तो इस को भी एक बीमारी ही समझ लेते हैं। लेकिन यह कोई बीमारी-वीमारी नहीं है ---यह केवल मसूड़ों के रंग की बात है ----जैसा हम सब लोगों का रंग अपना अपना है वैसा ही मसूड़ों का रंग भी भिन्न भिन्न हो सकता है और यह सब मैलॉनिन पिगमैंट (melanin pigment) का कमाल है ---किसी में ज़्यादा किसी में कम। लेकिन अगर कोई मसूड़ों के इस काले रंग से भी परेशान है तो इस का भी इलाज है जिस की चर्चा फिर कभी कर लेंगे।

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया जानकारी. बहुतेरे लाभान्वित होंगे इससे.

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  2. हमेशा की तराह यह पोस्ट भी ज्ञनवर्धक रही । आभार

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  3. उत्तर
    1. No, it is absolutely not. As our complexion is different, so is the colour of our gums. The melanin pigment in our gums determines its "blackness" if we can call it so!

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  4. I really appreciate your professional approach. These are pieces of very useful information that will be of great use for me in future.

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