मसूड़ों से खून निकलना एक बहुत ही आम समस्या है, लेकिन अधिकांश लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। हां, अकसर लोग इतना ज़रूर कर लेते हैं कि अगर ब्रुश करने समय मसूड़ों से खून निकलता है तो ब्रुश का इस्तेमाल करना छोड़ देते हैं और अंगुली से दांत साफ करना शुरू कर देते हैं। यह बिल्कुल गलत है – ऐसा करने से पायरिया रोग बढ़ जाता है। कुछ लोग किसी मित्र-सहयोगी की सलाह को मानते हुये कोई भी खुरदरा मंजन दांतों पर घिसने लगते हैं , कुछ तो तंबाकू वाली पेस्ट को ही दांतों-मसूड़ों पर घिसना शुरू कर देते हैं। यह सब करने से हम मुंह के गंभीर रोगों को बढ़ावा देते हैं।
जब भी किसी को मसूड़ों से रक्त आने की समस्या हो तो उसे प्रशिक्षित दंत-चिकित्सक से मिलना चाहिये। वहीं आप की समस्या के कारणों का पता चल सकता है। बहुत से लोग तो तरह तरह की अटकलों एवं भ्रांतियों की वजह से अपना समय बर्बाद कर देते हैं...इसलिये अगर किसी को भी यह मसूड़ों से खून निकलने की समस्या है तो उसे तुरंत ही अपने दंत-चिकित्सक से मिलना चाहिये।
मसूड़ों से खून निकलने का सबसे आम कारण दांतों की सफाई ठीक तरह से ना होना है जिसकी वजह से दांत पर पत्थर( टारटर) जम जाता है। इस की वजह से मसूड़ों में सूजन आ जाती है और वें बिल्कुल लाल रंग अख्तियार कर लेते हैं। इन सूजे हुये मसूड़ों को ब्रुश करने से अथवा हाथ से छूने मात्र से ही खून आने लगता है। जितनी जल्दी इस अवस्था का उपचार करवाया जाये, मसूड़ों का पूर्ण स्वास्थ्य वापिस लौटने की उतनी ही ज़्यादा संभावना रहती है। इस का मतलब यह भी कदापि नहीं है कि अगर आप को यह समस्या कुछ सालों से परेशान कर रही है तो आप यही सोचने लगें कि अब इलाज करवाने से क्या लाभ, अब तो मसूड़ों का पूरा विनाश हो ही चुका होगा। लेकिन ठीक उस मशहूर कहावत....जब जागें, तभी सवेरा....के मुताबिक आप भी शीघ्र ही अपने दंत-चिकित्सक को से दिखवा के यह पता लगवा सकते हैं कि आप के मसूड़े किस अवस्था में हैं और इन को बद से बदतर होने से आखिर कैसे बचाया जा सकता है।
कुछ लोग तो इस अवस्था के लिये अपने आप ही दवाईयों से युक्त कईं प्रकार की पेस्टें लगाना शुरू कर देते हैं अथवा महंगे-महंगे माउथ-वॉशों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस तरह के उपायों से आप को स्थायी लाभ तो कभी भी नहीं मिल सकता .....शायद कुछ समय के लिये ये सब आप के लक्षणों को मात्र छिपा दें।
मसूड़ों की बीमारियों से बचने का सुपर-हिट अचूक फार्मूला तो बस यही है कि आप सुबह और रात दोनों समय पेस्ट एवं ब्रुश से दांतों की सफाई करें, जुबान साफ करने वाली पत्ती ( टंग-क्लीनर) से रोज़ाना जुबान साफ करें और हर खाने के बाद कुल्ला अवश्य कीजिये। इस के साथ साथ तंबाकू के सभी रूपों, गुटखों एवं पान-मसालों से कोसों दूर रहें।
अकसर लोग अपनी छाती ठोक कर यह कहते भी दिख जाते हैं हम तो भई केवल दातुन से ही दांत कूचते हैं...यही राज़ है कि ज़िंदगी के अस्सी वसंत देखने के बाद भी बत्तीसी कायम है। यहां पर मैं भी उतनी ही बेबाकी से यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बात केवल मुंह में बत्तीसी कायम रखने तक ही तो सीमित नहीं है, बल्कि उस बत्तीसी का स्वस्थ रहना भी ज़रूरी है।
अकसर मैंने अपनी क्लीनिकल प्रैक्टिस में नोटिस किया है कि जो लोग केवल दातुन का ही इस्तेमाल करते हैं, उन में से भी काफी प्रतिशत ऐसे भी होते हैं जिन के मसूड़ों में सूजन होती है। लेकिन इस का दोष हम दातुन पर कदापि नहीं थोप सकते !....यह क्या ?...आप किस गहरी सोच में पढ़ गये हैं !...सीधी सी बात है कि अगर आप कईं सालों से दातुन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं और आप को दांतों से कोई परेशानी नहीं है तो भी आप अपने दंत-चिकित्सक से नियमित चैक-अप करवाइये। अगर वह आप के मुंह का चैक-अप करने के पश्चात् यह कहता है कि आप के दांत एवं मसूड़े बिल्कुल स्वस्थ हैं तो ठीक है ....आप केवल दातुन का ही प्रयोग जारी रखिये। लेकिन अगर उसे कुछ दंत-रोग दिखते हैं तो आप को दातुन के साथ-साथ ब्रुश-पेस्ट का इस्तेमाल करना ही होगा।
एक विशेष बात यह भी है कि अकसर लोग दातुन का सही इस्तेमाल करते भी नहीं—वे दातुन को चबाने के पश्चात् दांतों एवं मसूड़ों पर कुछ इस तरह से रगड़ते हैं कि मानो बूट पालिश किये जा रहे हों...ऐसा करने से दांतों की संरचना को नुकसान पहुंचता है। आप चाहे दातुन ही करते हैं, लेकिन इस को भी दंत-चिकित्सक की सलाह अनुसार ब्रुश की तरह ही इस्तेमाल कीजिये।
शनिवार, 29 मार्च 2008
मसूड़ों से खून निकलना.....कुछ महत्त्वपूर्ण बातें...
मसूड़ों से खून निकलना एक बहुत ही आम समस्या है, लेकिन अधिकांश लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। हां, अकसर लोग इतना ज़रूर कर लेते हैं कि अगर ब्रुश करने समय मसूड़ों से खून निकलता है तो ब्रुश का इस्तेमाल करना छोड़ देते हैं और अंगुली से दांत साफ करना शुरू कर देते हैं। यह बिल्कुल गलत है – ऐसा करने से पायरिया रोग बढ़ जाता है। कुछ लोग किसी मित्र-सहयोगी की सलाह को मानते हुये कोई भी खुरदरा मंजन दांतों पर घिसने लगते हैं , कुछ तो तंबाकू वाली पेस्ट को ही दांतों-मसूड़ों पर घिसना शुरू कर देते हैं। यह सब करने से हम मुंह के गंभीर रोगों को बढ़ावा देते हैं।
जब भी किसी को मसूड़ों से रक्त आने की समस्या हो तो उसे प्रशिक्षित दंत-चिकित्सक से मिलना चाहिये। वहीं आप की समस्या के कारणों का पता चल सकता है। बहुत से लोग तो तरह तरह की अटकलों एवं भ्रांतियों की वजह से अपना समय बर्बाद कर देते हैं...इसलिये अगर किसी को भी यह मसूड़ों से खून निकलने की समस्या है तो उसे तुरंत ही अपने दंत-चिकित्सक से मिलना चाहिये।
मसूड़ों से खून निकलने का सबसे आम कारण दांतों की सफाई ठीक तरह से ना होना है जिसकी वजह से दांत पर पत्थर( टारटर) जम जाता है। इस की वजह से मसूड़ों में सूजन आ जाती है और वें बिल्कुल लाल रंग अख्तियार कर लेते हैं। इन सूजे हुये मसूड़ों को ब्रुश करने से अथवा हाथ से छूने मात्र से ही खून आने लगता है। जितनी जल्दी इस अवस्था का उपचार करवाया जाये, मसूड़ों का पूर्ण स्वास्थ्य वापिस लौटने की उतनी ही ज़्यादा संभावना रहती है। इस का मतलब यह भी कदापि नहीं है कि अगर आप को यह समस्या कुछ सालों से परेशान कर रही है तो आप यही सोचने लगें कि अब इलाज करवाने से क्या लाभ, अब तो मसूड़ों का पूरा विनाश हो ही चुका होगा। लेकिन ठीक उस मशहूर कहावत....जब जागें, तभी सवेरा....के मुताबिक आप भी शीघ्र ही अपने दंत-चिकित्सक को से दिखवा के यह पता लगवा सकते हैं कि आप के मसूड़े किस अवस्था में हैं और इन को बद से बदतर होने से आखिर कैसे बचाया जा सकता है।
कुछ लोग तो इस अवस्था के लिये अपने आप ही दवाईयों से युक्त कईं प्रकार की पेस्टें लगाना शुरू कर देते हैं अथवा महंगे-महंगे माउथ-वॉशों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस तरह के उपायों से आप को स्थायी लाभ तो कभी भी नहीं मिल सकता .....शायद कुछ समय के लिये ये सब आप के लक्षणों को मात्र छिपा दें।
मसूड़ों की बीमारियों से बचने का सुपर-हिट अचूक फार्मूला तो बस यही है कि आप सुबह और रात दोनों समय पेस्ट एवं ब्रुश से दांतों की सफाई करें, जुबान साफ करने वाली पत्ती ( टंग-क्लीनर) से रोज़ाना जुबान साफ करें और हर खाने के बाद कुल्ला अवश्य कीजिये। इस के साथ साथ तंबाकू के सभी रूपों, गुटखों एवं पान-मसालों से कोसों दूर रहें।
अकसर लोग अपनी छाती ठोक कर यह कहते भी दिख जाते हैं हम तो भई केवल दातुन से ही दांत कूचते हैं...यही राज़ है कि ज़िंदगी के अस्सी वसंत देखने के बाद भी बत्तीसी कायम है। यहां पर मैं भी उतनी ही बेबाकी से यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बात केवल मुंह में बत्तीसी कायम रखने तक ही तो सीमित नहीं है, बल्कि उस बत्तीसी का स्वस्थ रहना भी ज़रूरी है।
अकसर मैंने अपनी क्लीनिकल प्रैक्टिस में नोटिस किया है कि जो लोग केवल दातुन का ही इस्तेमाल करते हैं, उन में से भी काफी प्रतिशत ऐसे भी होते हैं जिन के मसूड़ों में सूजन होती है। लेकिन इस का दोष हम दातुन पर कदापि नहीं थोप सकते !....यह क्या ?...आप किस गहरी सोच में पढ़ गये हैं !...सीधी सी बात है कि अगर आप कईं सालों से दातुन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं और आप को दांतों से कोई परेशानी नहीं है तो भी आप अपने दंत-चिकित्सक से नियमित चैक-अप करवाइये। अगर वह आप के मुंह का चैक-अप करने के पश्चात् यह कहता है कि आप के दांत एवं मसूड़े बिल्कुल स्वस्थ हैं तो ठीक है ....आप केवल दातुन का ही प्रयोग जारी रखिये। लेकिन अगर उसे कुछ दंत-रोग दिखते हैं तो आप को दातुन के साथ-साथ ब्रुश-पेस्ट का इस्तेमाल करना ही होगा।
एक विशेष बात यह भी है कि अकसर लोग दातुन का सही इस्तेमाल करते भी नहीं—वे दातुन को चबाने के पश्चात् दांतों एवं मसूड़ों पर कुछ इस तरह से रगड़ते हैं कि मानो बूट पालिश किये जा रहे हों...ऐसा करने से दांतों की संरचना को नुकसान पहुंचता है। आप चाहे दातुन ही करते हैं, लेकिन इस को भी दंत-चिकित्सक की सलाह अनुसार ब्रुश की तरह ही इस्तेमाल कीजिये।
जब भी किसी को मसूड़ों से रक्त आने की समस्या हो तो उसे प्रशिक्षित दंत-चिकित्सक से मिलना चाहिये। वहीं आप की समस्या के कारणों का पता चल सकता है। बहुत से लोग तो तरह तरह की अटकलों एवं भ्रांतियों की वजह से अपना समय बर्बाद कर देते हैं...इसलिये अगर किसी को भी यह मसूड़ों से खून निकलने की समस्या है तो उसे तुरंत ही अपने दंत-चिकित्सक से मिलना चाहिये।
मसूड़ों से खून निकलने का सबसे आम कारण दांतों की सफाई ठीक तरह से ना होना है जिसकी वजह से दांत पर पत्थर( टारटर) जम जाता है। इस की वजह से मसूड़ों में सूजन आ जाती है और वें बिल्कुल लाल रंग अख्तियार कर लेते हैं। इन सूजे हुये मसूड़ों को ब्रुश करने से अथवा हाथ से छूने मात्र से ही खून आने लगता है। जितनी जल्दी इस अवस्था का उपचार करवाया जाये, मसूड़ों का पूर्ण स्वास्थ्य वापिस लौटने की उतनी ही ज़्यादा संभावना रहती है। इस का मतलब यह भी कदापि नहीं है कि अगर आप को यह समस्या कुछ सालों से परेशान कर रही है तो आप यही सोचने लगें कि अब इलाज करवाने से क्या लाभ, अब तो मसूड़ों का पूरा विनाश हो ही चुका होगा। लेकिन ठीक उस मशहूर कहावत....जब जागें, तभी सवेरा....के मुताबिक आप भी शीघ्र ही अपने दंत-चिकित्सक को से दिखवा के यह पता लगवा सकते हैं कि आप के मसूड़े किस अवस्था में हैं और इन को बद से बदतर होने से आखिर कैसे बचाया जा सकता है।
कुछ लोग तो इस अवस्था के लिये अपने आप ही दवाईयों से युक्त कईं प्रकार की पेस्टें लगाना शुरू कर देते हैं अथवा महंगे-महंगे माउथ-वॉशों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस तरह के उपायों से आप को स्थायी लाभ तो कभी भी नहीं मिल सकता .....शायद कुछ समय के लिये ये सब आप के लक्षणों को मात्र छिपा दें।
मसूड़ों की बीमारियों से बचने का सुपर-हिट अचूक फार्मूला तो बस यही है कि आप सुबह और रात दोनों समय पेस्ट एवं ब्रुश से दांतों की सफाई करें, जुबान साफ करने वाली पत्ती ( टंग-क्लीनर) से रोज़ाना जुबान साफ करें और हर खाने के बाद कुल्ला अवश्य कीजिये। इस के साथ साथ तंबाकू के सभी रूपों, गुटखों एवं पान-मसालों से कोसों दूर रहें।
अकसर लोग अपनी छाती ठोक कर यह कहते भी दिख जाते हैं हम तो भई केवल दातुन से ही दांत कूचते हैं...यही राज़ है कि ज़िंदगी के अस्सी वसंत देखने के बाद भी बत्तीसी कायम है। यहां पर मैं भी उतनी ही बेबाकी से यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बात केवल मुंह में बत्तीसी कायम रखने तक ही तो सीमित नहीं है, बल्कि उस बत्तीसी का स्वस्थ रहना भी ज़रूरी है।
अकसर मैंने अपनी क्लीनिकल प्रैक्टिस में नोटिस किया है कि जो लोग केवल दातुन का ही इस्तेमाल करते हैं, उन में से भी काफी प्रतिशत ऐसे भी होते हैं जिन के मसूड़ों में सूजन होती है। लेकिन इस का दोष हम दातुन पर कदापि नहीं थोप सकते !....यह क्या ?...आप किस गहरी सोच में पढ़ गये हैं !...सीधी सी बात है कि अगर आप कईं सालों से दातुन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं और आप को दांतों से कोई परेशानी नहीं है तो भी आप अपने दंत-चिकित्सक से नियमित चैक-अप करवाइये। अगर वह आप के मुंह का चैक-अप करने के पश्चात् यह कहता है कि आप के दांत एवं मसूड़े बिल्कुल स्वस्थ हैं तो ठीक है ....आप केवल दातुन का ही प्रयोग जारी रखिये। लेकिन अगर उसे कुछ दंत-रोग दिखते हैं तो आप को दातुन के साथ-साथ ब्रुश-पेस्ट का इस्तेमाल करना ही होगा।
एक विशेष बात यह भी है कि अकसर लोग दातुन का सही इस्तेमाल करते भी नहीं—वे दातुन को चबाने के पश्चात् दांतों एवं मसूड़ों पर कुछ इस तरह से रगड़ते हैं कि मानो बूट पालिश किये जा रहे हों...ऐसा करने से दांतों की संरचना को नुकसान पहुंचता है। आप चाहे दातुन ही करते हैं, लेकिन इस को भी दंत-चिकित्सक की सलाह अनुसार ब्रुश की तरह ही इस्तेमाल कीजिये।
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हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब.....हमारा मुंह....I……परिचय
अभी कुछ ही समय पहले मैंने एक सीरिज़ शुरू की है...मुंह के ये घाव/छाले, लेकिन मुझे विचार आया है कि इस के भी अतिरिक्त एक सीरिज़ अलग से शुरू की जाये जिस में हमारे मुंह के बारे में पूरी जानकारी दी जाये क्योंकि मैंने देखा है कि हिंदी में इस जानकारी का बहुत अभाव है।
मुझे यह लिखने की प्रेरणा पता है कैसे मिली.......अकसर घर में फेशियल के बारे में बातें होती रहती हैं( थैंक गॉड, करवाता कोई नहीं है!) और कुछ समय पहले मैंने एक ऐसे ही फेशियल का रेट सुन कर हैरान हो गया...तीन सौ रूपये !.....इस के रेट के बारे में सुन कर मेरे मुंह से अनायास निकला कि तीन सौ रूपये में तो शायद तीन दिन ( ज़्यादा नहीं कह दिया, तीन घंटे ठीक रहेंगे).....चेहरा चमक जाये लेकिन अगर इसी पैसे का महीने तक ताज़ा फलों का रस पी लिया जाये या ताज़े फलों का ही सेवन कर लिया जाये तो शायद परमानैंट फेशियल ही हो जाये। अब दूर-दराड़ के गांव में कहां ये औरतें इन चक्करों में पड़ती हैं लेकिन इन के चेहरे की आभा देखते बनती है। तो मैसेज क्लियर है.............जस्ट बी नैचुरल !!
ताज़ा फलों की बात की है तो मुझे कुछ दिन पहले अपनी एक महिला मरीज़ से की बात याद आ गई। मैंने उस अधेड़ औरत से यूं ही पूछ लिया कि आप की तबीयत ठीक नहीं लग रही। तब, उस ने मुझे बतलाना शुरू किया कि क्या करें, खाते तो सब कुछ हैं.....अपने पति का नाम लेकर कहने लगी कि अब ये कुछ दिन पहले ही मौसंबी की एक बोरी (शायद पांच सौ रूपये के आस-पास की कीमत में, जैसे कि उस ने मुझे बतलाया).. ही मंडी से उठा लाये हैं, कि अब तू इन का रस निकाल निकाल के खूब पिया कर। ......
मुझे उस महिला की बात सुन कर थोड़ा सुकून तो ज़रूर मिला कि चलो इस केस में पैसे के खर्च करने के लिये च्वाइस तो बेहतर की गई है। लेकिन केवल इस मौसंबी की बोरी पर ही अपनी सारी सेहत का जिम्मा डाल कर निश्चिंत हो जाना क्या ठीक है। ऐसा इसलिये कह रहा हूं कि उस महिला का सामान्य स्वास्थ्य भी कुछ ज़्यादा ठीक न था।
अच्छा ऊपर की गई बातों से आप कहीं यह तो अंदाज़ा नहीं लगाने लग गये कि इस सीरिज़ में मैं मुंह अर्थात् चेहरे तक ही अपनी बात सीमित रखूंगा। ठीक है, कभी कभार यह चेहरा-मोहरा भी कवर हो जाया करेगा। लेकिन मेरी यह सीरिज़ बेसिकली होगी.....मुंह के बारे में.....मुंह अर्थात् दांतों के बारे में, होठों, गालों के अंदरूनी हिस्सों, मसूड़ों, जिह्वा, गले का वह हिस्सा जो सामने नज़र आता है, तालू के बारे में ...............इन सब के बारे में जम कर चर्चा होगी कि ये स्वास्थ्य में कैसे दिखेंगे और बीमारियां किस तरह से इन्हें प्रभावित करती हैं। उम्मीद तो पूरी है कि कुछ भी न छूटने पायेगा (बस जो कुछ पिछले पच्चीस सालों में किया है, देखा है, सीखा है, पढ़ा है....सब कुछ बिलकुल फ्रैंक तरीके से आप के सामने रखने की चाह रखता हूं !)…, आज मैंने इस सीरिज़ को शुरू करने का पंगा तो ले लिया है, लेकिन मुझे स्वयं भी नहीं पता कि यह सीरिज़ क्या दिशा लेगी और यह कितनी लंबी खिंचेगी............यह सब आप की टिप्पणीयों, आप के प्रश्नों, आप की उत्सुकता, आप की ई-मेलज़ पर निर्भर करेगा।
जाते जाते इस पहली पोस्ट में एक बात फिर से दोहरा रहा हूं कि मैडीकल विज्ञान में हम अकसर यह कहते रहते हैं कि Oral cavity is the index of whole of the human body….अर्थात् हमारा मुंह हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। यह बहुत ही, बहुत ही महत्वपूर्ण स्टेटमैंट है...क्योंकि ऐसी कितनी ही बीमारियां हैं जिन के बारे में हम धीरे धारे जानेंगे जिन का शक हमें किसी व्यक्ति के मुंह के अंदर झांकने मात्र से ही हो जाता है और दूसरी तरफ़ यह भी है कि कितनी ही ऐसी मुंह की तकलीफ़ें हैं जिन के बुरे प्रणाम शरीर के दूसरे सिस्ट्म्ज़ पर हम देखते रहते हैं। यह सब हम चलते चलते देखते जायेंगे।
बतलाईयेगा कि आप को यह सीरिज़ शुरू करने का आईडिया कैसा लगा।
मुझे यह लिखने की प्रेरणा पता है कैसे मिली.......अकसर घर में फेशियल के बारे में बातें होती रहती हैं( थैंक गॉड, करवाता कोई नहीं है!) और कुछ समय पहले मैंने एक ऐसे ही फेशियल का रेट सुन कर हैरान हो गया...तीन सौ रूपये !.....इस के रेट के बारे में सुन कर मेरे मुंह से अनायास निकला कि तीन सौ रूपये में तो शायद तीन दिन ( ज़्यादा नहीं कह दिया, तीन घंटे ठीक रहेंगे).....चेहरा चमक जाये लेकिन अगर इसी पैसे का महीने तक ताज़ा फलों का रस पी लिया जाये या ताज़े फलों का ही सेवन कर लिया जाये तो शायद परमानैंट फेशियल ही हो जाये। अब दूर-दराड़ के गांव में कहां ये औरतें इन चक्करों में पड़ती हैं लेकिन इन के चेहरे की आभा देखते बनती है। तो मैसेज क्लियर है.............जस्ट बी नैचुरल !!
ताज़ा फलों की बात की है तो मुझे कुछ दिन पहले अपनी एक महिला मरीज़ से की बात याद आ गई। मैंने उस अधेड़ औरत से यूं ही पूछ लिया कि आप की तबीयत ठीक नहीं लग रही। तब, उस ने मुझे बतलाना शुरू किया कि क्या करें, खाते तो सब कुछ हैं.....अपने पति का नाम लेकर कहने लगी कि अब ये कुछ दिन पहले ही मौसंबी की एक बोरी (शायद पांच सौ रूपये के आस-पास की कीमत में, जैसे कि उस ने मुझे बतलाया).. ही मंडी से उठा लाये हैं, कि अब तू इन का रस निकाल निकाल के खूब पिया कर। ......
मुझे उस महिला की बात सुन कर थोड़ा सुकून तो ज़रूर मिला कि चलो इस केस में पैसे के खर्च करने के लिये च्वाइस तो बेहतर की गई है। लेकिन केवल इस मौसंबी की बोरी पर ही अपनी सारी सेहत का जिम्मा डाल कर निश्चिंत हो जाना क्या ठीक है। ऐसा इसलिये कह रहा हूं कि उस महिला का सामान्य स्वास्थ्य भी कुछ ज़्यादा ठीक न था।
अच्छा ऊपर की गई बातों से आप कहीं यह तो अंदाज़ा नहीं लगाने लग गये कि इस सीरिज़ में मैं मुंह अर्थात् चेहरे तक ही अपनी बात सीमित रखूंगा। ठीक है, कभी कभार यह चेहरा-मोहरा भी कवर हो जाया करेगा। लेकिन मेरी यह सीरिज़ बेसिकली होगी.....मुंह के बारे में.....मुंह अर्थात् दांतों के बारे में, होठों, गालों के अंदरूनी हिस्सों, मसूड़ों, जिह्वा, गले का वह हिस्सा जो सामने नज़र आता है, तालू के बारे में ...............इन सब के बारे में जम कर चर्चा होगी कि ये स्वास्थ्य में कैसे दिखेंगे और बीमारियां किस तरह से इन्हें प्रभावित करती हैं। उम्मीद तो पूरी है कि कुछ भी न छूटने पायेगा (बस जो कुछ पिछले पच्चीस सालों में किया है, देखा है, सीखा है, पढ़ा है....सब कुछ बिलकुल फ्रैंक तरीके से आप के सामने रखने की चाह रखता हूं !)…, आज मैंने इस सीरिज़ को शुरू करने का पंगा तो ले लिया है, लेकिन मुझे स्वयं भी नहीं पता कि यह सीरिज़ क्या दिशा लेगी और यह कितनी लंबी खिंचेगी............यह सब आप की टिप्पणीयों, आप के प्रश्नों, आप की उत्सुकता, आप की ई-मेलज़ पर निर्भर करेगा।
जाते जाते इस पहली पोस्ट में एक बात फिर से दोहरा रहा हूं कि मैडीकल विज्ञान में हम अकसर यह कहते रहते हैं कि Oral cavity is the index of whole of the human body….अर्थात् हमारा मुंह हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। यह बहुत ही, बहुत ही महत्वपूर्ण स्टेटमैंट है...क्योंकि ऐसी कितनी ही बीमारियां हैं जिन के बारे में हम धीरे धारे जानेंगे जिन का शक हमें किसी व्यक्ति के मुंह के अंदर झांकने मात्र से ही हो जाता है और दूसरी तरफ़ यह भी है कि कितनी ही ऐसी मुंह की तकलीफ़ें हैं जिन के बुरे प्रणाम शरीर के दूसरे सिस्ट्म्ज़ पर हम देखते रहते हैं। यह सब हम चलते चलते देखते जायेंगे।
बतलाईयेगा कि आप को यह सीरिज़ शुरू करने का आईडिया कैसा लगा।
3 comments:
- दिनेशराय द्विवेदी said...
-
आप का सही कहना है, सिरीज को समय ही दिशा देता है। फिर हम जैसे पाठक उस में महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा करते हैं। फलों और शाकों के उपयोग की आप की राय महत्वपूर्ण है।
- March 29, 2008 7:43 AM
- राज भाटिय़ा said...
-
चोपडा जी आप सच मे एक डाक्टर के रुप मे सच्ची समाज सेवा कर रहे हे,वरना तो आज कल डाक्टर लोग बात करने के भी खुब पेसे लेते हे, ओर इस सेवा रुपी काम को धन्धा बना रखा हे,
- March 29, 2008 2:24 PM
- mamta said...
-
सीरीज तो अच्छी ही चलेगी।और आपसे नई-नई बातें भी पता चलेंगी।
शुभकामनाएं। - March 29, 2008 3:13 PM
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हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब.....हमारा मुंह....I……परिचय
अभी कुछ ही समय पहले मैंने एक सीरिज़ शुरू की है...मुंह के ये घाव/छाले, लेकिन मुझे विचार आया है कि इस के भी अतिरिक्त एक सीरिज़ अलग से शुरू की जाये जिस में हमारे मुंह के बारे में पूरी जानकारी दी जाये क्योंकि मैंने देखा है कि हिंदी में इस जानकारी का बहुत अभाव है।
मुझे यह लिखने की प्रेरणा पता है कैसे मिली.......अकसर घर में फेशियल के बारे में बातें होती रहती हैं( थैंक गॉड, करवाता कोई नहीं है!) और कुछ समय पहले मैंने एक ऐसे ही फेशियल का रेट सुन कर हैरान हो गया...तीन सौ रूपये !.....इस के रेट के बारे में सुन कर मेरे मुंह से अनायास निकला कि तीन सौ रूपये में तो शायद तीन दिन ( ज़्यादा नहीं कह दिया, तीन घंटे ठीक रहेंगे).....चेहरा चमक जाये लेकिन अगर इसी पैसे का महीने तक ताज़ा फलों का रस पी लिया जाये या ताज़े फलों का ही सेवन कर लिया जाये तो शायद परमानैंट फेशियल ही हो जाये। अब दूर-दराड़ के गांव में कहां ये औरतें इन चक्करों में पड़ती हैं लेकिन इन के चेहरे की आभा देखते बनती है। तो मैसेज क्लियर है.............जस्ट बी नैचुरल !!
ताज़ा फलों की बात की है तो मुझे कुछ दिन पहले अपनी एक महिला मरीज़ से की बात याद आ गई। मैंने उस अधेड़ औरत से यूं ही पूछ लिया कि आप की तबीयत ठीक नहीं लग रही। तब, उस ने मुझे बतलाना शुरू किया कि क्या करें, खाते तो सब कुछ हैं.....अपने पति का नाम लेकर कहने लगी कि अब ये कुछ दिन पहले ही मौसंबी की एक बोरी (शायद पांच सौ रूपये के आस-पास की कीमत में, जैसे कि उस ने मुझे बतलाया).. ही मंडी से उठा लाये हैं, कि अब तू इन का रस निकाल निकाल के खूब पिया कर। ......
मुझे उस महिला की बात सुन कर थोड़ा सुकून तो ज़रूर मिला कि चलो इस केस में पैसे के खर्च करने के लिये च्वाइस तो बेहतर की गई है। लेकिन केवल इस मौसंबी की बोरी पर ही अपनी सारी सेहत का जिम्मा डाल कर निश्चिंत हो जाना क्या ठीक है। ऐसा इसलिये कह रहा हूं कि उस महिला का सामान्य स्वास्थ्य भी कुछ ज़्यादा ठीक न था।
अच्छा ऊपर की गई बातों से आप कहीं यह तो अंदाज़ा नहीं लगाने लग गये कि इस सीरिज़ में मैं मुंह अर्थात् चेहरे तक ही अपनी बात सीमित रखूंगा। ठीक है, कभी कभार यह चेहरा-मोहरा भी कवर हो जाया करेगा। लेकिन मेरी यह सीरिज़ बेसिकली होगी.....मुंह के बारे में.....मुंह अर्थात् दांतों के बारे में, होठों, गालों के अंदरूनी हिस्सों, मसूड़ों, जिह्वा, गले का वह हिस्सा जो सामने नज़र आता है, तालू के बारे में ...............इन सब के बारे में जम कर चर्चा होगी कि ये स्वास्थ्य में कैसे दिखेंगे और बीमारियां किस तरह से इन्हें प्रभावित करती हैं। उम्मीद तो पूरी है कि कुछ भी न छूटने पायेगा (बस जो कुछ पिछले पच्चीस सालों में किया है, देखा है, सीखा है, पढ़ा है....सब कुछ बिलकुल फ्रैंक तरीके से आप के सामने रखने की चाह रखता हूं !)…, आज मैंने इस सीरिज़ को शुरू करने का पंगा तो ले लिया है, लेकिन मुझे स्वयं भी नहीं पता कि यह सीरिज़ क्या दिशा लेगी और यह कितनी लंबी खिंचेगी............यह सब आप की टिप्पणीयों, आप के प्रश्नों, आप की उत्सुकता, आप की ई-मेलज़ पर निर्भर करेगा।
जाते जाते इस पहली पोस्ट में एक बात फिर से दोहरा रहा हूं कि मैडीकल विज्ञान में हम अकसर यह कहते रहते हैं कि Oral cavity is the index of whole of the human body….अर्थात् हमारा मुंह हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। यह बहुत ही, बहुत ही महत्वपूर्ण स्टेटमैंट है...क्योंकि ऐसी कितनी ही बीमारियां हैं जिन के बारे में हम धीरे धारे जानेंगे जिन का शक हमें किसी व्यक्ति के मुंह के अंदर झांकने मात्र से ही हो जाता है और दूसरी तरफ़ यह भी है कि कितनी ही ऐसी मुंह की तकलीफ़ें हैं जिन के बुरे प्रणाम शरीर के दूसरे सिस्ट्म्ज़ पर हम देखते रहते हैं। यह सब हम चलते चलते देखते जायेंगे।
बतलाईयेगा कि आप को यह सीरिज़ शुरू करने का आईडिया कैसा लगा।
मुझे यह लिखने की प्रेरणा पता है कैसे मिली.......अकसर घर में फेशियल के बारे में बातें होती रहती हैं( थैंक गॉड, करवाता कोई नहीं है!) और कुछ समय पहले मैंने एक ऐसे ही फेशियल का रेट सुन कर हैरान हो गया...तीन सौ रूपये !.....इस के रेट के बारे में सुन कर मेरे मुंह से अनायास निकला कि तीन सौ रूपये में तो शायद तीन दिन ( ज़्यादा नहीं कह दिया, तीन घंटे ठीक रहेंगे).....चेहरा चमक जाये लेकिन अगर इसी पैसे का महीने तक ताज़ा फलों का रस पी लिया जाये या ताज़े फलों का ही सेवन कर लिया जाये तो शायद परमानैंट फेशियल ही हो जाये। अब दूर-दराड़ के गांव में कहां ये औरतें इन चक्करों में पड़ती हैं लेकिन इन के चेहरे की आभा देखते बनती है। तो मैसेज क्लियर है.............जस्ट बी नैचुरल !!
ताज़ा फलों की बात की है तो मुझे कुछ दिन पहले अपनी एक महिला मरीज़ से की बात याद आ गई। मैंने उस अधेड़ औरत से यूं ही पूछ लिया कि आप की तबीयत ठीक नहीं लग रही। तब, उस ने मुझे बतलाना शुरू किया कि क्या करें, खाते तो सब कुछ हैं.....अपने पति का नाम लेकर कहने लगी कि अब ये कुछ दिन पहले ही मौसंबी की एक बोरी (शायद पांच सौ रूपये के आस-पास की कीमत में, जैसे कि उस ने मुझे बतलाया).. ही मंडी से उठा लाये हैं, कि अब तू इन का रस निकाल निकाल के खूब पिया कर। ......
मुझे उस महिला की बात सुन कर थोड़ा सुकून तो ज़रूर मिला कि चलो इस केस में पैसे के खर्च करने के लिये च्वाइस तो बेहतर की गई है। लेकिन केवल इस मौसंबी की बोरी पर ही अपनी सारी सेहत का जिम्मा डाल कर निश्चिंत हो जाना क्या ठीक है। ऐसा इसलिये कह रहा हूं कि उस महिला का सामान्य स्वास्थ्य भी कुछ ज़्यादा ठीक न था।
अच्छा ऊपर की गई बातों से आप कहीं यह तो अंदाज़ा नहीं लगाने लग गये कि इस सीरिज़ में मैं मुंह अर्थात् चेहरे तक ही अपनी बात सीमित रखूंगा। ठीक है, कभी कभार यह चेहरा-मोहरा भी कवर हो जाया करेगा। लेकिन मेरी यह सीरिज़ बेसिकली होगी.....मुंह के बारे में.....मुंह अर्थात् दांतों के बारे में, होठों, गालों के अंदरूनी हिस्सों, मसूड़ों, जिह्वा, गले का वह हिस्सा जो सामने नज़र आता है, तालू के बारे में ...............इन सब के बारे में जम कर चर्चा होगी कि ये स्वास्थ्य में कैसे दिखेंगे और बीमारियां किस तरह से इन्हें प्रभावित करती हैं। उम्मीद तो पूरी है कि कुछ भी न छूटने पायेगा (बस जो कुछ पिछले पच्चीस सालों में किया है, देखा है, सीखा है, पढ़ा है....सब कुछ बिलकुल फ्रैंक तरीके से आप के सामने रखने की चाह रखता हूं !)…, आज मैंने इस सीरिज़ को शुरू करने का पंगा तो ले लिया है, लेकिन मुझे स्वयं भी नहीं पता कि यह सीरिज़ क्या दिशा लेगी और यह कितनी लंबी खिंचेगी............यह सब आप की टिप्पणीयों, आप के प्रश्नों, आप की उत्सुकता, आप की ई-मेलज़ पर निर्भर करेगा।
जाते जाते इस पहली पोस्ट में एक बात फिर से दोहरा रहा हूं कि मैडीकल विज्ञान में हम अकसर यह कहते रहते हैं कि Oral cavity is the index of whole of the human body….अर्थात् हमारा मुंह हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। यह बहुत ही, बहुत ही महत्वपूर्ण स्टेटमैंट है...क्योंकि ऐसी कितनी ही बीमारियां हैं जिन के बारे में हम धीरे धारे जानेंगे जिन का शक हमें किसी व्यक्ति के मुंह के अंदर झांकने मात्र से ही हो जाता है और दूसरी तरफ़ यह भी है कि कितनी ही ऐसी मुंह की तकलीफ़ें हैं जिन के बुरे प्रणाम शरीर के दूसरे सिस्ट्म्ज़ पर हम देखते रहते हैं। यह सब हम चलते चलते देखते जायेंगे।
बतलाईयेगा कि आप को यह सीरिज़ शुरू करने का आईडिया कैसा लगा।
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11 comments:
aapka dhanyawaad. main pichle kaafi samay se is samadya se joojh raha hoon.
@ अगर आप चाहें तो मुझे अपनी प्राबल्म इ-मेल कर सकते हैं या अनानिमस कमैंट के ज़रिये लिख सकते हैं। मुझे आप को सही मार्ग-दर्शन देने में बहुत खुशी होगी।
डॉक्टर साहब मैं एक पत्रकार और आपकी ही तरह एक ब्लॉगर हूं। आज भास्कर में आपके बारें में पढ़ा तो ब्लॉग पर आना हूं, आपका ब्लॉगर हम जैसे लोगों के लिए बहुत उपयोगी है।
डाक्टर साहब, जानकारी के लिए शुक्रिया। मैं भी एक समस्या से जूझ रहा हूं। वह समस्या है अक्ल दाढ का निकलना। कई दिनों से मुझे यह समस्या है और दांत में सूजन रहती है साथ ही खून आता है। यह समस्या सबसे पीछे के दांत में है। मसूडे से दांत के लिकलने में समस्या आ रही है क्योंकि वहां स्पेश नहीं है। कोई सलाह दें।
sir mere dant thode bahr hain.aap kolkata me koi achchha doctor ya hospital bta skte hain jhan yh problem solve ho ske to please mail me.
बहुत खुब,धन्यवाद
अच्छी जानकारी।
इस उम्दा जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिये आभार/
इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बधाई !
हमें पेस्ट कभी पसंद नहीं आया। एक आयुर्वेदिक पाउड़र से ब्रश के साथ ब्रश करते हैं। दांतों को कोई तकलीफ नहीं।
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