इस २०-२२ वर्ष की युवती में पायरिया रोग |
ब्लॉग पर मुझे एकदम सच बात ही लिखनी होती है....यह मेरा संकल्प है। कोई भी नेट पर बड़ी उम्मीद के साथ कुछ ढूंढ-ढांढ कर पढ़ने के लिए आता है। एक एक शब्द सच लिखने की तमन्ना रहती है।
इस लड़की के दांतों में पायरिया तो है...लेकिन इस उम्र में इस तरह के पायरिया का इलाज करना बहुत ही आसान भी होता है, और अगर यह लड़की डैंटिस्ट के बताए अनुसार दिन में दो बार ब्रुश करे, रोज़ाना जुबान की सफ़ाई करे और कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करने की आदत डाल ले तो इसे फिर से ऐसी तकलीफ़ होने की संभावना बहुत कम हो जायेगी...बहुत ही कम......हां, थोड़ा बहुत टॉरटर तो जम सकता है दांतों पर...वह तो किसी के भी दांतों पर जम सकता है, लेकिन ऐसे हालात फिर से नहीं होंगे अगर यह अब दांतों की साफ़-सफ़ाई का पूरा ध्यान रखेगी।
ऐसे पायरिया के केसों में इलाज के साथ साथ इस बात का भी बहुत ही ज़्यादा महत्व है कि मरीज़ अपने दांतों की स्वच्छता की तरफ़ पूरा ध्यान देना शुरू करे। इसलिए मैं तो हमेशा इस तरह के मरीज़ का इलाज ही तभी शुरू करता हूं जो वे पांच-सात दिन में अच्छे से ब्रुश करना शुरू कर देते हैं......पहले तो मैं उन्हें सिखाता हूं, फिर जब आश्वस्त हो जाता हूं कि अब इसे अच्छे से समझ आ गई है तभी इलाज शुरू करता हूं। वरना तो इलाज करने का कोई फायदा होता ही नहीं, क्योंकि कुछ ही महीनों में पायरिया फिर से लौट आता है।
इसी युवती के नीचे के दांतों के अंदर की तरफ़ जमा कचरा (टॉरटर) |
यह लड़की भी जो मेरे पास दो दिन पहले आई थी.....यह अगले पांच सात दिनों में लगभग दो बार आकर लगभग ठीक हो जाएगी, इस के मसूड़ों से रक्त बहना बंद हो जाएगा, और मुंह से बदबू भी आनी बंद हो जायेगी। लेकिन यह जो मसूड़े अजीब से दिखने लगे हैं, इन्हें पंद्रह दिन-एक महीने बाद भी देखना पड़ेगा......अकसर कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती, यह भी अपने आप नार्मल जैसे दिखने लगेंगे.........
जानते हैं मैंने यह पोस्ट क्यों लिखी, इस का कारण यह है कि अगर आप या आप के आसपास इस तरह के पायरिया रोग से ग्रस्त लोग हैं तो उन में भी यह जागरूकता फैलाएं कि इस का इलाज करवाना बिलकुल आसान है........जैसा कि मैं ऊपर लिख चुका हूं।
और हां, जितनी कम उम्र होगी, उतना ही जल्दी ठीक हो जाएगा यह पायरिया रोग। मैंने लिखा कि इस तरह के केसों में जिस की तस्वीर आप यहां देख रहे हैं इसे ठीक करना बहुत सुगम है, इस का कारण यह है कि अभी यह सूजन या पायरिया मसूड़ों तक ही सीमित है, यह आगे नीचे जबड़े की हड्डी तक नहीं फैला है........जब यह आगे हड़्डी तक फैल जाता है तो दांत हिलने लगते हैं, मसूडे दांतों से पीछे हट जाते हैं, मसूड़ों से पस निकलने लगती है........लेिकन इलाज तो उसका भी है..........but as they say......."a stitch in time saves nice"
"An ounce of prevention is better than a pound of treatment"
अच्छा, बात समझ में तो आ ही गई होगी। कुछ पूछना चाहते हैं तो बिंदास कमैंट्स में लिखिए।
इस तरह के लफड़ों से भी बच कर रहें......