कल शाम को मुझे एक बंदा मिला – 50-52 की उम्र—चिकित्सा क्षेत्र से ही संबंधित—बातचीत के दौरान उस ने अपने यूरिन-टैस्ट की रिपोर्ट मेरे आगे की – ज़रा देखो कि क्या सब कुछ ठीक है ? मैं बड़ा हैरान हुआ –यूरिन में शूगर डबल प्लस, साथ में यूरिन में पस सैल(pus cells), रक्त सैल और क्रिसटल्स का भी ज़िक्र था। मैंने पूछा कि यार, तुमने यह टैस्ट करवाया क्यों था ? बताने लगा कि यह टैस्ट उस ने इसलिये करवाया क्योंकि उस के अंडरवियर पर पीले दाग पड़ने लगे हैं जो धुलने से भी नहीं छूटते।
आगे उस ने बताया कि दरअसल उसे लगभग 15 वर्ष पहले पेट में दर्द हुआ था –उस के विवरण से पता लग रहा था कि गुर्दे का दर्द था। खैर, उस ने बताया कि उसे इतने सालों में कोई तकलीफ़ नहीं थी। लेकिन अब यह अंडरवियर वाली बात से वह परेशान था, वैसे उस ने मुझे बताया कि पंद्रह सोलह साल पहले भी जो यूरिन टैस्ट करवाया था उस में भी क्रिस्टल्स की बात तो आई थी, लेकिन उसे कोई तकलीफ़ नहीं थी और इसलिये उस ने किसी तरह का मशवरा लेना ज़रूरी नहीं समझा।
मुझे उस की रिपोर्ट देख कर बहुत अफसोस सा हुआ – इतना मस्त रहने वाला बंदा, न किसी की बुराई में न किसी की अच्छाई में... लेकिन इत्मीनान इतना था कि चलो अगर कोई तकलीफ़ है तो पकड़ी तो जायेगी।
सो, मैंने आज सुबह उसे खाली पेट ब्लड-शूगर टैस्ट करवाने के लिये कहा ---रिपोर्ट आई 297mg%. यह तो तय ही हो गया कि शूगर (मधुमेह) तो है ही। अब उसे पेट का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound Abdomen) करवाने के लिये कहा है और साथ में किडनी फंक्शन टैस्ट, और अन्य सामान्य टैस्ट आदि ---बाद में और भी टैस्ट तो करवाने ही होंगे।
आज मेरा मूड उस के बारे में सोच कर खराब ही रहा। बस वही बातें जो अकसर ऐसे मौकों पर होती हैं –मेरे पूछने पर उस ने बताया कि मीठे का तो वह शौकीन है ही --- वैसा चलता तो वह पैदल ही है। मैंने उसे कहा कि यार, चिंता न करो, बस फिजिशियन के बताए अनुसार दवाई तो लेनी ही होगी, और अपने खाने पीने का ध्यान रखना होगा.........
मैं यही सोच रहा हूं कि उस बंदे को तो चिकित्सा विज्ञान के बारे में थोडी बहुत नालेज थी, इतना भी कहूंगा कि साहसी था कि उस ने अपनी मर्जी से ही यूरिन टैस्ट करवा लिया और अभी बाकी टैस्ट करवाने को राजी हो गया---- वरना, बिना किसी जटिलता (complication) के कहां अकसर लोग शूगर वूगर टैस्ट करवाते हैं जब कि 35-40 वर्ष की उम्र के बाद एक-दो साल के बाद इस तरह की जांच तो जरूरी है ही।
अब इस बंदे में भी पता नहीं कि कब से यह रोग था --- बता रहा था कि पिछले दो-तीन साल से दो-तीन किलो वज़न कम चल रहा है। बिना दवाई के अनियंत्रित शूगर-रोग हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों (vital organs—kidneys, heart, eyes, vascular and nervous system)को तब तक नुकसान पहुंचाता रहता है जब तक कि वे हड़ताल ही न कर दें।
वैसे एक बात आप से साझी करूं --- यह टैस्ट वैस्ट करवाने में डर बड़ा लगता है, मुझे भी अपने सभी सामान्य टैस्ट करवाये तीन साल हो गये है.......पता नहीं यह क्या मसला है, डाक्टर वाक्टर ऊपर से कितने भी साहसी से नज़र आते हैं , मैंने देखा है जब उन की अपनी एवं उन के सगे-संबंधियों की बात होती है तो बिल्कुल बच्चे जैसे डरे से, भयभीत से, आशंकित से ---------बस, बिल्कुल एक आम मरीज़ की तरह ही होते हैं -----शायद उस से भी बढ़ के।
आगे उस ने बताया कि दरअसल उसे लगभग 15 वर्ष पहले पेट में दर्द हुआ था –उस के विवरण से पता लग रहा था कि गुर्दे का दर्द था। खैर, उस ने बताया कि उसे इतने सालों में कोई तकलीफ़ नहीं थी। लेकिन अब यह अंडरवियर वाली बात से वह परेशान था, वैसे उस ने मुझे बताया कि पंद्रह सोलह साल पहले भी जो यूरिन टैस्ट करवाया था उस में भी क्रिस्टल्स की बात तो आई थी, लेकिन उसे कोई तकलीफ़ नहीं थी और इसलिये उस ने किसी तरह का मशवरा लेना ज़रूरी नहीं समझा।
मुझे उस की रिपोर्ट देख कर बहुत अफसोस सा हुआ – इतना मस्त रहने वाला बंदा, न किसी की बुराई में न किसी की अच्छाई में... लेकिन इत्मीनान इतना था कि चलो अगर कोई तकलीफ़ है तो पकड़ी तो जायेगी।
सो, मैंने आज सुबह उसे खाली पेट ब्लड-शूगर टैस्ट करवाने के लिये कहा ---रिपोर्ट आई 297mg%. यह तो तय ही हो गया कि शूगर (मधुमेह) तो है ही। अब उसे पेट का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound Abdomen) करवाने के लिये कहा है और साथ में किडनी फंक्शन टैस्ट, और अन्य सामान्य टैस्ट आदि ---बाद में और भी टैस्ट तो करवाने ही होंगे।
आज मेरा मूड उस के बारे में सोच कर खराब ही रहा। बस वही बातें जो अकसर ऐसे मौकों पर होती हैं –मेरे पूछने पर उस ने बताया कि मीठे का तो वह शौकीन है ही --- वैसा चलता तो वह पैदल ही है। मैंने उसे कहा कि यार, चिंता न करो, बस फिजिशियन के बताए अनुसार दवाई तो लेनी ही होगी, और अपने खाने पीने का ध्यान रखना होगा.........
मैं यही सोच रहा हूं कि उस बंदे को तो चिकित्सा विज्ञान के बारे में थोडी बहुत नालेज थी, इतना भी कहूंगा कि साहसी था कि उस ने अपनी मर्जी से ही यूरिन टैस्ट करवा लिया और अभी बाकी टैस्ट करवाने को राजी हो गया---- वरना, बिना किसी जटिलता (complication) के कहां अकसर लोग शूगर वूगर टैस्ट करवाते हैं जब कि 35-40 वर्ष की उम्र के बाद एक-दो साल के बाद इस तरह की जांच तो जरूरी है ही।
अब इस बंदे में भी पता नहीं कि कब से यह रोग था --- बता रहा था कि पिछले दो-तीन साल से दो-तीन किलो वज़न कम चल रहा है। बिना दवाई के अनियंत्रित शूगर-रोग हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों (vital organs—kidneys, heart, eyes, vascular and nervous system)को तब तक नुकसान पहुंचाता रहता है जब तक कि वे हड़ताल ही न कर दें।
वैसे एक बात आप से साझी करूं --- यह टैस्ट वैस्ट करवाने में डर बड़ा लगता है, मुझे भी अपने सभी सामान्य टैस्ट करवाये तीन साल हो गये है.......पता नहीं यह क्या मसला है, डाक्टर वाक्टर ऊपर से कितने भी साहसी से नज़र आते हैं , मैंने देखा है जब उन की अपनी एवं उन के सगे-संबंधियों की बात होती है तो बिल्कुल बच्चे जैसे डरे से, भयभीत से, आशंकित से ---------बस, बिल्कुल एक आम मरीज़ की तरह ही होते हैं -----शायद उस से भी बढ़ के।