उस दिन हम लोग चर्चा कर रहे थे दांतों में गैप आ जाने की और उस लेख में इस के विभिन्न कारणों की चर्चा की गई। लेकिन इतना ध्यान रहे कि ज़रूरी नहीं कि किसी दांतों एवं मसूड़ों की बीमारी की वजह से ही गैप हो सकता है----कईं बार ऐसे मरीज़ भी दिखते हैं जिन में कोई बिना किसी दंत-रोग के भी दांतों के बीच गैप दिख ही जाता है।
मेरी यह मरीज़ की उम्र 49 साल की है। इस के ऊपर वाले दांतों की तस्वीर में आप देख रहे हैं कि बिल्कुल फ्रंट वाले दांतों में अच्छा खासा गैप है। लेकिन आप को यह बताना चाह रहा हूं कि यह मेरे पास इस तकलीफ़ की वजह से नहीं आई हैं।
दरअसल इस महिला के नीचे वाले अगले दांतों में भी गैप था ----ऊपर वाले दांतों से भी ज़्यादा। लेकिन कभी इस तरफ़ इतना ध्यान दिया नहीं। तो समय के साथ इनके आगे वाले नीचे के दांतों में टारटर की बड़ी सी परत जमने की वजह से ये मसूड़ों के रोग से ग्रस्त हो गये जिस की वजह से ये बुरी तरह से हिलने तो लग ही गये लेकिन इस के साथ ही साथ इन में जो पहले से बड़ा हुया गैप था वह और भी बड़ा हुआ दिखने लगा। यह सब देखने में भी बहुत भद्दा लगने लगा।इसलिये इस महिला ने फैसला किया है कि नीचे के हिलते हुये अगले दांत निकलवा कर बढ़िया से फिक्स दांत लगवा लेंगी। ठीक है, उन का यह फैसला ---लेकिन फिक्स दांत दो की बजाए तीन लगेंगे क्योंकि पहले ही से इतना गैप था।
हां, तो ऊपर वाले अगले दांतों के गैप की बात चल रही थी। इस महिला ने तो बिना किसी परवाह के इतने साल बिता दिये ----लेकिन आज की जैनरेशन इस मामले में काफ़ी सजग है। वैसे, देखा जाये तो जितना गैप इस महिला के इन ऊपर वाले अगले दांतों में है इस के लिये इस 49 साल की उम्र में उसे यही सलाह दी जाती कि इसे तो अब ऐसे ही रहने दें।
सलाह ? लेकिन वह तो तभी दी जाती अगर इन्हें इस तरह के गैप से कोई परेशानी होती ---जब इन्हें इस से कोई गैप है ही नहीं, दोनों दांत स्वस्थ हैं तो इस महिला की खुशी में हम भी खुश हैं।
लेकिन मैं बात कर रहा था कि आज के युवक-युवतियां इस तरह के गैप के प्रति बहुत कांशियस हैं ----ठीक है , हों भी क्यों न ,क्योंकि किसी के चेहरे की सारी सुंदरता अगले दांतों की एलाइनमैंट पर भी तो कितनी निर्भर करती है। अकसर, इन दांतों में जो थोडा़ बहुत गैप होता है ( इस महिला के दांतों के गैप से कम) उसे आसानी से बंद कर दिया जाता है ---यह एक बहुत ही वंडरफुल डैंटल फिलिंग मैटीरियल ( light-cure composite) से संभव है जिसे इस देश में कुछ लोग गल्ती से लेज़र-फिलिंग के नाम से भी पुकारते हैं ----यह कोई लेज़र-वेज़र फिलिंग नहीं है।
यह जो मैं लाइट-क्योर कंपोज़िट फिलिंग की बात कर रहा हूं इस गैप के तरफ़ के दोनों दांतों पर थोड़ा थोड़ा लगा कर इस गैप को बंद कर दिया जाता है। इस मैटीरियर की विशेषता यह भी है कि विभिन्न कलरर्ज़ एवं शेड्स में उपलब्ध रहता है और इसे लगाने के बाद बिलकुल भी पता नहीं चलता कि दांत के ऊपर कुछ लगा भी हुआ है ।
जो भी कहें, दांतों के बीच गैप दिखता तो भद्दा ही है ---सब से पहले जिस से भी बात की जा रही हो उस का पहला ध्यान आप के अगले दांतों की तरफ़ ही जाता है। वैसे, कुछ डैंटिस्ट इस तरह के गैप का इलाज पोरसलीन लैमीनेट्स ( porcelain laminates or veneers) से भी करते हैं----यह महंगा विकल्प तो है ही , इस के साथ ही इसे किसी अनुभवी डैंटिस्ट से ही करवाना चाहिये जो कि पहले इस तरह का काम करते आ रहे हों।
लेकिन, मैंने बहुत से लोग ऐसे भी देखे हैं कि जिन के दांतों में गैप इस महिला के दांतों जितना होता है या इस से ज़्यादा लेकिन वे किसी झोलाछाप दांतों के कारीगर की बातों में आकर बेकार सा फिक्स दांत इस गैप में लगवा तो लेते हैं, लेकिन फिर इस तरह के फिक्स दांत से क्या होता है, वह तो आप कल देख-सुन ही चुके हैं !!
चलो, कभी गैप आ जायेगा तो संतोष रहेगा कि बिना बीमारी भी ऐसा हो जाता है.
जवाब देंहटाएं@ समीर जी, लेकिन जब डैंटिस्ट चैक-अप के बाद यह बात कहे तब!!
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