बात कुछ गंभीर होने वाली है इस समय...पहले एक गीत सुन लीजिए....हल्का-फुल्का सा ...कांटा लगा...रिमिक्स नहीं, ओरिजिनल ...
आज शाम को मोबाइल चेक किया तो यह मैसेज आया हुआ था...
हम सब कभी न कभी जो हमारे पास आता है उसे आगे शेयर कर देते हैं...मुझे लगने लगा है कि व्हाट्सएप अन्य तरह के सोशल मीडिया की तुलना में बहुत शक्तिशाली माध्यम है ...किसी बात को बिजली की गति से आगे पहुंचाने के लिए...एक बात कही ...बस, हाथ से ऐसी निकली कि यह गई, वो गई...तुरंत...फटाफट, ताबड़तोड़...
जिस मैसेज की मैं बात कर रहा हूं उस की डिटेल्स यह रही...
पहली बात जो ध्यान देने योग्य है वह यह कि संसार में ईश्वर ने हर इंसान को एक उद्देश्य की पूर्ति हेतु भेजा है ..ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के अलावा भी कुछ सांसारिक जिम्मेदारियां भी लोगों को दे रखी हैं...कोई किसी विषय का विशेषज्ञ है, कोई अच्छा वक्ता है, कोई उमदा अध्यापक है, कोई बेहतरीन सेवादार, किसी को प्रचार करना बहुत अच्छा आता है ...
अब ये जो बातें हैं ऊपर लिखी पोस्ट में...इस पोस्ट की तो एक उदाहरण ले रहा हूं...आप भी जानते हैं कि इस तरह की पोस्टें दिन में हमें हर तरफ़ से आती रहती हैं..वैसे तो लोग अब सचेत हैं..लेकिन पता नहीं होता किसी समय किसी बंदे की मनोस्थिति कैसी रहती है , कहने का भाव यही है कि भ्रम में फंसने का अंदेशा तो रहता ही है...
अब इस व्हाट्सएप मैसेज में बताई गई बातें घुटने वाली और किसी मरीज़ के नाक में देसी घी उंडेलने वाली बात अगर कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ या सामान्य चिकित्सक कहेगा तो उस की बात का मोल पड़ेगा, उस में वजन होगा...वरना कुछ भी कहीं भी कैसी भी नीमहकीमी नहीं चल सकती...
और ना ही इसे चलाने का कोई प्रयास ही करना चाहिए..इस तरह के मैसेज पब्लिक को गुमराह तो कर ही सकते हैं, उन की सेहत को खराब भी कर सकते हैं..
जो भी काम हम कर रहे हैं वर्षों से उस से संबंधित जानकारी शेयर कीजिए...आप में जो हुनर है उस की बातें कीजिए, ईश्वर की बातें करिए...ये सब कुछ मुबारक है ..जिस विषय का हमें कुछ ज्ञान ही नहीं है अगर हम उस के बारे में ऊट-पटांग बातें लिखने या आगे शेयर भी करने लगेंगे तो किसी न किसी का नुकसान हो जायेगा।
और जब बात सेहत की होती है तो सजगता और भी ज़रूरी है...मैं अकसर यह बात सब से शेयर करता हूं कि जो विशेषज्ञ ३०-४० सालों से कुछ भी काम कर रहे हैं, अगर उन से कुछ सीख लेनी हो या अगर उन्हें कहें कि कुछ उपयोगी बातें शेयर कीजिए तो वे एक घंटे से ज़्यादा कुछ नहीं कह पाएंगे या अपने विषय से संबंधित एक तीन-चार पन्ने के लेख में सब कुछ समेट देंगे...मैं भी इतना ही कह पाऊंगा..
लेिकन इन विशेषज्ञों की एक एक बात शिलालेख पर खुदवाने लायक होगी.. क्योंकि उन की बातों में उन का अनुभव, उन की विशिष्टता, उन का घिसना-पिसना सब कुछ ब्यां होता है...
बस, इस पोस्ट के माध्यम से तो इतना ही कहना है कि व्हाट्सएप पर कुछ भी ज्ञान की अमृत वर्षा करने से पहले आप स्वयं उस बात की सच्चाई से निश्चिंत हो जाया करिए ...यह तभी हो सकता है अगर आप उस विषय के विशेषज्ञ हैं या फिर वह आप की आपबीती है ....वरना शेयर करने के लिए इतना कुछ तो पहले ही से है, शेल्फीयां, चुटकुले, हास्य-व्यंग्य, कहानीयां-किस्से....बस, इस तरह की सेहत संबंधी जानकारी अगर आ भी पहुंची है कहीं से आप के पास तो उसे रोक दें....अगर लिखने वाले ने कहा कि २० लोगों को शेयर करना है, तो भी मत शेयर कीजिए उसे।
दुनिया पहले ही से बड़ी परेशान है ..हम जाने अनजाने कहीं किसी की परेशानियां न बढ़ा दें...
यह जो ऊपर नुस्खा लिखा है नाक में घी उंडेलने वाला उस से मुझे भी एक नुस्खा याद आ गया...उसे आप तक पहुंचाने के लिए मैं बड़ा व्याकुल हूं..इसे मैं अपने कुछ मरीज़ों से थोड़े दिन पहले शेयर कर रहा था...कुछ समझाने के लिए ...वे भी उसे सुन कर हंस पड़े थे ...कहने लगे कि नहीं, वे ऐसा नहीं करते...
हां तो दोस्तो सुनिए हमारा नुस्खा...बचपन में अकसर हम लोगों का जब कान दुःखता तो अंगीठी पर सरसों का तेल गर्म करते समय उस में लहसून के कुछ टुकड़े डाल दिये जाते ...जब तेल जल जाता तो उसे ठंडा करने के बाद, एक एक चम्मच हमारे दोनों कानों में ठूंस दिया जाता...पहले एक तरफ़ लेटना होता...जब तक सरसों का तेल पूरी तरह से अंदर धँस न जाता...अगर एक चम्मच कम लगता तो थोड़ा और भी उंडेल दिया जाता ....पूरी तरह से तेल के अंदर समा जाने के बाद, फिर पलटी मार के दूसरे कान का नंबर आता....कुछ कुछ अपनी भी बेवकूफियां लोगों से शेयर कर देनी चाहिएं...उन्हें भी तो हमारी गल्तियों से सीखने का मौका मिलना चाहिए...पता नहीं दर्द खत्म होता था कि नहीं, बाद में क्या हाल होता था...क्या नहीं.......लेिकन यह सच्चाई है सौ-फीसदी...
और ईएनटी विशेषज्ञ कानों में पानी तक न डालने की सख्त हिदायत देते हैं..
आज शाम को मोबाइल चेक किया तो यह मैसेज आया हुआ था...
हम सब कभी न कभी जो हमारे पास आता है उसे आगे शेयर कर देते हैं...मुझे लगने लगा है कि व्हाट्सएप अन्य तरह के सोशल मीडिया की तुलना में बहुत शक्तिशाली माध्यम है ...किसी बात को बिजली की गति से आगे पहुंचाने के लिए...एक बात कही ...बस, हाथ से ऐसी निकली कि यह गई, वो गई...तुरंत...फटाफट, ताबड़तोड़...
जिस मैसेज की मैं बात कर रहा हूं उस की डिटेल्स यह रही...
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अब ये जो बातें हैं ऊपर लिखी पोस्ट में...इस पोस्ट की तो एक उदाहरण ले रहा हूं...आप भी जानते हैं कि इस तरह की पोस्टें दिन में हमें हर तरफ़ से आती रहती हैं..वैसे तो लोग अब सचेत हैं..लेकिन पता नहीं होता किसी समय किसी बंदे की मनोस्थिति कैसी रहती है , कहने का भाव यही है कि भ्रम में फंसने का अंदेशा तो रहता ही है...
अब इस व्हाट्सएप मैसेज में बताई गई बातें घुटने वाली और किसी मरीज़ के नाक में देसी घी उंडेलने वाली बात अगर कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ या सामान्य चिकित्सक कहेगा तो उस की बात का मोल पड़ेगा, उस में वजन होगा...वरना कुछ भी कहीं भी कैसी भी नीमहकीमी नहीं चल सकती...
और ना ही इसे चलाने का कोई प्रयास ही करना चाहिए..इस तरह के मैसेज पब्लिक को गुमराह तो कर ही सकते हैं, उन की सेहत को खराब भी कर सकते हैं..
जो भी काम हम कर रहे हैं वर्षों से उस से संबंधित जानकारी शेयर कीजिए...आप में जो हुनर है उस की बातें कीजिए, ईश्वर की बातें करिए...ये सब कुछ मुबारक है ..जिस विषय का हमें कुछ ज्ञान ही नहीं है अगर हम उस के बारे में ऊट-पटांग बातें लिखने या आगे शेयर भी करने लगेंगे तो किसी न किसी का नुकसान हो जायेगा।
और जब बात सेहत की होती है तो सजगता और भी ज़रूरी है...मैं अकसर यह बात सब से शेयर करता हूं कि जो विशेषज्ञ ३०-४० सालों से कुछ भी काम कर रहे हैं, अगर उन से कुछ सीख लेनी हो या अगर उन्हें कहें कि कुछ उपयोगी बातें शेयर कीजिए तो वे एक घंटे से ज़्यादा कुछ नहीं कह पाएंगे या अपने विषय से संबंधित एक तीन-चार पन्ने के लेख में सब कुछ समेट देंगे...मैं भी इतना ही कह पाऊंगा..
लेिकन इन विशेषज्ञों की एक एक बात शिलालेख पर खुदवाने लायक होगी.. क्योंकि उन की बातों में उन का अनुभव, उन की विशिष्टता, उन का घिसना-पिसना सब कुछ ब्यां होता है...
बस, इस पोस्ट के माध्यम से तो इतना ही कहना है कि व्हाट्सएप पर कुछ भी ज्ञान की अमृत वर्षा करने से पहले आप स्वयं उस बात की सच्चाई से निश्चिंत हो जाया करिए ...यह तभी हो सकता है अगर आप उस विषय के विशेषज्ञ हैं या फिर वह आप की आपबीती है ....वरना शेयर करने के लिए इतना कुछ तो पहले ही से है, शेल्फीयां, चुटकुले, हास्य-व्यंग्य, कहानीयां-किस्से....बस, इस तरह की सेहत संबंधी जानकारी अगर आ भी पहुंची है कहीं से आप के पास तो उसे रोक दें....अगर लिखने वाले ने कहा कि २० लोगों को शेयर करना है, तो भी मत शेयर कीजिए उसे।
दुनिया पहले ही से बड़ी परेशान है ..हम जाने अनजाने कहीं किसी की परेशानियां न बढ़ा दें...
यह जो ऊपर नुस्खा लिखा है नाक में घी उंडेलने वाला उस से मुझे भी एक नुस्खा याद आ गया...उसे आप तक पहुंचाने के लिए मैं बड़ा व्याकुल हूं..इसे मैं अपने कुछ मरीज़ों से थोड़े दिन पहले शेयर कर रहा था...कुछ समझाने के लिए ...वे भी उसे सुन कर हंस पड़े थे ...कहने लगे कि नहीं, वे ऐसा नहीं करते...
हां तो दोस्तो सुनिए हमारा नुस्खा...बचपन में अकसर हम लोगों का जब कान दुःखता तो अंगीठी पर सरसों का तेल गर्म करते समय उस में लहसून के कुछ टुकड़े डाल दिये जाते ...जब तेल जल जाता तो उसे ठंडा करने के बाद, एक एक चम्मच हमारे दोनों कानों में ठूंस दिया जाता...पहले एक तरफ़ लेटना होता...जब तक सरसों का तेल पूरी तरह से अंदर धँस न जाता...अगर एक चम्मच कम लगता तो थोड़ा और भी उंडेल दिया जाता ....पूरी तरह से तेल के अंदर समा जाने के बाद, फिर पलटी मार के दूसरे कान का नंबर आता....कुछ कुछ अपनी भी बेवकूफियां लोगों से शेयर कर देनी चाहिएं...उन्हें भी तो हमारी गल्तियों से सीखने का मौका मिलना चाहिए...पता नहीं दर्द खत्म होता था कि नहीं, बाद में क्या हाल होता था...क्या नहीं.......लेिकन यह सच्चाई है सौ-फीसदी...
और ईएनटी विशेषज्ञ कानों में पानी तक न डालने की सख्त हिदायत देते हैं..
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