किसी भी रास्ते पर या किसी बाग में कोई फूलों को तोड़ कर एक पन्नी में इक्ट्ठा करते दिख जाता है तो मुझे बहुत बुरा लगता है ..मन ही मन दुआ ज़रूर करता हूं कि ईश्वर इन्हें सद्बुद्धि दीजिए कि बागों में फूल तोड़ने के लिए नहीं होते..
एक एनजीओ द्वारा मुहिम चलाई गई थी..टीवी पर भी विज्ञापन आया करता था बहुत बार ..जिस घर से किसी तरह की भी डेमोस्टिक वॉयलेंस की आवाज़ आ रही हो तो बस आप एक काम कीजिए...चुपचाप जा कर उस घर की घंटी बजा दीजिए...बस, इतने से प्रयास का कमाल देखिए।
दिल्ली में भी कुछ मुहिम चली तो थी शायद कुछ इस तरह की गांधीगिरी कि जिस किसी को भी आप देखें कि वह ऑड-ईवन का उल्लंघन कर रहा है, स्कूली बच्चे उसे प्यार से एक फूल थमा दिया करें...
और अब तो घर से बाहर जा कर शोच करने वालों के लिए भी कुछ इसी तरह का काम हो रहा कईं जगहों पर ...जब ये लोग दिखें तो कुछ लोग ढोल बजाने लग जाते हैं ..और उन्हें एक फूल भेंट करते हैं..
मैंने भी सोचा कि इन फूल तोड़ने वालों का भी कुछ ऐसा ही समाधान होना चाहिए... आज भी एक औरत बहुत खूबसूरत से फूल एक के बाद एक तोड़े जा रही थी, मुझ से रहा नहीं गया...मैं बस चंद लम्हों के लिए रूक गया और उस तरफ़ देखने लग गया..कुछ कहा नहीं...चंद लम्हों में ही फूल टूटने बंद...यही होना चाहिए, आप को भी जब कभी इस तरह के लोग दिखें, मुंह से कुछ न कहिए, बस रूक कर उन की तरफ़ देख लीजिए....इतना ही काफ़ी है ...क्योंकि उन्हें पता है कि वे गलत कर रहे हैं, एक तरह की चोरी कर रहे हैं ....बस, अहसास ही करवाना होता है कि हम देख रहे हैं।
चोरी भी ऐसी कि किसी के हिस्से की खुशियों पर डाका डाल रहे हैं ...आप ने ज़रूर अनुभव किया होगा ...हम लोग कईं बार कितने भी निराश हों तो एक मुस्कुराता फूल हमें कैसे खुश कर देता है ...मेरे घर के सामने यह फूल है ..जब सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले कभी मेरी नज़र इस पर पड़ जाती है तो मैं उत्साह से भर जाता है ..
और बाग में फूलों की बात तो और भी निराली है ...लोग सुबह सुबह ऊर्जा लेने पहुंचते हैं...अपनी सब तरह की दुनियावी परेशानियों से निजात पाने हेतु...आते जाते जैसे ही इन्हें ये फूल दिखते हैं तो इन के चेहरों पर खुशियां कईं गुणा बढ़ जाती हैं... और हमें पता नहीं कि डाल पर लगे फूलों ने सैंकड़ों-हज़ारों को राजी कर देना है ...और हम हैं कि उन्हें दो टके की पन्नी में बटोरने की हिमाकत से बाज ही नहीं आते...
ईश्वर ने इन फूलों को बनाया ही इसलिए है ताकि हम इन से कईं तरह की सीख ले सकें....सहनशीलता, परोपकार, प्रेम एवं सौहार्द के पाठ पढ़ सकें..और इस से साथ साथ इन को बनाने वाले कलाकार का ध्यान हमेशा मन में बसा कर रखें।
आज मुझे इन फूलों ने खुश कर दिया... एक दम भरपूर खुशीयां मिलीं...
आज बाग में सुबह जल्दी जाने का अवसर मिल गया....देखा तो सैंकड़ों लोग टहल रहे थे...सभी आयुवर्ग के ... छोटे छोटे बच्चे भी पूरे मजे कर रहे थे...कुछ झूला झूल रहे थे ..एक तो मजे से स्केटिंग कर रहा था...स्केट्स भी कुछ तरह के ही थे इस के ...मुश्किल तरह के ..लेकिन बचपन तो बचपन होता है, बेपरवाह।
बहुत से लोग ग्रुप में और कुछ लोग अकेले ही अपने अपने योगाभ्यास में लगे दिखे..योगाभ्यास में मैने नोटिस किया है कि जो लोग ग्रुप में करते हैं उन में से कुछ लोग बातें बहुत कर रहे होते हैं...योग अपने साथ जुड़ने का जरिया है ...क्या इतने शोर शराबे में यह संभव हो पाता होगा!....पता नहीं, यार!!
एक दो लोग ७०-८० के दशक के फिल्मी गीत का लुत्फ उठाते दिखे ..टहलते हुए.... यू ही तुम मुझ से बात करती हो ...(फिल्म-सच्चा झूठा) ...खुश थे, मस्त थे, इस तरह के गीतों में ...बहुत अच्छे... एक भाई जी लंबे समय से शीर्षासन पर ही जमे दिखे ...उन की मर्जी।
यह सुबह की यात्रा का वर्णऩ बार बार क्यों, ताकि आप को बार बार प्रेरित किया जा सके कि उठिए आप भी, कुछ मिनटों के लिए घर से बाहर तो निकलिए .. जल्दी करिए, वरना तीखी धूप आ जायेगी.... सुप्रभात!
बाग से बाहर आते हुए एक युवक की टी-शर्ट पर एक स्लोगन दिखा ...Everything will be OK... अच्छा कूल संदेश है...लेकिन मुझे सिद्ध समाधि योग के गुरू रिषी प्रभाकर जी की बात याद आ जाती है...अपने बंबई प्रवास के दौरान उन्होंने हमें दो कैसेट रोज़ाना सुनने को कहा था... Everything is OK और दूसरी थी..Nothing Matters! उस कैसेट में यही था कि अगर हम इस चेतना के साथ जीते हैं कि Everything is OK... तो यह ईश्वर के प्रति हमारा सर्वश्रेष्ठ समर्पण है, जो भी यह ईश्वर कर रहा है, अच्छा ही कर रहा है, सब कुछ इस के आदेशानुसार हो रहा है तो बेशक अच्छा ही हो रहा है....अकर्ता भाव बना रहता है इस सोच से...जब कि Will be OK वाली बात भी सतही तौर पर ठीक तो लगती होगी लेकिन उस में ऐसा लगता है कि अभी कुछ तो गड़बड़ है जिस के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ताकि सब कुछ ठीक हो जाए.......Let's start the day with simple thought...........Everything is OK!
Just chill! और जाते जाते ज़रा इन के पहले प्यार की खुशबू थोड़ी आप भी ले लीजिए...
एक एनजीओ द्वारा मुहिम चलाई गई थी..टीवी पर भी विज्ञापन आया करता था बहुत बार ..जिस घर से किसी तरह की भी डेमोस्टिक वॉयलेंस की आवाज़ आ रही हो तो बस आप एक काम कीजिए...चुपचाप जा कर उस घर की घंटी बजा दीजिए...बस, इतने से प्रयास का कमाल देखिए।
दिल्ली में भी कुछ मुहिम चली तो थी शायद कुछ इस तरह की गांधीगिरी कि जिस किसी को भी आप देखें कि वह ऑड-ईवन का उल्लंघन कर रहा है, स्कूली बच्चे उसे प्यार से एक फूल थमा दिया करें...
और अब तो घर से बाहर जा कर शोच करने वालों के लिए भी कुछ इसी तरह का काम हो रहा कईं जगहों पर ...जब ये लोग दिखें तो कुछ लोग ढोल बजाने लग जाते हैं ..और उन्हें एक फूल भेंट करते हैं..
मैंने भी सोचा कि इन फूल तोड़ने वालों का भी कुछ ऐसा ही समाधान होना चाहिए... आज भी एक औरत बहुत खूबसूरत से फूल एक के बाद एक तोड़े जा रही थी, मुझ से रहा नहीं गया...मैं बस चंद लम्हों के लिए रूक गया और उस तरफ़ देखने लग गया..कुछ कहा नहीं...चंद लम्हों में ही फूल टूटने बंद...यही होना चाहिए, आप को भी जब कभी इस तरह के लोग दिखें, मुंह से कुछ न कहिए, बस रूक कर उन की तरफ़ देख लीजिए....इतना ही काफ़ी है ...क्योंकि उन्हें पता है कि वे गलत कर रहे हैं, एक तरह की चोरी कर रहे हैं ....बस, अहसास ही करवाना होता है कि हम देख रहे हैं।
चोरी भी ऐसी कि किसी के हिस्से की खुशियों पर डाका डाल रहे हैं ...आप ने ज़रूर अनुभव किया होगा ...हम लोग कईं बार कितने भी निराश हों तो एक मुस्कुराता फूल हमें कैसे खुश कर देता है ...मेरे घर के सामने यह फूल है ..जब सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले कभी मेरी नज़र इस पर पड़ जाती है तो मैं उत्साह से भर जाता है ..
सत्संग में हमें अकसर समझाते हैं...
गुजरों जब बाग से
बस दुआ मांगते चलो
जिस पर हैं ये फूल
वह डाल हमेशा हरी है ....
और बाग में फूलों की बात तो और भी निराली है ...लोग सुबह सुबह ऊर्जा लेने पहुंचते हैं...अपनी सब तरह की दुनियावी परेशानियों से निजात पाने हेतु...आते जाते जैसे ही इन्हें ये फूल दिखते हैं तो इन के चेहरों पर खुशियां कईं गुणा बढ़ जाती हैं... और हमें पता नहीं कि डाल पर लगे फूलों ने सैंकड़ों-हज़ारों को राजी कर देना है ...और हम हैं कि उन्हें दो टके की पन्नी में बटोरने की हिमाकत से बाज ही नहीं आते...
आज सुबह की खुशियों की डोज़ |
आज मुझे इन फूलों ने खुश कर दिया... एक दम भरपूर खुशीयां मिलीं...
आज बाग में सुबह जल्दी जाने का अवसर मिल गया....देखा तो सैंकड़ों लोग टहल रहे थे...सभी आयुवर्ग के ... छोटे छोटे बच्चे भी पूरे मजे कर रहे थे...कुछ झूला झूल रहे थे ..एक तो मजे से स्केटिंग कर रहा था...स्केट्स भी कुछ तरह के ही थे इस के ...मुश्किल तरह के ..लेकिन बचपन तो बचपन होता है, बेपरवाह।
बहुत से लोग ग्रुप में और कुछ लोग अकेले ही अपने अपने योगाभ्यास में लगे दिखे..योगाभ्यास में मैने नोटिस किया है कि जो लोग ग्रुप में करते हैं उन में से कुछ लोग बातें बहुत कर रहे होते हैं...योग अपने साथ जुड़ने का जरिया है ...क्या इतने शोर शराबे में यह संभव हो पाता होगा!....पता नहीं, यार!!
एक दो लोग ७०-८० के दशक के फिल्मी गीत का लुत्फ उठाते दिखे ..टहलते हुए.... यू ही तुम मुझ से बात करती हो ...(फिल्म-सच्चा झूठा) ...खुश थे, मस्त थे, इस तरह के गीतों में ...बहुत अच्छे... एक भाई जी लंबे समय से शीर्षासन पर ही जमे दिखे ...उन की मर्जी।
यह सुबह की यात्रा का वर्णऩ बार बार क्यों, ताकि आप को बार बार प्रेरित किया जा सके कि उठिए आप भी, कुछ मिनटों के लिए घर से बाहर तो निकलिए .. जल्दी करिए, वरना तीखी धूप आ जायेगी.... सुप्रभात!
बाग से बाहर आते हुए एक युवक की टी-शर्ट पर एक स्लोगन दिखा ...Everything will be OK... अच्छा कूल संदेश है...लेकिन मुझे सिद्ध समाधि योग के गुरू रिषी प्रभाकर जी की बात याद आ जाती है...अपने बंबई प्रवास के दौरान उन्होंने हमें दो कैसेट रोज़ाना सुनने को कहा था... Everything is OK और दूसरी थी..Nothing Matters! उस कैसेट में यही था कि अगर हम इस चेतना के साथ जीते हैं कि Everything is OK... तो यह ईश्वर के प्रति हमारा सर्वश्रेष्ठ समर्पण है, जो भी यह ईश्वर कर रहा है, अच्छा ही कर रहा है, सब कुछ इस के आदेशानुसार हो रहा है तो बेशक अच्छा ही हो रहा है....अकर्ता भाव बना रहता है इस सोच से...जब कि Will be OK वाली बात भी सतही तौर पर ठीक तो लगती होगी लेकिन उस में ऐसा लगता है कि अभी कुछ तो गड़बड़ है जिस के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ताकि सब कुछ ठीक हो जाए.......Let's start the day with simple thought...........Everything is OK!
Just chill! और जाते जाते ज़रा इन के पहले प्यार की खुशबू थोड़ी आप भी ले लीजिए...
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