इस तरह की दवाईयों की लिस्ट यहां देने से पहले यह कहना उचित होगा कि ऐसी कोई भी so-called ताकत की दवा है ही नहीं जो कि एक संतुलित आहार से हम प्राप्त न कर सकते हों, वो बात अलग है कि आज संतुलित आहार लेना भी विभिन्न कारणों की वजह से बहुत से लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है।
जो लोग संतुलित आहार ले सकते हैं, वे महंगे कचरे ( जंक-फूड – पिज़ा, बर्गर, ट्रांसफैट्स से लैस सभी तरह का डीप-फ्राईड़ खाना आदि) के दीवाने हो रहे हैं, फूल कर कुप्पा हुये जा रहे हैं और फिर तरह तरह की मल्टी-विटामिन की गोलियों में शक्ति ढूंढ रहे हैं। दूसरी तरफ़ जो लोग सीधे, सादे हिंदोस्तानी संतुलित एवं पौष्टिक आहार को खरीद नहीं पाते हैं , वे डाक्टरों से सूखे हुये बच्चे के लिये टॉनिक की कोई शीशी लिखने का गुज़ारिश करते देखे जाते हैं।
मैं जब कभी किसी कमज़ोर बच्चे को, महिला को देखता हूं और उसे अपना खान-पान लाइन पर लाने की मशवरा देता हूं तो मुझे बहुत अकसर इस तरह के जवाब मिलते हैं —-
क्या करें किसी चीज़ की कमी नहीं है, लेकिन इसे दाल-सब्जी से नफ़रत है, आप कुछ टॉनिक लिख दें, तो ठीक रहेगा।
( कुछ भी ठीक नहीं रहेगा, जो काम रोटी-सब्जी-दाल ने करना है वे दुनिया के सभी महंगे से महंगे टॉनिक मिल कर नहीं कर सकते)
–इसे अनार का जूस भी पिलाना शूरू किय है, लेकिन खून ही नहीं बनता ..
(कैसे बनेगा खून जब तक दाल-सब्जी-रोटी ही नहीं खाई जायेगी, यह कमबख्त अनार का जूस भर-पेट खाना खाने के बिना कुछ भी तो नहीं कर पायेगा)
विटामिन-बी कंपैल्कस विटामिन
— जितना इस ने लोगों को चक्कर में डाला हुआ है शायद ही किसी ताकत की दवाई ने डाला हो। किसी दूसरी पो्स्ट में देखेंगे कि आखिर इस का ज़रूरत किन किन हालात में पड़ती है। इस में मौजूद शायद ही कोई ऐसा विटामिन हो जो कि संतुलित आहार से प्राप्त नहीं किया जा सकता। अपने आप ही कैमिस्ट से बढ़िया सी पैकिंग में उपलब्ध ये विटामिन आदि लेना बिल्कुल बेकार की बात है।
किसी दूसरे लेख में यह देखेंगे कि आखिर इस विटामिन की गोलियां किसे चाहिये होती हैं ?
डाक्टर, बस पांच लाल टीके लगवा दो !!
एक तो डाक्टर लोग इन लाल रंग के टीकों से बहुत परेशान हैं। क्या हैं ये टीके—-इन टीकों में विटामिन बी-1, बी –6 एवं बी –12 होता है और कुछ परिस्थितियां हैं जिन में डाक्टर इन्हें लेने की सलाह देते हैं। लेकिन पता नहीं कहां से यह टीके ताकत के भंडार माने जाने लगे हैं, यह बिल्कुल गलता धारणा है।
अकसर मरीज़ यह कहते पाये जाते हैं कि मैं तो हर साल बस ये पांच टीके लगवा के छुट्टी करता हूं। बस फिर मैं फिट ——- आखिर क्यों मरीज़ों को ऐसा लगता है, यह भी चर्चा का विषय है।
मैं खूब घूम चुका हूं और अकसर बहुत कुछ आब्ज़र्व करता रहता हूं —-इस तरह की ताकत की दवाईयों की लोकप्रियता के पीछे मरीज़ कसूरवर इस लिये हैं कि जब उन्होंने कसम ही खा रखी है कि डाक्टर की नहीं सुननी तो नहीं सुननी। अगर डाक्टर मना भी करेगा तो क्या, वे कैमिस्ट से खरीद कर खुद लगवा लेंगे। और दूसरी बात यह भी है कि शायद कुछ चिकित्सकों में भी इतनी पेशेंस नहीं है, टाइम नहीं है कि वे सभी ताकत के सभी खरीददारों से खुल कर इतनी सारी बातें कर पाये। इमानदारी से लिखूं तो यह कर पाना लगभग असंभव सा काम है —–वैसे भी लोग आजकल नसीहत की घुट्टी पीने में कम रूचि रखते हैं, उन्हें भी बस कोई ऐसा चाहिये जो बस तली पर तिल उगा दे—–वो भी तुरंत, फटाफट !!
जिम में मिलने वाले पावडर
—- कुछ युवक जिम में जाते हैं और वहां से उन्हें कुछ पावडर मिलते हैं ( जिन में कईं बार स्टीरायड् मिले रहते हैं) जिन्हें खा कर वे मेरे को और आप को डराने के लिये बॉडी-वॉडी तो बना लेते हैं लेकिन इस के क्या भयानक परिणाम हो सकते हैं और होते हैं ,इन्हें वे सुनना ही नहीं चाहते। अगर इन के बारे में जानना हो तो कृपया आप Harmful effects of anabolic steroids लिख कर गूगल-सर्च करिये।
अगर कोई किसी तरह के सप्लीमैंट्स लेने की सलाह देता भी है तो पहले किसी क्वालीफाईड एवं अनुभवी डाक्टर से ज़रूर सलाह कर लेनी चाहिये।
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