शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

कल शाम मुझे गौरक्षक याद आये...

गौरक्षा की बहुत बातें चल रही हैं... जब भी यह चर्चा चलती है तो नरेन्द्र मोदी का एक भाषण याद आ जाता है कि गौरक्षकों को यह बात समझनी होगी कि असल में अगर वे गौरक्षक हैं तो उन्हें गौमाता को प्लास्टिक खाने से बचाने के लिए कुछ काम करना चाहिए..

जिस तरह से गाएं प्लास्टिक खा खा के बीमार हो रही हैं, मर रही हैं, वह चिंता का विषय तो है ही....मोदी ने अपने भाषण में बताया कि गुजरात के सीएम रहते हुए अपने संस्मरण साझा किए कि किस तरह के गऊयों का आप्रेशन करने के बाद एक एक बाल्टी भर प्लास्टिक उन के पेट से निकाला जाता था..





कल ट्रेन में यात्रा करते समय गाजियाबाद स्टेशन से पहले बाहर नज़र गई तो इस तरह के मंज़र देख कर चिंता यही हुई कि हर तरफ प्लास्टिक के अंबार लगे हुए हैं...इतने कानून बन गये...इतने नियम कायदे बन गये लेकिन यह प्लास्टिक दिखना बंद नहीं होता...हमें, हमारी धरा को तो यह प्लास्टिक बर्बाद कर ही रहा ...पशु तो इसे खाने से मर रहे हैं!


पानी के छोटे छोटे हौज हम लोग बचपन से देखते रहे हैं...घरों के बाहर ... हमने भी बनवाया था ..लेकिन एक बात नोटिस की कुछ लोग इन में पानी नियमित चेंज करते रहते हैं, साफ़-सफ़ाई करते हैं...लेेकिन हम ने इस तरफ़ कभी इतना ध्यान नहीं दिया...शायद इसलिए कि हमनें कभी उस छोटे से हौज से किसी जानवर को पानी पीते देखा भी नहीं...सुनसान सड़क पर घर था और वह सड़क आगे से बंद थी...शायद यही कारण होगा।
 ये दोनों तस्वीरें अजमेर में खींची थी मैंने ...just took it from my instragram profile @justscribblelife


दो साल पहले में अजमेर गया तो वहां भी घरों के आगे इस तरह के पत्थर से बनी हुई जानवरों के लिए पानी की टंकियां दिखीं...अच्छा लगा...वहां तो प्याऊ भी बहुत नज़र आते हैं...

मैं भी यही मानता हूं कि कुछ ऐसा काम किया जाना चाहिए...कल मैंने देखा दिल्ली के द्वारका एरिया में एक घर के आगे इस तरह की पानी की खुली टंकी सी तैयार करवा रखी थी... यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा..इस तरह का हौज जानवरों के पानी पीने के लिए मैंने किसी घर के बाहर शायद पहली बार ही देखा था ..

एकदम साफ़ थी यह टंकी और सब से बढ़िया बात यह लगी कि पानी के निकास के लिए भी व्यवस्था है ...यह बहुत ज़रूरी है ...वरना इसी चक्कर में इस तरह की टंकियों में गंदगी इक्टठा होती रहती है कि इस की सफाई टलती ही रहती है ...अगर निकास की व्यवस्था की गई है तो पानी भरना कोई बड़ा मुद्दा लगा नहीं ...वैसे उस के लिए भी यहां एक सुंदर व्यवस्था दिखा नलके की ....वरना बाल्टी भर भर के या पानी की पाईप से इस में पानी भरने का लोग आलस ही करते हैं! यह गृह साधुवाद का पात्र है निःसंदेह !
कल मुझे दिल्ली के द्वारका इलाके में  पानी की टंकी जो एक घर के बाहर जानवरों के इस्तेमाल के लिए दिखी ...

पानी भरने की टूटी और निकासी का भी समुचित प्रबंध ...जय हो!!

काश मछली रक्षक भी होते!

कल मैंने दिल्ली में एक जगह देखा कि फुटपाथ पर एक मछलीयां बेचने वाले ने एक टब में पानी भरा हुआ था..और उस में मछलियां डाल रहे थे ..वे मजे से उन में तैर रही थीं....लेेकिन यह आज़ादी किस काम की ...उसी दुकानदार के पास से लौटते हुए मैंने देखा कि कुछ युवा लोग मछली खरीद रहे थे ..जिस तरह से जिंदा मछली को पकड़ कर वह दुकानदार यातना दे कर मार रहा था उसे देख कर उन में से एक युवक के चेहरे पर जो भाव थे, वे मुझे हमेशा याद रहेंगे....

मैं यही सोच रहा था कि जितनी जितनी पढ़ी लिखी पब्लिक ज़रूरत से ज़्यादा लिख-पढ़ रही है और सब्जियों में फार्म-फ्रेश की तरह मांसाहार के लिए भी सब कुछ अपनी आंखों के सामने ही बरबाद और तैयार हुआ देखना चाहते हैं...उतना उतना इन बेजुबान पशुओं  पर अत्याचार ही बढ़ रहा है....मुझे बहुत बुरा लगा कल यह सब देख कर!


शायद आपने भी नोटिस किया होगा कि कुछ समय पहले तक तो मछलियां बेचने वाले एक ऐसा छोटा सा टब रखते थे जिस में बिल्कुल थोड़ा सा पानी डालते थे जिस से मछलीयां न जी ही पाती थीं और न ही मर पाती थीं, बस किसी ग्राहक के आने तक छटपटाती ही रहती थीं ...ग्राहक के आने पर उन्हें इस तड़प से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती!

गौशालाओं को बहुत बातें हो रही हैं...कुछ दिन पहले आदित्यनाथ जोगी की गौशाला और मुलायम सिंह के बेटे प्रतीक यादव की गौशालाएं देख कर बहुत अच्छा लगा....सोच रहा हूं किसी दिन गौशाला में ज़रूर जाऊंगा...बहुत सुनता हूं इन के बारे में ...बडा़ पुण्य का काम है ...निःसंदेह ... मैं जानता हूं कुछ लोग इस मिशन में कितनी लगन के साथ लगे हुए हैं...काश! हम सब पशु-पक्षियों के प्रति भी ..सभी प्राणियों ....पेड़-पत्तों के प्रति भी इतने संवेदनशील हो जाएं कि अगर उन्हें खरोंच भी लगे तो दर्द हमें होने लगे...आमीन !

बेटे ने राजस्थान के हिंदु एवं मुस्लिम गौरक्षकों पर कुछ डाक्यूमैंटरीज़ तैयार की थीं एक महीना पहले ....सोच रहा हूं मुस्लिम गौरक्षकों वाली उस यू-ट्यूब वीडियो को यहां शेयर करूं...


बंद कर रहा हूं इस पोस्ट को .....कुछ सिर पैर मुझे ही समझ में नहीं आ रहा ....कहीं आप के सब्र का इम्तिहान ही न लेने लगूं !!
(लेखक २३ वर्षों से शुद्ध शाकाहारी है ...अपनी मरजी से ...बिना किसी तरह के दबाव के .....Just because of simple principle ...  जियो और जीने दो!)




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