जी हां, यह हमारी हाउसिंग सोसायटी पढ़े-लिखों लोगों की है ..लगभस सभी सर्विस में हैं या रिटायर्ड हैं...दरअसल नौकरी पेशा लोग जिस तरह से अपने जैसे लोगों के साथ इतने वर्षों से रहे होते हैं ..उन्हें रिटायर होने के बाद भी उसी तरह के पढ़े लिखे लोगों के साथ रहना अच्छा लगता है।
आज सुबह दिल्ली नंबर वाली एक गाड़ी का एक खुली सड़क पर इस तरह का एक्सीडेंट हुआ देखा तो बुरा लगा ...इतनी चौड़ी सड़क, इस पर ज्यादा भीड़-भडक्का भी नहीं होती..यह लखनऊ के बंगला बाज़ार पुल से तेलीबाग आने वाली सड़क पर दिखा ...जो रोड रायबरेली रोड में मिल जाती है ..कार के पिछली तरफ़ एक विवाह-शादी का स्टिकर भी लगा हुआ था ..ईश्वर सब को सुरक्षित रखे...सब लोग अपने अपने ठिकाने पर ठीक ठाक पहुंचे...ईश्वर सब की रक्षा करें...समय बहुत बलवान होता है...काश!हम लोग समय़ से डर कर रहें और हमेशा हम में ईश्वर का अहसास बना रहे।
सब से बड़ी खूबी हमारी सोसायटी की यह है कि किसी बात के लिए भी चिक-चिक नहीं है...सभी कानून कायदे एकदम कड़क हैं...कोई नहीं मानेगा तो भी ये मनवा ही लेते हैं..ऐसा ही होना चाहिए।
इतना घाटों का पानी भी नहीं पिया हम लोगों ने लेकिन जितना भी पिया है हमारी वर्तमान सोसायटी लगभग एक आदर्श सोसायटी है, मुझे तो पिछले तीन वर्षों में कोई कमी नहीं लगी..हम लोग किराये पर हैं, किराया ज़्यादा तो है ..but it is okay!
कल शाम दरवाजे पर बेल हुई..कॉलोनी का गार्ड था...बेसमेंट पार्किंग एरिया में जो लाइटें जलती है उस के १५० रूपये लेने आया था..ये तीन महीने का बिल है ...बेसमेंट में अलग बिजली का मीटर है ..तीन महीने में जितनी खपत होती है, और एक बेसमेंट में जितनी गाड़ियां खड़ी रहती हैं ...उन में वह बिल बांट दिया जाता है ...कितना बढ़िया तरीका है...वरना अकसर देखते हैं कि बेसमेंट की लाइटें कुछ बिल्डिंगों में हमेशा खराब ही रहती हैं ...और इन को दुरूस्त करवाना कोई अपनी जिम्मेदारी भी नहीं समझता...लेकिन इस तरह की shared responsibility वाली बात बढ़िया है ..आप को कैसी लगी?
कल मैंने नोटिस बोर्ड पर देखा तो एक नोटिस लगा हुआ था..पेट चार्जेज के बारे में ...मैं पहली बार कुछ इस तरह के शुल्क के बारे में पढ़ रहा था कि प्रत्येक डॉगी के लिए ५० रूपये महीना लगेगा..
हर बंदे को पार्किंग अपनी निश्चित जगह ..चाहे वह कवर्ड है या खुले में..अपने निश्चित स्थान पर ही लगानी होती है ...पहले तो कालोनी के गार्ड्स एक स्टिकर चिपका जाते थे जिस पर लिखा रहता था कि आप अपनी गाड़ी निश्चित स्थान पर ही लगाया कीजिए...
अब कुछ समय से यह गाड़ी के पहिये पर एक कलैंप लगा जाते थे ..जिस से गाड़ी मूव नहीं कर पाती..पहले गार्ड कक्ष में जा कर ५० रूपये जुर्माना भरिए..फिर वह कलैंप खुलेगा...और सबक तो मिल ही जायेगा आगे के लिए।
हर बात कायदे से होती है ..साफ सफाई एक दम चकाचक ..कोई कूड़ा कर्कट बाहर फैंकता ही नहीं...ये जो कुछ तस्वीरें हैं मैंने आज सुबह ही खींची हैं...साफ़ सुथरी सड़कें...सुबह शाम लोगों के टहलने के बढ़िया जगह है।
और क्या लिखना रह गया.आज सुबह सुबह लंगूर दिख गये...ये भी कालोनी के मुलाजिम हैं पक्के ...सारा दिन कालोनी की बंदरों से हिफ़ाज़त करते हैं..
सिक्योरिटी पूरी तरह से कसी हुई है ...उस के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं लिखना चाहता ..घर आने वाले वर्कर्ज़ की भी पूरी वेरीफिकेशन ...तभी कोई कालोनी के अंदर घुस सकता है ..
दैनिक ज़रूरत की सभी चीज़ें कालोनी के अंदर ही दुकानों पर मिल जाती हैं...कालोनी के गेट पर एटीएम भी लग गया है ...
सच में अपने जैसे पढ़े लिखे और अपनी वेवलेंथ वाले लोगों की कालोनी में ही रहना अच्छा लगता है ..वरना बेकार की किट-किट ...अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोगों से पढ़े लिखे लोग जीत नहीं सकते...किसी भी लिहाज से...यहां एक दम बढ़िया है ...सभी अकेले रहते हुए भी एक साथ हैं, और एक साथ रहते हुए भी अकेले हैं...No one intrudes into other person's space!
कालोनी की एक सड़क पर एक घर के बाहर रोज एक विचार लिखा होता है ..कभी कभी मैं इस से सहमत हो जाता हूं ..कभी कभी बिल्कुल नहीं..कभी कभी थोड़ा बहुत ...आज भी पेशेंस वाली बात लिखी है ..लेकिन यह जो अनप्लेसेंट अनुभव वाली बात है, यह मेरे पल्ले नहीं पड़ रही ...मुझे लगता है कि पेशेंस वाली बात तो केवल और केवल सत्संग में बैठ कर समझी जा सकती है या जीवन में पल पल हमें इस की ज़रूरत है ...अगर हम धैर्यवान हैं, सब्र रखते हैं ..तो ज़िंदगी बढ़िया बीतती चली जाती है ...वरना तो ...(आप जानते ही हैं!)
आज कल कालोनी में लिफ्ट लग रही है ..वैसे तो कुछ बिल्डिंगे तीन मंजिला ही हैं...ग्राउंड प्लस टू..लेकिन कुछ वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए अब कुछ इमारतों में लिफ्टें लग रही हैं...
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