शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

वाट्सएप ज्ञान की अमृतवर्षा - ०५.२.२०१६

मुझे ध्यान नहीं आ रहा था कि वाट्सएप पर जो ज्ञान दिखे उसे अगर ब्लॉग पर सहेज कर रखना हो तो उसे क्या नाम दिया जाए...

अचानक बचपन के दिनों में अनेकों बार सुने शब्द अमृतवर्षा का ध्यान आ गया ..इसलिए पोस्ट का यही नाम रख दिया।

फ्लैशबैक... >>>>>>>>   अमृतसर शहर ...१९६० के दशक के आखिरी वर्ष और १९७० के शुरुआती वर्ष .. हमारे पड़ोस में शाम लाल अंकल जी के गृह में महिलाओं का दोपहर में कीर्तन हुआ करता था.. बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति वाला परिवार.. पूजा-पाठ-कीर्तन में लगे रहते थे।

प्रत्येक बुधवार को उन के आंगन में महिलाओं का कीर्तन होता था...हम सब लोग बाहर कंचे, पिट्ठूसेका, गुल्ली-डंडा खेला करते थे..हमें उस ढोलक चिमटों की आवाज़ के साथ गाए जाने वाले भजन सुनने अच्छे लगते थे..और अमृतवर्षा के समय खेल छोड़ कर आंगन के अंदर भाग जाना भी हमारे लिए ज़रूरी होता था.. क्योंकि शाम लाल आंटी जी के हाथ में अमृत से भरी एक गढ़वी हुआ करती थी...और वह अपने चुल्लू में उसे भर भर के सारी संगत पर छिड़का करती थीं...हमारे मन में तब तक यह बैठ चुका था कि अगर उस जल के कुछ छींटे ...चाहे एक दो ही क्यों न हों...अगर वे हमारे ऊपर पड़ गये तो ईश्वरीय कृपा है ...वरना मन थोड़ा ऐसा वैसा फील करने लगता था..लेकिन अकसर एक दो बूंदे पड़ ही जाया करती थीं...और अगर कुछ आंटियों पर यह बूंदें नहीं बरसीं तो वे दूध से ही शर्मा आंटी को कहती ....बहन जी, ऐधर वी ..बहन जी, ऐधर वी ...(बहन जी, इधर भी, इधर भी!)...और जो बात मैंने मेन शेयर करनी थी वह यह थी कि इस अमृतवर्षा होते हुए भी निरंतर ढोलक-चिमटों की आवाज़ के साथ साथ ...कीर्तन करने वाली महिलाएं निरंतर गाती रहती थीं....फुल्लां दी वर्षा...होई वर्षा अमृत दी ..होई वर्षा अमृत दी...(फूलों की वर्षा...अमृत की वर्षा हो गई)....फिर उस के बाद ही परशाद बांटा जाता था..

तो यह थी अमृतवर्षा की बैकग्राउंड... वाट्सएप को आए काफी अरसा हो गया...इस पर अकसर इतने इतने बढ़िया मैसेज टेक्सट, वीडियो, आडियो आते हैं कि उन्हें पढ़ते समय ही तमन्ना होती थी कि इसे आगे शेयर किया जाए और सहेज भी लिया जाए।

शेयर तो कर ही लेते हैं लेिकन सहेजने-वेजने वाला काम मुश्किल लगता है ... अपनी ही सहेजी चीज़ें हमें अलमारी में तो मिलती नहीं, कभी इच्छा होने पर इस वाट्सएप ज्ञान को कहां ढूंढते फिरेंगे ...और इतना सब्र भी कहां है! इसलिए अकसर एक बार देखी-पढ़ी बात फिर से देखने को मिलती नहीं ...

एक समस्या और भी तो है... वाट्सएप ग्रुप जिन में हम हैं, वे भी अधिकतर रेत के घर जैसे हैं...जैसे बचपन में हम लोग मेहनत से उन्हें बना कर फिर अगले ही पल उन्हें गिरा दिया करते थे..इसी तरह से पता ही नहीं चलता कब लोग किसी को ब्लॉक कर देते हैं, कब किसी को किसी ग्रुप से निकाल बाहर करते हैं ..और कब वह तैश में आकर तीन ग्रुपों से अपने आप बाहर हो जाता है .. ऐसे में क्या होता है, उस समय हम यह नहीं सोचते कि इस ग्रुप की चैट में कितना वाट्सएप ज्ञान भरा हुआ है ..हम गुस्से में उसे आर्काईव भी नहीं करते ....ऐसा ही तो करते हैं अकसर हम लोग। बस, सब कुछ उस क्षण चला गया हमेशा के लिए।

मैं अकसर सत्संग में देखता हूं कि सत्संगी लोग वाट्सएप ज्ञान को अपने मोबाइल से पढ़ कर शेयर करते हैं ...और सुन कर बहुत अच्छा लगता है .. तो मैंने सोचा कि मैं भी अपने ब्लॉग पर कुछ इसी तरह से करना शुरू करूं....अब रोज़ रोज़ मैं कहां से पोस्टें लिखने बैठूं... ऐसे ही रेडीमेड वाट्सएप माल भी कभी कभी पोस्ट के रूप में पेश कर देने में कोई बुराई नहीं है, मैं ऐसा सोचता हूं..

और एक बात...सच में बहुत सा वाट्सएप माल सहेजने लायक होता है...लेकिन समस्या यही है कि जो मैं सहेजूंगा..वह मेरी पंसद होगी, उसने मुझे ज़रूर उद्वेलित किया होगा, गुदगुदाया होगा, कुछ सोचने पर मजबूर किया होगा...तो आप भी अपने स्तर पर यह प्रयास कर सकते हैं.... यह ब्लॉग व्लॉग लिखना भी कोई कठिन थोड़े ही न है,  बस Bloggger.com या Wordpress.com पर जाइए, बस सब कुछ वे समझा देते हैं.... बस दो चार दिन की बात होती है और वैसे भी शुरूआत में आपने कुछ लिखना तो है नहीं बस वाट्सएप पर हो रही ज्ञान की अमृतवर्षा को कापी-पेस्ट कर के सहेजना ही तो है जैसा में आज कर रहा हूं....

यह चुटकुला मुझे आज दोपहर में मेरी श्रीमति जी ने सुनाया... उन्हें यह किसी ने वाट्सएप किया था... वह मुझे सुनाते हुए हंस रही थीं तो मैंने कहा कि इसे मुझे भी फारवर्ड कर दें ... मैंने सोचा इस अमृतवर्षा की शुरूआत इसी से ही कर ली जाए..

कस्टमर : अगर मैं आज चेंक जमा करू तो वो कब क्लियर होंगा?
क्लर्क : ३ दिन में.
कस्टमर : मेरा चेंक तो सामने वाली बैंक का है.., दोंनों बैंक आमने-सामने है फिर भी इतना समय क्यों?
क्लर्क : सर, ‘प्रोसिजर टू फोलो’ करना पड़ता हैं ना.  सोंचो आप कही जा रहे हों और बाजु में ही  शमशान हैं, अगर आप शमशान के बाहर ही मर गये, तो आपको पहले घर लेकर जायेंगे या वही निपटा देंगे?
कस्टमर बेहोश...😂

 कैसा लगा आप को यह चुटकुला ...वैसे बात तो उस कलयुक के बाबू ने ठीक ही कही...

     एक वाट्सएप ज्ञान उस महान कामेडियन चार्ली चेपलिन के बारे में भी मिला कल...दरअसल शायद कुछ महीनों पहले भी इस तरह का कुछ पढने को मिला था... विशेषकर जिन पंक्तियों में कहा गया है कि जिंदगी के हल पल का जश्न मनाओ... कल इसे फिर से पढ़ा तो बहुत अच्छा लगा..बिल्कुल जैसे किसी ने रिमांईंडर भेजा हो...सोचा, इन सब अच्छी बातों को ब्लॉग पर सहेजा जाए....

चार्ली चैपलिन ने एक चुटकुला सुनाया तो सभी लोग हँसने लगे....
चार्ली ने वही चुटकुला दोबारा सुनाया,  कुछ लोग फिर हँसे???
उन्होंने फिर वही सुनाया पर इस बार कोई नहीं हँसा...???
तब उन्होंने कुछ खास बात कही..
"जब आप एक ही चुटकुले पर बार-बार नहीं हँस नहीं सकते तो फिर आप एक ही चिंता पर बार बार रोते क्यों हैं"
इसलिए जीवन के हर पल का आनंद लो..!!
जिंदगी बड़ी खूबसूरत है।
आज चार्ली चैपलिन की 125वीं जयंती है जो इन तीन ह्रदयस्पर्शी बातों को दोहराने का दिन है -
(1) दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं.. हमारी परेशानियाँ भी नहीं।
(2) मुझे बारिश में चलना पसंद है ताकि कोई मेरे आँसू न देख सके।
(3) जीवन का सबसे व्यर्थ दिन वो है जिसमें हम हँसे नहीं।
हँसते रहो और इस मैसेज को उन सबसे शेयर करो जिन्हें आप मुस्कुराते देखना चाहते हो। 

कैसा लगी चार्ली चैपलिन की बात ...अगर यह अच्छी लगी तो फिर आप को अमिताभ बच्चन की यह बात भी निश्चय ही अच्छी लगेगी ...  जिंदगी हंसने गाने के लिए है पल दो पल...मेरा एक और फेवरेट गीत..



इस अमृतवर्षा में कुछ फोटो भी हो जाए तो तड़का लग जाए... ये भी मुझे वाट्सएप में भी मिली हैं इधर उधर से...






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