शनिवार, 17 जनवरी 2015

ऑनलाइन अक्खड़पन ...

आज बैठे बैठे विचार आ रहा था कि जितने so-called बड़े बड़े लोग सोशल मीडिया पर जुड़ने लगे हैं, उस से तो शायद यही लग रहा होगा कि बहुत बढ़िया two-way communication का एक ज़रिया मिल गया है.....लेकिन वास्तविकता इस से बहुत दूर है।

अगली बार जब कहीं ऐसे शख्स या संस्था या विभाग की साइट पर जा कर कुछ भी मन की भाव व्यक्त करें तो बस इतना देख लीजिए कि कितने लोगों की टिप्पणीयों के जवाब में उन्होंने कुछ कहा है.....कुछ कहा तो दूर, कितने लोगों के कुछ कहने पर इन्होंने हूं-हां ही कहा हो....बहुत निराशा होती है यह सब देख कर। ठीक उसी तरह जिस तरह से आप से कोई रियल लाइफ में बात करे और आप उस से संवाद स्थापित करने की जगह अपना मुंह ही दूसरी तरफ़ घुमा लें.....रिएल लाइफ में है ही, ऑनलाइन वर्ल्ड में भी यह बड़ा पीड़ादायक होता है।

आज बैठे बैठे कुछ विचार आ रहे थे तो कागज पर लिख कर सोचा कि इंक-ब्लॉगिंग का ही कर ली जाए...

इस पर क्लिक कर के ठीक से पढ़ पाएंगे

इस पर क्लिक कर के ठीक से पढ़ पाएंगे
सभी तरह की सभी क्षेत्रों से तालु्क्क रखने वाली so-called हस्तियां बस इतना ध्यान रखें कि जनता के बारे में पहले से किसी शायर ने कितना सही कह दिया है.....
यह चाहे तो सर पे बिठा ले,
चाहे फैंक दे नीचे!!
पहले यह पीछे भागे, 
फिर भागो इस के पीछे!!
.....
क्या नेता क्या अभिनेता.. दे जनता को जो धोखा
पल में शोहरत उड़ जाए ज्यों एक हवा का झोंका..

बेहतर होगा आप संवाद करने की आदत डालिए......ऑनलाइन अक्खड़पन बिल्कुल नहीं चलता....earlier we understand this , better it is! मैं तो यह गीत कभी कभी ज़रूर सुन लिया करता हूं...



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