गुरुवार, 10 जनवरी 2008

स्वपन दोष जब कोई दोष है ही नहीं तो !!

स्वप्नदोष जब कोई दोष है ही नहीं तो !!

दोस्तो, क्या आपने यौवन की दहलीज़ पर पांव रख रहे अपने बेटे की आंखों में एक अजीब-सी बेचैनी का तूफान देख कर कभी उसे यह कहने की जरूरत महसूस की है कि स्वप्नदोष (वही जिसे इंगलिश में हम लोग Nightfall भी कह दिया करते हैं)कोई दोष-वोष नहीं है, बस तुम इस के बारे में बिलकुल सोचा मत करो, सब कुछ समय के साथ ठीक हो जाएगा। Why don't you tell him that these 'night falls' are so common and almost a natural phenomenon !! उसे क्यों नहीं हम पूरी तरह एक बात समझा देते कि देखो, यह सिर्फ तुम्हारे साथ ही नहीं हो रहा, ऐसा अकसर इस उम्र में होता ही है, जब मैं तुम्हारी उम्र का था,तो मैं भी इस अवस्था से गुज़र चुका हूं। दोस्तो, अपनी उदाहरण दे कर बताना बेहद जरूरी है----क्योंकि तब आप का बेटा आप से बेहतर रिलेट करने लगता है।

मुझे आज तक यह बात समझ नहीं आई कि हम इतना पढ़े-लिखे हुए लोग भी इस मामले में क्यों चूक जाते हैं। क्यों लेते हैं हम कुछ चीज़ों को ---just taken for granted !!

जी नहीं, यह बात बहुत महत्वपूर्ण है जो कि आप ही अपने बेटे को दुनिया में सब से अच्छे ढंग से बता सकते हैं, दूसरा कोई नहीं ----क्योंकि वह आप पर पूरा भरोसा करता है। शायद हमारा समय कुछ और था---हम लोगों की अपने बड़ों के साथ कहां इतनी ओपननैस थी, हम लोग ---शायद आप को भी कुछ कुछ याद होगा--तो बस यह सब बातें सोच सोच कर खुद मन ही मन कईं साल परेशान रहते थे। अकसर युवावस्था की दहलीज पर खड़े ये बच्चे अपने शरीर में होने वाले विभिन्न तरह के बदलाव( night-fall भी उन्हीं में से एक है, शेष के बारे में भी आप और हम अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन उस बच्चे से भी उस के मानसिक स्तर के अनुसार बात तो कर लीजिए) देख कर बौखला से जाते हैं कि पता नहीं मेरे साथ ही यह सब क्यों हो रहा है।

और, ये जो खानदानी नीम-हकीम वगैरह जगह जगह बैठे हुए हैं ,ये तो इस समस्या (वैसे तो यह कोई समस्या है ही नहीं,अगर एक बार समझ में आ जाए तो)--चलिए, समस्या कहते ही नहीं, मुद्दा कहते हैं...अब तो ठीक है........वे इस मुद्दे को अपने इश्तिहारों से और भी कंप्लीकेट कर के रखे हुए हैं। इतने अजीब तरह से अपनी मशहूरी करते हैं और अपने कुछ इस तरह के विज्ञापन छपवा कर इतनी strategic जगहों पर इन्हें चिपका देते हैं या बंटवा देते हैं कि टीन-एजर्रस का इन की दिमाग खराब करने वाली भाषा के जाल से बचना मुश्किल हो जाता है। और देर-सवेर यह निर्बोध किशोर इन के चंगुल में फंस जाते हैं। मेरा एक मित्र मुझे बता रहा था कि उस के पास एक व्यक्ति अपने 19-20 साल के बेटे को ले कर आया जो कि इन झोलाछाप नीम-हकीमों के चक्कर में फंस कर अपने योनअंगों की छोटीमोटी इंफैक्शन( और वह भी वास्तविक कम, काल्पनिक ज्यादा) से निजात पाने के लिए70-80 हज़ार रूपये धीरे-धीरे मां-बाप से छुप कर इस क्वैक को दे चुका था---मेरा वह मित्र skin and V.D specialist है, वह कह रहा था कि उसे केवल कुछ दिनों के लिए दवाईयां दीं, थोड़ी साफ-सफाई के बारे में अच्छी तरह से बता दिया जिस से वह बिल्कुल ठीक हो गया।

हां,तो दोस्तो, अपनी बात हो रही थी--स्वपन दोष की.......सीधी सी बात है कि दोस्तो जब कोई मटकी भर जाएगी तो थोड़ी छलकेगी ही न--- वही बात यहां है कि किशोरावस्था के दौरान जब वीर्य की मटकी शरीर में भर जाती है तो वह कभी कभी छलक जाती है......that's all ! और इन बच्चों के लिए यह इतना बडा़ मुद्दा बना रहता है--- इतना बडा़ कि वे अपने कैरियर के हिसाब से इतने महत्वपूर्ण वर्षों में इस छोटी की वजह के कारण कईं बार पूरी तरह अपनी पढ़ाई में कंसैनटरेट ही नहीं कर पाते।

हम कईं बार यह भी समझ लेते हैं कि बच्चे आज कल इतने एडवांस हैं, वे सब बातें जानते ही होंगे। लेकिन शायद नहीं...अपने दोस्तों से तो उन्हें भ्रामक या और भी अधकचरी जानकारी ही मिलेगी जिससे वे और भी उलझ कर रह जाएंगे। इंटरनैट पर सर्च कर के बहुत कुछ इस विषय से संबंधित भ्रांतियां उखाड़ फैंकने के लिए उन को मिल सकता है, लेकिन आप का बेटा तो बस आप के ऊपर ही सारे जहां से ज्यादा विश्वास करता है। इसलिए आप के द्वारा की गई बात बेहद कारगार सिद्ध होगी। आप एक बार इस विषय के बारे में संवाद छेड़ कर तो देखिए.........लेकिन यह सब जल्दी ही कर लीजिए। अभी भी कोई ब्लाक रास्ते में आ रहा है तो कम से कम मेरी इस पोस्टिंग को उसे पढ़वा तो दें, उसे तसल्ली सी हो जाएगी।

मेरा भी एक टीनएज बेटा है, उसे मैं यह बात कईं बार खुले तौर पर समझा चुका हूं....और कुछ कुछ अंतराल के बाद ऐसे ही थोड़ी दोहरा सी देता हूं। कईं बार जब मैं जब उसे चिंता में डूबा देखता हूं , तो उस से पूछता हूं कि क्या उसे ये बातें तो परेशान नहीं कर रहीं----तो वह तुरंत जवाब दे देता है----पापा, उस के बारे में तो आप कोई टेंशन न रखा करो, मैं इन सब बातों को समझता हूं, जानता हूं, मुझे ऐसा वैसा कोई फिक्र नहीं है। दोस्तो, यह बात एक ही बार कहने से नहीं चलेगा, समय समय उस की मानसिक स्थिति के अनुसार इस बात को बड़ी इंफारमल तरीके से दोहरा देना बेहद जरूरी है।

साथ साथ इन बच्चों को यह भी संदेश देना होगा कि सात्विक खाना खाएं, जंक फूड से दूरी बनाए रखें, पान-मसालों, गुटखों को पास न फटकने दें, रात को खाना सोने से कम से कम दो घंटे पहले खा लिया करें, योगाभ्यास(प्राणायाम् भी) एवं ध्यान किया करें और सब से जरूरी प्रार्थना किया करें----इस में बेहद शक्ति है। इस के इलावा कोई और भी समस्या है तो क्वालीफाईड डाक्टर हैं , उन की सलाह लेने में बेहतरी है।
तो क्या मैं यह इत्मीनान कर लूं कि आज शाम को आप अपने बेटे के दिल को थोड़ा टटोलेंगे ?? ....लेकिन प्लीज़ ये बातें करिए अकेले में ही।
So, good luck !!---Just go ahead !!
Posted by Dr.Parveen Chopra at 8:53 AM
1 comments:

pankaj said...

aap ne iss bare me jo jankaridi hai vo bahot achi hai
March 25, 2008 1:17 PM

3 टिप्‍पणियां:

  1. thanks sir mai bhi aise samasya se pareshaan hue laken yah to lagbag teen dino me ho jaata hai

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  2. aap ne is bari me jankari di ise pad kar meri paresani bilkool nahi hai.kiyonki mea bhi nightfall se paresan tha.&kiya night fail 10days me 2ya 3 bar hojay to koi paresani.

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  3. thanks sir par mujhe night fall ninth class se ho rahe hai or aaj meri umar 22 years hai koi takhlif to nahi night fall kabhi kabhi 10 din me ek baar hi hota hai or kabhi 10 din me 2 ya 3 baar bhi ho jaata hai

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