हमारा स्कूल जहां से हम सब बंदे बन कर बाहर निकले |
मैंने शायद पहले कहीं इस बात का ज़िक्र किया है कि हमारे स्कूल के साथियों का एक वाट्सएप ग्रुप है ...जो हम सभी को सारे ग्रुप्स में से अधिक प्रिय है....कालेज वाले दिनों के भी, और प्रोफैशन लाइफ वाले दौर के दौरान जुड़ने वालों के साथ वाट्सएप ग्रुप भी हैं, लेकिन सब से ज़्यादा ओपननैस इसी स्कूल वाले ग्रुप में दिखती है ...
स्कूल के बारे में थोड़ा बता दें ... यह डी ए वी सीनियर सैकंडरी स्कूल अमृतसर के प्रसिद्ध हाथी गेट के पास स्थित है ...१०० साल से भी पुराना है ...१९७३ से १९७८ तक याने पांचवी कक्षा से मैट्रिक तक हम लोग इसी स्कूल में थे ...कोई हमारे साथ छठी कक्षा में जुड़ा, कोई आठवीं में आया...लेकिन जब भी कोई आया हमारे सब के रंग में रंगता चला गया...
हमारे स्कूल में हर क्लास में लाउड-स्पीकर लगे हुए थे...हर दिन की शुरुआत गायत्री मंत्र से होती थी और उस के बाद हाल में रोज़ाना हवन होता था..जिस में हर क्लास बारी बारी से सम्मिलित हुआ करती थीं...शायद दो महीने के बाद बारी आती थी...ठीक से याद नहीं है..
स्कूल मैगजीन अरूण के ४० साल पुराने एक अंक से ... |
आज से पंद्रह साल पहले मैं एक लेखक शिविर (राइटर्स वर्कशाप) के सिलसिले में अमृतसर गया था..कुछ दिन वहां रहने का मौका मिला ...मैं इन दिनों शिविर के काम से जैसे ही फारिग होता, अपने स्कूल के साथियों का अता-पता निकालने निकल पड़ता....वह सुंदर कहावत भी तो है...ढूंढने से तो परमात्मा भी मिल जाता है ...मुझे दो चार के ठिकाने पता थे...बस, वहां से दूसरों के ठिकाना का पता चलता गया....चाहे मैं किसी के पास चंद मिनट ही रुका लेकिन जो खुशी मुझे मिली वह मेरे लिए ब्यां कर पाना मुश्किल है ..
Lovely Quote ...absolute truth! |
वाट्सएप की पावर का तो अंदाज़ा मुझे तब भी हुआ जब इन्हीं साथियों में से कुछ ने मशक्कत कर के 30 साथियों के साथ एक वाट्सएप ग्रुप बना लिया...बहुत अच्छा लगता है ...
इस ग्रुप में कुछ भी कहने लिखने का फायदा सब से बड़ा यह है कि कोई किसी को judge नहीं करता...और ऐसी ज़ुर्रत कोई करे भी करे कैसे...जो किसी के मन में आता है वह वही बात कहता है ...लिखता है ...
मैं ही शायद इन सब से इतना दूर बैठा हूं ..बाकी तो अमृतसर में ही बसे हुए हैं...एक साथी मोगा में, एक कैथल में ....ऐसे कुछ कुछ हैं बाहर भी ...
इन ब्वायज (इन्हें स्कूल ब्वायज़) ही कहना ठीक लगता है ....क्योंकि हम सब की हरकतें भी वैसी ही हैं...इस ग्रुप का सब से बड़ा फायदा यह है कि इस में बात करते-लिखते वक्त बंदा अपने आप को १३ साल का ही महसूस करने लगता है ...वही ठहाके, वही लड़कपन, वही बेपरवाही ...
हां, तो इन्होंने कल शाम अमृतसर की एक क्लब में एक गेट-टु-गेदर रखा ....मैं नहीं जा पाया....अमृतसर में रहने वाले बहुत से साथी भी नहीं आ पाए...कल इन दस साथियों का जमावड़ा लगा हुआ था..लेकिन हम कुछ तीन चार साथी इन को बार बार फोन पर बात कर के परेशान किये जा रहे थे ...इस पार्टी के दौरान मुझे भी सब से साथ बातचीत करने का मौका मिला ...बेइंतहा खुशी हुई...
जब ये सब लोग सही सलामत घर लौट गये और सोने की तैयारी करने लगे तो कहीं जा कर वाट्सएप पर मैसेजिंग बंद हुई....
(बाएं से )>>>गुलशन अरोड़ा, संजीव पोपली, राज कपूर
सब से बाएं बैठा है रमन भाटिया
(बाएं से ) >> मधुर बंसल, सुनील महाजन (छुपा रुस्तम), अतुल खन्ना, अनिल महाजन, मंगत राम
यह हरी टी-शर्ट में है नवल किशोर
ये सब के सब अपने अपने फील्ड़ की धुरंधर हस्तियां हैं अमृतसर की ... काफी तो बिजनेस में हैं...और बिजनेस भी ऐसे जिसे हम लोग कहते हैं कि ये पुराने ज़माने से रईस हैं, कोई किसी नामचीन स्कूल का वाईस-प्रिंसीपल जो लाफ्टर चैनल के कपिल और प्रभाकर का उस्ताद भी है, कोई किसी सरकारी ब्लड-बैंक का प्रभारी और कोई किसी बडे़ डॉयनोस्टिक सैंटर का मालिक और कोई किसी बड़ी ड्रग कंपनी में बड़े ओहदे पर तैनात है ... लेकिन सब से सब बहुत ही ज़्यादा विनम्र....इन में इन का कुछ नहीं, यह अमृतसर की मिट्टी की देन है।
बस, इस पोस्ट के लिए इतना ही काफी है, बस मैं इन तस्वीरों को जल्दी से जल्दी सहेज लेना चाहता था...
अगली बार जब भी हम स्कूल के साथियों का ऐसा जमावड़ा लगेगा ...हमारा पहुंचा भी ज़रूरी होगा, वरना फालतू में पिट-विट जाएंगे..
कल बड़े बेटे ने बंबई से एक बुज़ुर्ग महिला की यह तस्वीर भेजी ...बता रहा था कि ७० के करीब की इन की उम्र थी और यह चेतक पर चली जा रही थीं.....God bless her.....गुरदास मान याद आ गया अचानक...गुरदास मान जो नसीहत दे रहे हैं, यह मेरे स्कूल के साथियों के लिए भी है ...