tag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.comments2024-03-13T11:29:21.329+05:30मीडिया डाक्टर Dr Parveen Choprahttp://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comBlogger4119125tag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-47690848686696786382024-03-13T11:29:21.329+05:302024-03-13T11:29:21.329+05:30डियर शर्मा जी, खुले दिल से लिखी इस टिप्पणी के लिए ...डियर शर्मा जी, खुले दिल से लिखी इस टिप्पणी के लिए तहेदिल से शुक्रिया.....इसी तरह की हौसलाफ़ज़ाई करने वाले दोस्तों की वजह से हमें ब्लॉग लिखने में आलस नहीं आता.....बहुत बहुत धन्यवाद...<br /><br />और इस तरह की टिप्पणी को ब्लॉग के साथ जोड़ना इसलिए ज़रूरी होता है कि यह ब्लॉग की बात को ही आगे बढ़ा रही दिखती हैं....लिखने वाले को कुछ और याद दिलाती। <br /><br />जी हां, मुझे याद है ....बचपन में अमृतसर में देखते थे हलवाई सुबह से एक बडे़ से कडाहे में दूध उबाल रहा होता था, पीने वाले उसे पीते थे, शाम तक वह रबड़ी, बर्फी भी बना लेता था.....शर्मा जी, बचपन में जो वह वाली बर्फी खाई उस के बाद वह कभी नसीब न हुई....कारण मुझे भी नहीं पता, वह वाली बर्फी इतनी लज़ीज़ कि मुंह में रखते ही पिघल जाती थी जैसे....<br /><br />एक बात और याद आ गई...अपने लालच की ....बचपन में जब पिता जी अपनी जहामत करवाने जाते तो मुझे भी कहते ....अकसर रविवार का दिन होता ...लेकिन मुझे उस नाई की मशीन से बड़ा डर लगता था हाथ से जो चलाता था, इतनी सख्त कि लगता था जैसे बाल नोच रहा हो, उस के बाद वह उस्तरा उठा लेता था फिनिशिंग टच देने के लिए , दो तीन छोटे छोटे कट लग जाते थे ...मैं अकसर रोने लगता....और उसी वक्त मेरे पिता जी अमृतसर के हरीपुरा एरिया के उस पास वाले हलवाई से एक छोटे से लिफाफे में मेरे लिए बर्फी ले आते थे ....बस, अपने मज़े ...कहां रोना, कहां धोना, कहां सिसकियां......बर्फी का लुत्फ़ लेते लेते मैं कब उन की साईकिल पर बैठ कर खुशी खुशी घर लौट आता था, मुझे कुछ पता ही न चलता.....य़ह जहामत और बर्फी वाली याद मेरी बेहद प्यारी यादों में से एक है ..... Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-57333519758009808952024-03-13T11:20:04.499+05:302024-03-13T11:20:04.499+05:30A comment received from a dear friend on whatsapp ...A comment received from a dear friend on whatsapp is being reproduced here ....<br /><br />"आज की मलाई…..बहुत खूब लिखते हो यार….आप को लेखक होना चाहिए और एक बहुत बढ़िया सा कहानी लिखने और परदे पर पसर जाए तो डा प्रवीण की पूरी कल्पना वाह वाह में बदल जाएगी। <br /><br />आप तो पंजाब वाले हैं…मलाई तो मिठाईवाले सुबह सुबह बडे़ से कड़ाहे मेंं दूध उबालते थे …और बार बार हिलाते रहते थे ताकि दूध नीचे न चिपक जाए और जल न जाए। <br /><br />आज कल के दूध में शायद ब्लॉटिंग पेपर भी डालते हैं या कुछ और ….पर मलाई की परत बहुत ही ज़्यादा मोटी है। भय अब ज़रूर है और साथ में अब सैंटिफिकली प्रूव हो चुका है कि एनिमल प्रॉडक्ट्स हेल्थ के लिए अच्छी नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर दूध वाली चाय बिल्कुल एसिडिटी बढा़ती है और मुंह में कुछ देर बाद खट्टा सा रहने लगता है, जीभ में सफेद सा पर्त जम जाता है जो ग्रीन टी व ब्लैक टी पीने के बाद नहीं होता है। <br /><br />आप का कहना बिल्कुल दुरुस्त है कि अब दूध के आइटम खास कर पनीर देखते ही मुझे पेट में मरोड़ सा पड़ने लगता है…बेटी को पनीर बहुत पसंद है और प्रोटीन शायद अच्छी मिलती है पनीर से, फिर भी बेटी को बार बार कम खाने को बोलता हूं। <br /><br />इंसान का हेल्थ, मेडीसन से और हो सकता है शरीर की एडेपटिबिलिटी से हम ज़्यादा ज़िंदगी जी रहे हैं, लेकिन ऑटो-इम्यून बीमारियां जो बहुत संख्या में उभर रही हैं, घुटने और कूल्हे का दर्द, एनकॉईलॉज़िंग स्पान्डिलाईटिस इत्यादि माडर्न लाइफ की लैक-लस्चर लाइफ स्टाईल, शरीर को कम से कम हिलाना-ढुलाना भी इन बीमारियों का कारण हो सकता है। <br /><br />लेकिन मलाई तो मलाई है ….पावडर की फक्की भी हम लोग लेते थे और खूब भाता था…मेरी बेटी अभी भी चाय में पावडर वाला दूध ही पसंद करती है। स्वाद अपना अपना।<br /><br />आप भाभी जी को लेकर आने वाले संडे को यहां धमक जाएं….चाय नाश्ता आप के आने के बाद बनाया जाएगा ओर आप की पसंद का…."<br />Sharma ji, the great.....noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-60167126068483379692024-02-14T18:44:01.128+05:302024-02-14T18:44:01.128+05:30This comment has been hidden from the blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-49978888799144989102024-02-14T17:44:41.243+05:302024-02-14T17:44:41.243+05:30This comment has been hidden from the blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-89060761135174596692024-02-14T17:34:29.063+05:302024-02-14T17:34:29.063+05:30This comment has been hidden from the blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-25236451878055845212023-12-03T10:08:31.408+05:302023-12-03T10:08:31.408+05:30This comment has been hidden from the blog.Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-6080421442136216172023-12-03T10:07:57.282+05:302023-12-03T10:07:57.282+05:30This comment has been hidden from the blog.Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-24990950732153435942023-12-03T10:06:15.466+05:302023-12-03T10:06:15.466+05:30This comment has been hidden from the blog.Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-64168002822734842822023-12-03T08:13:29.186+05:302023-12-03T08:13:29.186+05:30This comment has been hidden from the blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-64357451238602648022023-12-02T11:43:31.850+05:302023-12-02T11:43:31.850+05:30This comment has been hidden from the blog.Bablu Kumar Deepakhttps://www.blogger.com/profile/14634255281270186353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-10903781448831226612023-12-02T00:04:57.063+05:302023-12-02T00:04:57.063+05:30This comment has been hidden from the blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-86717281774187142142023-12-01T02:55:18.712+05:302023-12-01T02:55:18.712+05:30This comment has been hidden from the blog.विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-3635025412252998222023-11-30T08:22:44.008+05:302023-11-30T08:22:44.008+05:30विस्तृत परिवार, जब हमसब उसमे पले बढे, दोस्तों के स...विस्तृत परिवार, जब हमसब उसमे पले बढे, दोस्तों के साथ पत्थर फेंक कर कच्चे आमों को तोड़ना और चटकारे मार कर नमक के साथ कच्चा आम खाना अदभुत समय की याद आ गई, सर मैं जब इस ब्लॉग को पढ़ रहा था तो लग रहा था की बहुत समय के बाद हम चार-पांच मित्रों के साथ खाली समय में बातचीत करते-करते नमक पर चर्चा सुरु हुई, और बारी-बारी से सब ने कुछ नमक से होने वाले नुकसान के बारे बताना शुरू किया। Bablu Kumar Deepakhttps://www.blogger.com/profile/14634255281270186353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-43012687702716291492023-11-27T16:04:37.208+05:302023-11-27T16:04:37.208+05:30बहुत बहुत धन्यवाद सर। एक लंबे अरसे बाद पढने को मिल...बहुत बहुत धन्यवाद सर। एक लंबे अरसे बाद पढने को मिला। लंबा अरसा तो पढने में, ब्लॉग तो थोड़ा पहले मिल गया था परंतु पहला फोटो देख कर रुक गया। आज हिम्मत की और पढ ही डाला। लाचार और अभावग्रस्तों के बारे में पढकर अंदर एक सुन्नतआ सी छा जाती है। बहुत कुछ अंदर ही अंदर गुजर जाता है। कभी अभिव्यक्ति दे पाता हूं कभी एकदम मौन। आपके ब्लॉग ने ऐसा ही कुछ किया है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-48534350025710640342023-11-24T15:04:32.361+05:302023-11-24T15:04:32.361+05:30बहुत सुंदर। खुशी तो खुशी होती है। बस विज्ञापन में ...बहुत सुंदर। खुशी तो खुशी होती है। बस विज्ञापन में दिखने वाली खुशी कृत्रिम है और बच्चे की खुशी असल। असल खुशी के ज्यादा मायने हैं। विज्ञापन के अनुसार तो पैसे की तरफ जाता रास्ता खुशी का है पर खुशी इस पर निर्भर नहीं करती। प्रेरक प्रसंग साझा किया आपने। आभार। विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-75337046762236931512023-11-24T09:02:46.087+05:302023-11-24T09:02:46.087+05:30 वाह, बहुत सुंदर.... वाह, बहुत सुंदर.... Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-32858417008993559582023-11-23T18:25:10.724+05:302023-11-23T18:25:10.724+05:30Wonderful Sir..... you have touched from mental st...Wonderful Sir..... you have touched from mental strength and sense of moral responsibility of a physically disabled person to the spirit and awareness of Senior citizens to lead a happy and healthy life.... Thanks for such an inspiring post...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-17413288575975802132023-11-23T18:20:02.807+05:302023-11-23T18:20:02.807+05:30बहुत अच्छा लगा बहुत अच्छा लगा Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-86616485256229919892023-11-23T16:49:47.479+05:302023-11-23T16:49:47.479+05:30Bahut hi accha sir Bahut hi accha sir Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-72690325825154780462023-11-23T16:27:56.970+05:302023-11-23T16:27:56.970+05:30सर जी शुक्रिया, बचपन और पिताजी को खुद का तकलीफ नजर...सर जी शुक्रिया, बचपन और पिताजी को खुद का तकलीफ नजर अंदाज कर हमे हर समय प्यार करना यह बेहद दिल छू जाता है, जब हम समझदार होने लगते है। कल की बात है मेरा भाई को पीठ में बहुत दर्द था उनका डेढ़ साल का बेटा उनके गोद में जाने की जिद कर रहा था रो रहा था उसने गोद में लिया तो वह चुप हो गया सर आप का ब्लॉग बेहद रोचक और सचाई था और भी लिखते तो पढ़ते ही जाता नम भरी आखों से....Bablu Kumar Deepakhttps://www.blogger.com/profile/14634255281270186353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-30516152043991194572023-07-08T23:33:22.912+05:302023-07-08T23:33:22.912+05:30नमस्कार सर। आपकी यादों का खजाना अद्भुत है। कोई पुर...नमस्कार सर। आपकी यादों का खजाना अद्भुत है। कोई पुरानी चीज देखते हैं और यादों की पोटली खुल जाती है। साथ ही पढने वाले की आंखों के सामने उसकी यादों की पोटली झूलने लगती है। अभी मैं पढ ही रहा था कि यादें पूरा पढ न पाने के लिए उकसा रही थीं। पिंजरे में से निकले चूहे के पीछे दौड़ना हमें बहुत अच्छा लगता था। चार पांच मित्र थे हम और चूहे के पीछे दौड़ना हमारा कर्तव्य था। यह देखते थे कि वह कहां जा रहा है। अगर की ओर लौटे तो शोर मचा कर खेतों की ओर भागवे पर मजबूर करते। अगर खेत में किसी बिल में घुसता तो कुछ देर खड़े होकर देखते कि वापस बाहर तो नहीं आ रहा। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद घर चले आते। पर दुसरे दिन फिर खेत में जाकर उस बिल के मुंह पर शोर करके देखते कि चूहा बिल में है या नहीं। पर कभी नहीं मिलता। और हम लोग अपनी मूर्खता पर खूब हँसते। <br /> यादों के सागर में डुबोने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर।सत्येंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/04171537067103821340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-78683769094208720642023-05-26T07:19:32.982+05:302023-05-26T07:19:32.982+05:30*🙏🌹 जय श्री राम🌹🙏*
🌞🌹 *सुप्रभात* 🌹🙏
बहुत ह...*🙏🌹 जय श्री राम🌹🙏*<br />🌞🌹 *सुप्रभात* 🌹🙏<br />बहुत ही सुन्दर सरजी पुरानी यादे ताजा करदी धन्यवाद सरजी ऐसे ही खुष रहों और हमे भी खुशी बाटते रहो🙏🌷<br /> <br /><br /> *शुभ प्रभात*Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-35295688561236786192023-05-16T23:32:23.091+05:302023-05-16T23:32:23.091+05:30वैसे शकरगंधी तो नहीं खाई कभी लेकिन आलू भूनकर सर्दि...वैसे शकरगंधी तो नहीं खाई कभी लेकिन आलू भूनकर सर्दियों में खाए हैं और वो बड़े स्वादिष्ट होते हैं। विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-10674422813768998712023-05-16T23:31:22.514+05:302023-05-16T23:31:22.514+05:30आम में तो कीड़े निकल ही जाते हैं इसलिए अक्सर जो काम...आम में तो कीड़े निकल ही जाते हैं इसलिए अक्सर जो काम काला सा पड़ गया हो उसे काटकर खाने में ही भलाई है। दशहरी आम तो चूस कर खाने में ही मज़ा आता है। इस बात से सहमत कि फल और सब्जिया मौसम वाली खाई जाएँ तो ठीक रहता है। विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676398160714951485.post-28503896362332351812023-05-16T11:50:56.107+05:302023-05-16T11:50:56.107+05:30बदलते फैशन के दौर में आपकी टिप्पणी कारगर है, समाज ...बदलते फैशन के दौर में आपकी टिप्पणी कारगर है, समाज में फैलते नकारात्मक वेशभूषा को हम नजरंदाज नहीं कर सकते, सोशल ऐप्स पर आजकल अश्लिल हरकतें बढ़ गई है। इसे कैसे रोक सकते हैं,इसपर कटाक्ष करने की चेष्टा करता हूं Anonymousnoreply@blogger.com