मुझे दो दिन पहले एक ईएनटी स्पैशलिस्ट ने एक मरीज़ रेफर किया था....जिसे ओरल-सबम्यूक्स फाईब्रोसिस था...बीड़ी पीता रहा, पान-गुटखा खाता रहा बहुत से साल..फिर धीरे धीरे मुंह खुलना बंद हो गया..और यह तकलीफ़ इतनी बढ़ गई कि खाना निगलने में भी दिक्कत होने लगी।
चूंकि इसे गले में भी दर्द रहता ही था...और अलग सी खांसी की आवाज़ भी आती थी, कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ ने इस के लेरिंक्स (ध्वनि-यंत्र) की भी दूरबीनी जांच की। और इसे सी.डी भी दे दी। लेरिंक्स की जांच सामान्य थी, वहां उस में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं थी।
आप लेरिंक्स की जांच के दौरान ली गई तस्वीर यहां देख रहे हैं, उस सी डी से ली गई मूवी भी आप यहां देख सकते हैं...... यहां लगा रहा हूं....
अब आप सोच रहे होंगे कि यार तू हमें यह सब क्यों दिखा रहा है।
यह दिखाने का मेरा मकसद यह है कि आप को यह दिखाना कि आप देख लें कि गले के अंदर कितने नाज़ुक बनावट के स्ट्रक्चर रहते हैं.....आप आप यह कल्पना करिए कि इस तरह के नाज़ुक से तंतुओं पर सालों साल तंबाकू का धुआं, तंबाकू-गुटखे की पीप लगती चली जाती हैं.......यह कितना झेल पाती होगी यह सब कुछ।
जो मुकद्दरवाले होते होंगे वे बच जाते होंगे वरना गले का कैंसर के केस जिस में ध्वनि-यंत्र का कैंसर आम है, बहुत संख्या में पाया जाता है। लेरिंक्स का कैंसर एक बार होने पर इस के परिणाम बेहद निराशाजनक होते हैं... न मरीज़ बोल पाता है, बहुत ही बुरा हाल हो जाता है।
वैसे जो फिल्म आपने देखी यह मेरे मरीज़ के नार्मल लेरिंक्स की थी, लेिकन उस में समस्या यह है कि उस का मुंह खुलने में दिक्कत तो है ही ......अब इस अवस्था के लिए उस का इलाज चलेगा।
एक बात मैं और यहां कहना मुनासिब समझता हूं कि हम लोग यह समझ पाएं कि मुंह में झांकना कितना आसान है.....हम स्वयं ही शीशे के सामने खड़े होकर अच्छी रोशनी में अपने मुंह में झांक सकते हैं....विशेषकर जो किसी भी तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे हैं या करते रहे हैं.....उन्हें तो यह काम नियमित करते रहना चाहिए।
और अगर मुंह के अंदर सफ़ेद दाग दिखें, कोई ज़ख्म दिखे, मुंह पूरा न खुले या कुछ भी अनयुजुएल सा लगे तो सब से पहले अपने दंत-चिकित्सक के पास जाएं।
अफसोस इस बात का है कि आप देखिए मुंह के अंदरूनी भाग का स्वःनिरीक्षण करना कितना आसान है, लेकिन फिर भी देश में मुंह के कैंसर के मरीज़ों की संख्या सब से ज़्यादा है। आपने अभी देखा कि मुंह के अंदर थोड़ा सा ही भीतर झांकने के लिए कितना पैसा खर्च करना पड़ता है, इस ने भी इस लेरिंक्स की दूरबीनी जांच के लिए सात-आठ सौ रूपये खर्च किए।
यह जितनी मैंने ऊपर किस्सागोई की है उस का मकसद केवल और केवल यही है कि आप तक यह संदेश पहुंच सके कि तंबाकू के हर रूप से.....तंबाकू वाले मंजनों-पेस्टों से भी, पानमसाले, सुपारी से बिल्कुल दूर ही रहें तो अच्छा है....यह आदत नहीं, भयंकर खेल है।
अब इसी मरीज़ की बात करें.....पहले तो इसे पान-वान बिल्कुल ही छोड़ना होगा, उसे छोड़े बिना तो इलाज का कोई फायदा ही नहीं है और इस के मुंह न खुलने का कईं महीने तक लंबा इलाज चलेगा।
तंबाकू-गुटखा की लत से आखिर पाया क्या?.......दुःख, परेशानी, पैसे और सेहत की बरबादी... और जब ठीक होएगा तब की बात है!!
चूंकि इसे गले में भी दर्द रहता ही था...और अलग सी खांसी की आवाज़ भी आती थी, कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ ने इस के लेरिंक्स (ध्वनि-यंत्र) की भी दूरबीनी जांच की। और इसे सी.डी भी दे दी। लेरिंक्स की जांच सामान्य थी, वहां उस में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं थी।
लेरिंगोस्कोपी के दौरान लेरिंक्स (ध्वनि-यंत्र) की ली गई तस्वीर |
अब आप सोच रहे होंगे कि यार तू हमें यह सब क्यों दिखा रहा है।
यह दिखाने का मेरा मकसद यह है कि आप को यह दिखाना कि आप देख लें कि गले के अंदर कितने नाज़ुक बनावट के स्ट्रक्चर रहते हैं.....आप आप यह कल्पना करिए कि इस तरह के नाज़ुक से तंतुओं पर सालों साल तंबाकू का धुआं, तंबाकू-गुटखे की पीप लगती चली जाती हैं.......यह कितना झेल पाती होगी यह सब कुछ।
जो मुकद्दरवाले होते होंगे वे बच जाते होंगे वरना गले का कैंसर के केस जिस में ध्वनि-यंत्र का कैंसर आम है, बहुत संख्या में पाया जाता है। लेरिंक्स का कैंसर एक बार होने पर इस के परिणाम बेहद निराशाजनक होते हैं... न मरीज़ बोल पाता है, बहुत ही बुरा हाल हो जाता है।
वैसे जो फिल्म आपने देखी यह मेरे मरीज़ के नार्मल लेरिंक्स की थी, लेिकन उस में समस्या यह है कि उस का मुंह खुलने में दिक्कत तो है ही ......अब इस अवस्था के लिए उस का इलाज चलेगा।
एक बात मैं और यहां कहना मुनासिब समझता हूं कि हम लोग यह समझ पाएं कि मुंह में झांकना कितना आसान है.....हम स्वयं ही शीशे के सामने खड़े होकर अच्छी रोशनी में अपने मुंह में झांक सकते हैं....विशेषकर जो किसी भी तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे हैं या करते रहे हैं.....उन्हें तो यह काम नियमित करते रहना चाहिए।
और अगर मुंह के अंदर सफ़ेद दाग दिखें, कोई ज़ख्म दिखे, मुंह पूरा न खुले या कुछ भी अनयुजुएल सा लगे तो सब से पहले अपने दंत-चिकित्सक के पास जाएं।
अफसोस इस बात का है कि आप देखिए मुंह के अंदरूनी भाग का स्वःनिरीक्षण करना कितना आसान है, लेकिन फिर भी देश में मुंह के कैंसर के मरीज़ों की संख्या सब से ज़्यादा है। आपने अभी देखा कि मुंह के अंदर थोड़ा सा ही भीतर झांकने के लिए कितना पैसा खर्च करना पड़ता है, इस ने भी इस लेरिंक्स की दूरबीनी जांच के लिए सात-आठ सौ रूपये खर्च किए।
यह जितनी मैंने ऊपर किस्सागोई की है उस का मकसद केवल और केवल यही है कि आप तक यह संदेश पहुंच सके कि तंबाकू के हर रूप से.....तंबाकू वाले मंजनों-पेस्टों से भी, पानमसाले, सुपारी से बिल्कुल दूर ही रहें तो अच्छा है....यह आदत नहीं, भयंकर खेल है।
अब इसी मरीज़ की बात करें.....पहले तो इसे पान-वान बिल्कुल ही छोड़ना होगा, उसे छोड़े बिना तो इलाज का कोई फायदा ही नहीं है और इस के मुंह न खुलने का कईं महीने तक लंबा इलाज चलेगा।
तंबाकू-गुटखा की लत से आखिर पाया क्या?.......दुःख, परेशानी, पैसे और सेहत की बरबादी... और जब ठीक होएगा तब की बात है!!
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